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    मेट्टूर डैम में जल स्तर 117.42 फीट तक पहुंचा, जल प्रबंधन को लेकर सतर्कता बढ़ी

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    तमिलनाडु के सबसे प्रमुख जलाशयों में से एक मेट्टूर डैम (Mettur Dam) का जल स्तर 117.42 फीट तक पहुंच गया है। इस महत्वपूर्ण आंकड़े के साथ, राज्य के जल प्रबंधन विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है और आसपास के इलाकों में प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा गया है। मेट्टूर डैम, जो कावेरी नदी पर बना है, न केवल तमिलनाडु की सिंचाई का एक बड़ा केंद्र है बल्कि इसके जल स्तर में बढ़ोतरी से बाढ़ और जल प्रवाह की स्थिति पर भी असर पड़ सकता है।

    मेट्टूर डैम, जिसे स्टेनली रिजर्वायर (Stanley Reservoir) भी कहा जाता है, 1934 में बनाया गया था। यह बांध कावेरी नदी पर स्थित है और यह तमिलनाडु के सेलम जिले में मेट्टूर शहर के पास स्थित है। इसकी अधिकतम जलधारण क्षमता 120 फीट है। यह बांध तमिलनाडु के कृषि क्षेत्रों, विशेष रूप से कावेरी डेल्टा के लिए जीवनरेखा है।

    इस डैम का जल स्तर पूरे राज्य की सिंचाई, पीने के पानी की आपूर्ति, और बिजली उत्पादन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।

    हाल के दिनों में तमिलनाडु और कर्नाटक के कई हिस्सों में हुई लगातार भारी बारिश के कारण मेट्टूर डैम में पानी की आवक में तेज़ी आई है। कावेरी नदी में ऊपर की ओर से छोड़े गए पानी की वजह से डैम का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है।

    कर्नाटक के कृष्णराज सागर (KRS) और हेमावती डैम से भी पानी छोड़ा गया है, जिससे मेट्टूर में जल प्रवाह और तेज हुआ है। जल संसाधन विभाग के अनुसार, अगर बारिश की यही स्थिति बनी रही तो अगले कुछ दिनों में जल स्तर अधिकतम सीमा को छू सकता है।

    जल स्तर में इस तेजी से बढ़ोतरी को देखते हुए तमिलनाडु सरकार और जल प्रबंधन विभाग ने पहले से ही एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं:

    • निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

    • बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन दल तैनात किए गए हैं।

    • डैम के आसपास के इलाकों में पुलिस और राजस्व विभाग की निगरानी बढ़ा दी गई है।

    • डैम से पानी के नियंत्रित प्रवाह की योजना पर काम किया जा रहा है, ताकि फसल और गांव प्रभावित न हों।

    जल विभाग ने यह भी कहा है कि यदि जल स्तर 118 फीट के पास पहुंचता है, तो कंट्रोल्ड वॉटर रिलीज़ शुरू किया जाएगा।

    कृषि पर प्रभाव:

    तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा क्षेत्र में धान और गन्ना जैसी फसलों की सिंचाई के लिए यह डैम अत्यंत आवश्यक है। जल स्तर बढ़ने से इन क्षेत्रों में सिंचाई जल की आपूर्ति सुचारू हो सकती है, जिससे किसानों को राहत मिलेगी।

    बाढ़ की संभावना:

    हालांकि पानी की उपलब्धता एक अच्छी खबर है, लेकिन जल स्तर यदि नियंत्रण से बाहर हो जाता है, तो निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडरा सकता है, खासकर उन गांवों में जो कावेरी नदी के किनारे बसे हुए हैं।

    बिजली उत्पादन:

    मेट्टूर डैम से जलविद्युत उत्पादन भी होता है। जल स्तर बढ़ने से पावर हाउस को अतिरिक्त जल संसाधन मिलेगा, जिससे राज्य को ऊर्जा संकट से राहत मिल सकती है।

    स्थानीय किसानों ने डैम के जल स्तर में वृद्धि को सकारात्मक संकेत के रूप में देखा है। उनका मानना है कि यदि जल स्तर ऐसे ही बना रहा, तो आगामी रबी फसल के लिए पर्याप्त पानी मिल सकेगा। हालांकि, गांवों के सरपंच और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि पानी का रिलीज़ संयमपूर्वक किया जाए ताकि निचले इलाके डूब से बचे रहें।

    2024 के इसी समय में मेट्टूर डैम का जल स्तर 114.80 फीट था, जबकि 2023 में यह 112.10 फीट तक ही पहुंच पाया था। इस बार का 117.42 फीट का आंकड़ा पिछले 5 वर्षों में इस समय पर सबसे ऊंचा जल स्तर माना जा रहा है।

    इससे यह साफ है कि इस बार वर्षा और प्रवाह का स्तर औसत से अधिक रहा है।

    तमिलनाडु सरकार ने जल प्रबंधन की दीर्घकालिक योजना पर भी काम शुरू कर दिया है, जिसमें:

    • जल संग्रहण के लिए अतिरिक्त टैंक और नहर प्रणाली को मजबूत करना।

    • जल संरक्षण अभियान चलाना, जिससे वर्षा जल को संरक्षित किया जा सके।

    • डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम के जरिए डैम स्तर की वास्तविक समय पर निगरानी।

    जल विभाग का यह भी कहना है कि भविष्य में बांध की क्षमता बढ़ाने और इसके संरचनात्मक सुधार की दिशा में भी प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है।

    मेट्टूर डैम में 117.42 फीट तक जल स्तर का पहुंचना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो न सिर्फ तमिलनाडु की जल व्यवस्था बल्कि कृषि, ऊर्जा और आपदा प्रबंधन से भी जुड़ा हुआ है। हालांकि यह आंकड़ा राहत देने वाला है, लेकिन इसके साथ सतर्कता और योजना भी जरूरी है।

    प्रशासन की समय पर कार्रवाई और जनता की जागरूकता से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि जल का बेहतर उपयोग हो और किसी तरह की प्राकृतिक आपदा से बचा जा सके।

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