




भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को एक उच्चस्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि आज कुछ देश खुले तौर पर अंतरराष्ट्रीय नियमों और वैश्विक समझौतों का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि वर्तमान बहुपक्षीय संस्थाओं, जैसे संयुक्त राष्ट्र, में आवश्यक सुधार नहीं हुए, तो विश्व व्यवस्था में विश्वास का संकट उत्पन्न हो सकता है।
राजनाथ सिंह United Nations Chiefs of Defence Conference (UNTCC) में बोल रहे थे। यह सम्मेलन वैश्विक सुरक्षा, सैन्य सहयोग और बहुपक्षीय रणनीति पर केंद्रित था। अपने भाषण में उन्होंने “नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था” (Rule-based Global Order) की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया जिन जटिल समस्याओं का सामना कर रही है — जैसे क्षेत्रीय संघर्ष, आतंकवाद, साइबर खतरें, और मानवीय संकट — उनका समाधान पुराने ढांचों से संभव नहीं है। उन्होंने कहा:
“कुछ देश मौजूदा अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जबकि कुछ अन्य देश नए नियम बनाकर भविष्य की वैश्विक सत्ता पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहते हैं। यह स्थिति न केवल खतरनाक है, बल्कि वैश्विक शांति के लिए गंभीर चुनौती भी है।”
उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं, जिन्हें विश्व व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है, अब अपनी प्रासंगिकता और प्रभावशीलता खो रही हैं।
हालाँकि राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-गाज़ा संघर्ष, और दक्षिण चीन सागर विवाद के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है। यह स्पष्ट संकेत था कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मूकदर्शक नहीं रहना चाहता, बल्कि वह सक्रिय भूमिका निभाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
राजनाथ सिंह ने भारत की शांतिपूर्ण परंपरा और वैश्विक जिम्मेदारी का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने हमेशा “शांति के साथ शक्ति” के सिद्धांत का पालन किया है। उन्होंने बताया कि भारत ने:
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50 से अधिक संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भाग लिया है
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2.5 लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने UN मिशनों में सेवा दी है
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170 से अधिक सैनिकों ने प्राणों की आहुति दी है
उन्होंने कहा कि भारत किसी भी प्रकार की आक्रामकता के पक्ष में नहीं है, लेकिन जब राष्ट्रहित और वैश्विक शांति की बात आती है, तो भारत अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटता।
राजनाथ सिंह ने वैश्विक मंच पर यह बात स्पष्ट की कि संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं अब वर्तमान भू-राजनीतिक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने में असमर्थ हो रही हैं। उन्होंने कहा:
“हम 20वीं सदी के बनाए ढांचों से 21वीं सदी की समस्याओं को नहीं सुलझा सकते। समय की मांग है कि हम बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार करें ताकि वे निष्पक्ष, समावेशी और प्रभावशाली बन सकें।”
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि सुधार नहीं किए गए, तो ऐसे ढांचे केवल वैश्विक अविश्वास और विभाजन को बढ़ावा देंगे।
अपने भाषण में राजनाथ सिंह ने वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक “4C अप्रोच” का प्रस्ताव भी दिया, जो निम्नलिखित चार बिंदुओं पर आधारित है:
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Consultation (परामर्श): निर्णय लेने से पहले सभी हितधारकों की राय ली जाए
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Cooperation (सहयोग): सभी देशों के बीच भागीदारी सुनिश्चित हो
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Coordination (समन्वय): नीतियों और कार्रवाइयों में तालमेल बना रहे
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Capacity Building (क्षमता निर्माण): देशों को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने पर ज़ोर दिया जाए
उन्होंने कहा कि यह मॉडल न केवल रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में, बल्कि वैश्विक विकास, जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और मानवीय सहायता जैसे क्षेत्रों में भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
रक्षा मंत्री का यह बयान केवल एक सामान्य भाषण नहीं, बल्कि भारत की बदलती विदेश और रक्षा नीति का स्पष्ट संकेत है। भारत अब उन राष्ट्रों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की दिशा में है जो अंतरराष्ट्रीय नियमों की अवहेलना कर रहे हैं।