




छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित बीजापुर जिले में एक बड़ी सुरक्षा कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने माओवादियों के एक गुप्त अड्डे से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री, हथियार निर्माण के उपकरण और IEDs बरामद किए हैं। यह कार्रवाई माओवादियों की ओर से संभावित बड़े हमले की योजना को विफल करने में अहम मानी जा रही है।
इस संयुक्त अभियान को सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन और स्थानीय जिला पुलिस द्वारा करीगुटा पहाड़ियों के जंगलों में अंजाम दिया गया। सुरक्षा बलों ने गुप्त सूचना के आधार पर इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया और एक पुराने माओवादी लॉजिस्टिक डंप को खोज निकाला, जहाँ पर बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री छिपाकर रखी गई थी।
सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि माओवादियों के डंप से निम्नलिखित सामग्री जब्त की गई:
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51 बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (BGL) शेल
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100 बंडल हाई टेंशन (HT) एल्युमीनियम वायर
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कई मीटर इलेक्ट्रिक वायर
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50 स्टील पाइप, जो ग्रेनेड लॉन्चर या देसी हथियार निर्माण में इस्तेमाल होते हैं
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40 लोहे की प्लेटें और 20 लोहे की सीटी – जिनका प्रयोग विस्फोटकों को संरक्षित व नियोजित करने में किया जाता है
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5 प्रेशर IEDs (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज़) – जिन्हें मौके पर ही बम निरोधक दस्ते द्वारा निष्क्रिय किया गया
इस ऑपरेशन के दौरान सभी सुरक्षा कर्मी सुरक्षित रहे और बरामदगी को उच्च स्तर की रणनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
बीजापुर और बस्तर क्षेत्र माओवादियों की गतिविधियों के लिए कुख्यात रहा है। हाल के महीनों में कई सुरक्षाबलों पर हुए IED हमलों के बाद यह ऑपरेशन विशेष महत्व रखता है। इससे पहले अक्टूबर की शुरुआत में इसी क्षेत्र में एक जवान IED विस्फोट में घायल हुआ था।
अधिकारियों के अनुसार, IED और BGL माओवादी हमलों की रणनीति में मुख्य भूमिका निभाते हैं क्योंकि ये दूर से नुकसान पहुंचाने में सक्षम होते हैं और सुरक्षा बलों की मूवमेंट को बाधित करते हैं।
करीगुटा की पहाड़ियां और आसपास का जंगल इलाका माओवादियों की गतिविधियों का गढ़ माना जाता है। यही कारण है कि सुरक्षा बल इन इलाकों में बार-बार तलाशी अभियान चलाते हैं। हाल की कार्रवाई इसी रणनीति का हिस्सा थी जिसमें यह पता लगाया जाता है कि माओवादी किस तरह से लॉजिस्टिक्स और हथियारों की सप्लाई बनाए रखते हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह बरामदगी माओवादी नेटवर्क के खिलाफ हमारी रणनीतिक बढ़त को दर्शाता है। इस तरह की कार्रवाई से उनके हमलों की क्षमता को सीधे प्रभावित किया जाता है।”
इससे पहले अप्रैल–मई 2025 में छत्तीसगढ़ में हुए 21 दिवसीय विशेष ऑपरेशन में करीब 31 माओवादी मारे गए थे और 450 से अधिक IEDs जब्त किए गए थे। इन अभियानों ने माओवादी संगठनों की कमर तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
हालिया बरामदगी यह दर्शाती है कि माओवादी संगठन फिर से लॉजिस्टिक तैयारियों में लगे थे, लेकिन सुरक्षाबलों की समय पर कार्रवाई ने एक बड़ा हादसा टाल दिया।
यह अभियान माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे ग्रामीणों के लिए भी राहत की बात है, क्योंकि ऐसे विस्फोटक सामग्री का उनकी सुरक्षा पर गंभीर खतरा बना रहता है। बार-बार होने वाली IED घटनाओं से ग्रामीण दहशत में रहते हैं और विकास कार्य प्रभावित होते हैं।
अब जब ऐसी खतरनाक सामग्री को जब्त कर लिया गया है, तो स्थानीय प्रशासन और पुलिस की ओर से ग्रामीण इलाकों में भरोसा बहाल करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की योजना है।
बीजापुर के करीगुटा क्षेत्र में सुरक्षा बलों द्वारा की गई यह कार्रवाई न केवल माओवादियों की एक बड़ी योजना को विफल करने में सफल रही, बल्कि इससे सुरक्षाबलों का मनोबल भी बढ़ा है। यह अभियान दर्शाता है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां माओवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।