




भारत की संसदीय कूटनीति को वैश्विक मंच पर सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण सिंह ने P20 शिखर सम्मेलन (Parliamentary Speakers’ Summit) में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। यह सम्मेलन इस बार दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हो रहा है, जहाँ G20 देशों के संसद प्रमुख एकत्रित होकर वैश्विक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।
P20 या Parliamentary Speakers’ Summit, G20 देशों के संसदों के अध्यक्षों और प्रमुखों का एक वार्षिक मंच है, जहाँ वैश्विक मुद्दों पर संसदीय दृष्टिकोण से विचार-विमर्श होता है। इसका उद्देश्य केवल शिखर नेताओं की बैठक (G20 Summit) तक ही सीमित नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करना और संसदों की भूमिका को वैश्विक विकास में सशक्त बनाना भी है।
यह सम्मेलन विभिन्न देशों के सांसदों को एक मंच प्रदान करता है, जहाँ वे भुखमरी, गरीबी, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और वैश्विक शांति जैसे मुद्दों पर संयुक्त दृष्टिकोण विकसित कर सकते हैं।
राज्यसभा उपाध्यक्ष हरिवंश के नेतृत्व में भारत से एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल इस सम्मेलन में शामिल हुआ है। इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख व्यक्ति:
-
मनोज कुमार झा – राज्यसभा सांसद
-
पी. सी. मोदी – राज्यसभा महासचिव
-
उत्पल कुमार सिंह – लोकसभा महासचिव
-
अन्य वरिष्ठ अधिकारी और संसदीय सलाहकार भी इस दौरे का हिस्सा हैं।
प्रतिनिधिमंडल की यह यात्रा केवल एक औपचारिक शिरकत नहीं, बल्कि एक सशक्त भागीदारी है, जिसमें भारत ने विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है।
इस वर्ष के P20 सम्मेलन की विषयवस्तु वैश्विक स्तर की जटिल चुनौतियों से संबंधित है। मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
-
भुखमरी, गरीबी और असमानता से निपटने में संसदों की भूमिका
-
सतत विकास लक्ष्य (SDGs) की प्राप्ति में संसदीय सहयोग
-
जलवायु परिवर्तन और वैश्विक ऊर्जा संकट
-
शिक्षा, स्वास्थ्य और समावेशन को बढ़ावा देना
-
लोकतंत्र, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व में सुधार
इन मुद्दों पर भारत ने अपने दृष्टिकोण को प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया और अन्य देशों के साथ सार्थक संवाद में भाग लिया।
भारत की ओर से इस सम्मेलन में भागीदारी कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है:
-
वैश्विक लोकतंत्र में भूमिका:
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। ऐसे में उसकी भागीदारी P20 जैसे मंचों पर नीतिगत दृष्टिकोण देने में सहायक होती है। -
विकासशील देशों की आवाज़:
भारत अक्सर विकासशील देशों की समस्याओं और दृष्टिकोण को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रखने का काम करता है, जो इसे एक प्राकृतिक नेतृत्वकर्ता बनाता है। -
संसदीय कूटनीति का विस्तार:
यह दौरा संसद के नेताओं को अंतरराष्ट्रीय मंचों से जोड़ने में मदद करता है, जिससे विधायी कूटनीति को बल मिलता है। -
द्विपक्षीय संवाद:
सम्मेलन के दौरान भारत ने अन्य देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और सहयोग, व्यापार, शिक्षा, विज्ञान, व सांस्कृतिक मुद्दों पर आपसी समझ विकसित की।
राज्यसभा उपाध्यक्ष हरिवंश एक अनुभवी पत्रकार और विचारक रहे हैं। उनकी शांत लेकिन प्रभावशाली संवाद शैली और लोकतंत्र के मूल्यों में गहरी आस्था के चलते, उन्हें इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नेतृत्व करने के लिए चुना गया।
सम्मेलन के दौरान उन्होंने भारत की विकास गाथा, डिजिटल पहल, महिला सशक्तिकरण, सतत ऊर्जा प्रयास और पारदर्शी शासन की दिशा में किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला।
भारत इस सम्मेलन के माध्यम से वैश्विक नीति निर्माण में संसदीय दृष्टिकोण को सशक्त बनाना चाहता है। संभावित प्रभाव:
-
वैश्विक समस्याओं पर समन्वित संसदीय कार्यवाही
-
संसदीय नेटवर्किंग और अनुभव साझा करने का अवसर
-
विकासशील देशों के लिए विशेष संसदीय तंत्र का निर्माण
-
संसदों की भूमिका को G20 जैसे मंचों में संस्थागत बनाना
P20 शिखर सम्मेलन केवल एक राजनयिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि संसदीय सहभागिता और वैश्विक सहयोग का प्रतीक है। भारत की भागीदारी और राज्यसभा उपाध्यक्ष हरिवंश द्वारा नेतृत्व इस बात का प्रमाण है कि भारत केवल विकास में ही नहीं, बल्कि वैश्विक लोकतंत्र की दिशा में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
इस प्रकार के सम्मेलनों से यह सुनिश्चित होता है कि वैश्विक निर्णय केवल सत्ता केंद्रित न होकर, जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से लिए जाएं — जिससे वैश्विक शासन अधिक समावेशी, उत्तरदायी और जन-हितैषी बन सके।