




भारतीय रक्षा क्षेत्र में हालिया तेजी का नया चेहरा है — स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) सिस्टम ‘धराशक्ति’। रक्षा उत्पादन और आधुनिकीकरण के सिलसिले में इस सिस्टम का बड़े पैमाने पर निर्माण शुरू हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि धराशक्ति के तैनात होने से युद्धभूमि की परिभाषा ही बदल सकती है — कमज़ोरियों को ढूँढना, दुश्मन के संचार और नेविगेशन संकेतों को निर्बाध करना और आधुनिक नियम‑रहित संघर्ष में निर्णायक भूमिका निभाना इस तकनीक की झलक है।
धराशक्ति का प्राथमिक उद्देश्य सरल है: युद्ध क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी की इलेक्ट्रॉनिक क्षमताओं को अस्थायी या स्थायी रूप से बाधित कर, अपने बलों को जानकारी‑सुविधा में श्रेष्ठता दिलाना। यह केवल “जाम” करने वाला उपकरण नहीं; यह एक समेकित EW सूट है जो रडार, रेडियो कम्युनिकेशन, GPS‑आधारित नेविगेशन और ड्रोन‑कमाान्ड लिंक जैसी संपत्तियों पर प्रभाव डाल सकता है — उस सीमा तक जहाँ वैधानिक और रणनीतिक हितों के अनुसार प्रतिकिया की जा सके।
नौसिखिये शब्दों में समझें तो धराशक्ति तीन बड़े काम कर सकता है: पहला, दुश्मन के संचार नेटवर्क को बाधित कर के उनकी कमाण्ड‑कंट्रोल क्षमताओं को प्रभावित करना; दूसरा, आवागमन और शस्त्रों के लक्ष्यीकरण में प्रयुक्त रडार और ग्लोनास/GPS संकेतों में हस्तक्षेप कर उनके सटीक निशाने को कमज़ोर करना; तीसरा, निगरानी करने वाले ड्रोन और स्वायत्त उपकरणों के नियंत्रण‑लिंक को बाधित कर उनकी उपयोगिता घटा देना। परिणामतः सूचना‑सुपरियोरिटी हासिल करने वाला पक्ष निर्णायक ऑपरेशनल लाभ पाता है।
यह सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी घटकों और घरेलू रक्षा‑मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क पर आधारित है। पिछले वर्षों में भारत ने आभासी तथा भौतिक दोनों परतों पर ई.डब्ल्यू. तकनीक विकसित करने में तेज़ी दिखाई—जिसमें रक्षा अनुसंधान संगठनों, सार्वजनिक‑निजी भागीदारों और स्टार्टअप‑इकोसिस्टम का योगदान शामिल रहा। धराशक्ति को तैनात करने के लिए फील्ड‑योग्य प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं — वाहन‑माउंटेड बेस स्टेशन, फ्लैगशिप पोर्टेबल यूनिट और क्षेत्रीय सेंटर जो कई यूनिटों को नेटवर्क के माध्यम से जोड़ते हैं।
रणनीतिक मायने यह है कि आधुनिक युद्ध अब सिर्फ फायर‑पावर या टैंक‑रैस नहीं रहा; सूचना और समय‑संवेदी निर्णय ही निर्णायक हैं। धराशक्ति जैसे EW सिस्टम से कमांड‑कंट्रोल पर असर पड़ेगा, जिसे काटकर ‘सूचना खालीपन’ पैदा किया जा सकता है — और खालीपन का फ़ायदा उठाना ही सफल ऑपरेशन कहलाता है। सीमा संघर्ष, शहरों में उच्च‑घनत्व संघर्ष या समुद्री ऑपरेशन्स में ये सिस्टम महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
हालांकि, इसकी तैनाती के साथ कुछ संवेदनशील नैतिक और तकनीकी प्रश्न भी उठते हैं। इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप से नागरिक अवसंरचना जैसे सिविल संचार और हवाई नेविगेशन प्रभावित न हों, इसके लिए सख्त नियमावली और लक्ष्य‑निर्धारण अनिवार्य होगा। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि प्रयोग और संचालन दोनों में पारदर्शिता, अंतर‑सैनिक समन्वय और कानूनी ढांचा बनाना ज़रूरी है ताकि राष्ट्र‑हित के साथ साथ नागरिक सुरक्षा भी बनी रहे।
उद्योग‑विश्लेषक जोड़ते हैं कि धराशक्ति के बड़े पैमाने पर बनने से न सिर्फ भारतीय सेनाओं की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी बल्कि रक्षा निर्यात की संभावनाएँ भी खुलेंगी। बैटल‑फील्ड‑यूटिलिटी के अलावा ऐसी प्रणालियाँ सीमित रेंज के भीतर अन्य मित्र देशों के साथ साझेदारी के जरिए साझा भी की जा सकती हैं, बशर्ते अंतरराष्ट्रीय नियमों और निर्यात नियंत्रणों का पालन हो।
आरक्षण यानी operational caution की बात भी जरूरी है। EW सिस्टम की क्षमता अक्सर बहु‑स्तरीय और परिपक्व संकेत‑प्रोसेसिंग पर निर्भर करती है; इसलिए प्रशिक्षण, सॉफ्टवेयर‑अपडेट्स और इलेक्ट्रॉनिक‑ह्यूमैन इंटरफेस पर निरंतर निवेश आवश्यक है। युद्ध के समय इन्हें एकीकृत ऑपरेशनल योजना में सम्मिलित करना कम से कम उतना ही अहम है जितना उनको विकसित करना।
सरकारी सूत्रों और रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, धराशक्ति जैसे स्वदेशी कार्यक्रम से देश की रक्षा‑नीति को लंबी अवधि का लाभ मिलेगा। मौजूदा वित्तीय वर्ष में रक्षा बजट और स्थानीय उत्पादन‑प्रोत्साहन ने इस तरह के प्रोजेक्ट्स को गति दी है। अब चुनौती यह है कि तकनीक को फील्ड‑प्रमाणित तरीके से रोबस्ट, सस्ती और सुव्यवस्थित रूप में किस तरह से अनुकूलित किया जाए ताकि सीमाओं और आंतरिक चुनौतियों दोनों में इसका प्रभावी उपयोग हो सके।
‘धराशक्ति’ सिर्फ एक उपकरण नहीं — यह सूचना‑युद्ध में भारत की बढ़ती तैयारी का प्रतीक है। युद्धभूमि में किस पक्ष के पास बेहतर इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण होगा, वही रणनीतिक पहल बनाए रखेगा। इसलिए यह स्वदेशी पहल न केवल सैन्य ताकत को बढ़ाएगी, बल्कि सशस्त्र बलों को तीव्र और आधुनिक‑युगीन चुनौतियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार करेगी। प्राकृतिक रूप से, इसका सफल क्रियान्वयन प्रशिक्षण, नीति‑निर्धารक निगरानी और नागरिक‑सुरक्षा के मानकों के साथ संतुलित होना चाहिए — तभी धराशक्ति अपने नाम के अनुरूप ‘धराशायी’ प्रभाव छोड़ सकेगी।