




भारत और ऑस्ट्रेलिया की सेनाओं ने पर्थ में चौथे संस्करण का संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘अस्त्रहिंद 2025’ सोमवार को शुरू कर दिया। यह अभ्यास दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग और रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है। इस वर्ष का अभ्यास शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में ऑपरेशन्स पर केंद्रित होगा, जिससे दोनों सेनाओं के जवान आपसी तालमेल, रणनीतिक योजना और संचालन क्षमता को और मजबूत कर सकें।
अस्त्रहिंद श्रृंखला का उद्देश्य न केवल सामरिक प्रशिक्षण देना है बल्कि आपसी विश्वास और इंटरऑपरेबिलिटी को बढ़ाना भी है। अभ्यास के दौरान दोनों देशों की सेनाएँ आधुनिक शहरी संघर्ष परिस्थितियों में संचालन, खोज एवं बचाव, और नियंत्रण रणनीतियों का अभ्यास करेंगी। यह पहल Indo-Pacific क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता में भी योगदान देती है, जहाँ दोनों देशों के हित और रणनीतिक महत्व लगातार बढ़ रहे हैं।
अभ्यास में भारत की ओर से इंडियन आर्मी के स्पेशल फोर्सेस और ऑस्ट्रेलिया की ओर से एएलएफ (Australian Land Forces) की टुकड़ियाँ भाग ले रही हैं। दोनों सेनाओं के जवानों के बीच वास्तविक समय के संचालन, कम्युनिकेशन और लॉजिस्टिक्स की जटिलताओं का सामना करने के लिए विशेष सिमुलेशन और फील्ड ड्रिल्स आयोजित की जा रही हैं। इस अभ्यास के जरिए दोनों सेनाओं के बीच फायरिंग, शहरी नकली युद्ध, और इमरजेंसी रिस्पॉन्स जैसे कौशलों का परीक्षण भी किया जाएगा।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अस्त्रहिंद 2025 दोनों देशों की सामरिक तैयारियों को नए स्तर पर ले जाएगा। यह अभ्यास शहरी क्षेत्रों में ऑपरेशनल फैसलों की तेज़ी और प्रभावशीलता को भी बढ़ाएगा। खासकर ऐसे इलाके जहाँ सिविलियन और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा महत्वपूर्ण होती है, वहाँ दोनों सेनाओं का तालमेल बेहद अहम होगा।
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच यह चौथा संस्करण है। पिछले संस्करणों में भी दोनों देशों ने समान रूप से शहरी और अर्ध-शहरी इलाके, पहाड़ी क्षेत्रों और समुद्री किनारों में रणनीतिक ड्रिल्स और ऑपरेशन्स का अभ्यास किया था। इस वर्ष का अभ्यास पिछले संस्करणों की तुलना में बड़ा और अधिक व्यापक माना जा रहा है। दोनों देशों की सेनाएँ साइबर सुरक्षा, ड्रोन्स और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम का भी परीक्षण करेंगी।
इस अभ्यास का एक प्रमुख उद्देश्य इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाना और संयुक्त संचालन क्षमता में सुधार करना है। भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही तेजी से बदलते सुरक्षा परिदृश्य में सक्षम बलों की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं। अस्त्रहिंद 2025 के जरिए दोनों देशों को न केवल सामरिक बल्कि रणनीतिक और तकनीकी लाभ भी मिलेंगे।
सैन्य अधिकारियों के अनुसार, अभ्यास के दौरान जवानों को रियल‑टाइम ऑपरेशन्स और इमरजेंसी रिस्पॉन्स की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। इसका उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच समान कमांड और कंट्रोल स्ट्रक्चर को मजबूत करना है। इसके साथ ही दोनों देशों के जवानों को एक-दूसरे की तकनीक, उपकरण और संचालन शैली को समझने का अवसर भी मिलेगा।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस प्रकार के संयुक्त अभ्यास सैन्य कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी मजबूत करते हैं। यह अभ्यास दोनों देशों के बीच रणनीतिक विश्वास और सुरक्षा साझेदारी को गहरा करता है। साथ ही, Indo-Pacific क्षेत्र में स्थिरता और सहयोग बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम है।
अभ्यास के दौरान कई चरणों में शहरी आपदा प्रबंधन, बचाव अभियान और सामरिक योजना ड्रिल्स आयोजित की जाएंगी। इस अभ्यास से दोनों देशों के जवान अपनी क्षमताओं का विकास करेंगे और वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में तेज़ और सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाएंगे।