




झारखंड में नक्सल और माओवादी गतिविधियों के खिलाफ पुलिस और सुरक्षा बलों ने इस वर्ष जनवरी से सितंबर के बीच एक निर्णायक मोर्चा खोला है। पुलिस महानिरीक्षक (IG) अभियान अमोल विनुकांत होमकर ने मंगलवार को बताया कि इस अवधि में 266 नक्सलियों को गिरफ्तार, 32 को मुठभेड़ों में मार गिराया गया और 30 ने आत्मसमर्पण किया है।
उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई राज्य में नक्सल प्रभाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों ने नक्सली अड्डों से बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटक भी बरामद किए हैं।
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266 नक्सली गिरफ्तार: इनमें भाकपा (माओवादी), पीएलएफआई, टीएसपीसी और अन्य वामपंथी उग्रवादी संगठनों से जुड़े लोग शामिल हैं। इनमें कई क्षेत्रीय और ज़ोनल कमांडर भी हैं जिनके ऊपर लाखों रुपये के इनाम थे।
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32 मारे गए नक्सली: पुलिस और अर्धसैनिक बलों के साथ हुई विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए। इन मुठभेड़ों में उग्रवादियों की ओर से पहले गोलीबारी की गई, जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने कार्रवाई की।
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30 आत्मसमर्पण: आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में कई ऐसे भी थे जो पिछले कई वर्षों से संगठन में सक्रिय थे। इन्हें राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सहायता प्रदान की जा रही है।
पुलिस ने माओवादियों के खिलाफ अभियान में भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक सामग्री भी जब्त की है:
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157 हथियार (जिसमें से कई पुलिस से लूटे गए थे)
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11,950 राउंड कारतूस
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18,884 डिटोनेटर
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394.5 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री
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228 आईईडी (विस्फोटक उपकरण)
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₹39.53 लाख नकद लेवी राशि
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37 नक्सली बंकरों का विनाश
इस कार्रवाई से स्पष्ट होता है कि नक्सलियों के पास न केवल हथियार बल्कि वित्तीय संसाधनों की भी कमी नहीं थी, जिसे अब पुलिस लगातार निशाना बना रही है।
IG अमोल होमकर ने यह भी बताया कि अगस्त और सितंबर 2025 में 128 एफआईआर दर्ज की गईं और 105 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। झारखंड लंबे समय से साइबर फ्रॉड की घटनाओं के लिए बदनाम रहा है, विशेष रूप से जामताड़ा और गिरिडीह जिलों से साइबर ठगी की शिकायतें आती रही हैं।
राज्य पुलिस ने इन मामलों में तकनीकी सहायता और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के माध्यम से त्वरित कार्रवाई की है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आने वाले महीनों में भी यह कार्रवाई और तेज की जाएगी। नक्सल प्रभावित जिलों में स्थानीय खुफिया तंत्र को मजबूत किया गया है, और ड्रोन व निगरानी तकनीकों का उपयोग करके जंगलों में भी तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
राज्य सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए पुनर्वास योजनाओं पर भी काम कर रही है।
जनप्रतिनिधियों और आम जनता ने पुलिस की कार्रवाई की सराहना की है। लोगों का कहना है कि इस तरह के कदमों से न केवल सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होती है, बल्कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य भी तेज होते हैं।
2025 के पहले नौ महीनों में झारखंड पुलिस ने जिस तरह से नक्सलियों पर शिकंजा कसा है, वह राज्य में शांति और विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। गिरफ्तारियाँ, आत्मसमर्पण और मुठभेड़ों में मिली सफलता यह दर्शाती है कि नक्सलवाद पर अब प्रभावी नियंत्रण संभव है।