




हरियाणा सरकार ने IPS अधिकारी Y. पूरन कुमार की आत्महत्या मामले में बढ़ते विवाद और जनदबाव के चलते राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेजने का निर्णय लिया है। यह जानकारी मंगलवार को मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जैतली ने The Hindu को दी।
उन्होंने कहा,
“DGP को छुट्टी पर भेज दिया गया है। औपचारिक आदेश जल्द ही जारी किया जाएगा।”
हरियाणा कैडर के 2001 बैच के वरिष्ठ IPS अधिकारी Y. पूरन कुमार ने हाल ही में चंडीगढ़ स्थित आवास पर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। घटनास्थल से एक नौ पन्नों का सुसाइड नोट बरामद हुआ जिसमें उन्होंने जातीय उत्पीड़न, अपमान और मानसिक दबाव जैसे गंभीर आरोप लगाए।
नोट में उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों पर नामजद आरोप लगाए, जिनमें विशेष रूप से DGP शत्रुजीत कपूर और रोहतक के तत्कालीन SP नरेंद्र बिजारनिया शामिल हैं। परिवार का आरोप है कि पूरन कुमार को उनके दलित होने के कारण उत्पीड़ित किया गया।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मामले में सरकार की निष्क्रियता पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा:
“एक दलित अधिकारी की आत्महत्या के बाद भी जिन अधिकारियों पर आरोप हैं, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न होना देश के दलित समाज को गलत संदेश देता है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि
“यह सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं है, बल्कि यह भारत के सामाजिक और प्रशासनिक ढांचे में गहराई से जमी भेदभावपूर्ण मानसिकता को उजागर करता है।”
राहुल गांधी ने घटना को न्याय और समानता के सिद्धांतों के विरुद्ध बताया और केंद्र एवं राज्य सरकार से स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की।
इस प्रकरण के बाद हरियाणा में जनाक्रोश तेज़ हो गया। कई सामाजिक संगठनों, दलित संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने रोष मार्च, धरने और अल्टीमेटम दिए:
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31 सदस्यीय प्रतिनिधि समिति ने सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया कि नामजद अधिकारियों को पद से हटाया जाए।
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BSP और अन्य दलित संगठनों ने राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है।
इस विवाद के बीच, हरियाणा सरकार ने DGP शत्रुजीत कपूर को “नियमित अवकाश” पर भेजने का निर्णय लिया है। हालांकि आलोचकों का कहना है कि यह निर्णय राजनीतिक दबाव और बढ़ते जनविरोध के चलते लिया गया है, न कि स्वतः संज्ञान में आकर।
उनकी जगह पर 1992 बैच के वरिष्ठ अधिकारी OP सिंह को DGP का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। सिंह वर्तमान में हरियाणा के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो सहित कई विभागों में कार्यरत हैं।
सामाजिक और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सिर्फ DGP को अवकाश पर भेजना पर्याप्त नहीं है:
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आरोपी अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज नहीं हुई।
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सुसाइड नोट की जांच स्वतंत्र एजेंसी से नहीं कराई गई।
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पीड़ित परिवार की मांगों को अभी तक स्पष्ट रूप से स्वीकार नहीं किया गया।
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न्यायिक या CBI जांच की कोई घोषणा नहीं हुई।
पूरन कुमार की पत्नी IAS अधिकारी अमनीत P. कुमार ने सार्वजनिक बयान में कहा:
“मेरे पति ने जो आरोप लगाए, वह केवल व्यक्तिगत पीड़ा नहीं, बल्कि प्रशासनिक बर्बरता की तस्वीर है। जब तक दोषियों को न्यायिक रूप से कटघरे में नहीं लाया जाता, हम उनके अंतिम संस्कार से भी इनकार करते हैं।”
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SIT का गठन किया जा सकता है या कोर्ट इस पर स्वतः संज्ञान ले सकता है।
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विपक्ष की मांग है कि जांच CBI या उच्च न्यायालय की निगरानी में हो।
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सरकार ने संकेत दिए हैं कि वे सभी बिंदुओं पर विचार कर रही है, लेकिन कोई स्पष्ट घोषणा नहीं हुई।
IPS Y. पूरन कुमार की मौत केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, यह भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था, जातीय भेदभाव, मानसिक स्वास्थ्य और जवाबदेही जैसे बड़े मुद्दों को सामने लाता है।