




बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के लिए नामांकन की आखिरी तारीख से महज़ तीन दिन पहले, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में गंभीर अंतर्विरोध के संकेत मिलने लगे हैं।
राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी (RLM) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा कथित तौर पर सीट बंटवारे से नाराज़ हैं और उन्होंने आज अचानक दिल्ली जाने का निर्णय लिया, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल तेज़ हो गई है।
मंगलवार रात को बीजेपी के वरिष्ठ नेता — सम्राट चौधरी, नित्यानंद राय और नितिन नवीन — पटना स्थित उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर पहुंचे। करीब एक घंटे तक बंद कमरे में बातचीत चली, जिसके बाद कुशवाहा ने बाहर आकर मीडिया से कहा:
“इस बार कुछ भी ठीक नहीं है NDA में। हमने उम्मीद के साथ गठबंधन किया था, लेकिन फैसले थोपे जा रहे हैं।”
कुशवाहा खासकर महुआ विधानसभा सीट को लेकर नाराज़ हैं, जिसे चिराग पासवान की अगुआई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को दिया गया है। यह सीट RLM का मजबूत गढ़ मानी जाती रही है, और 2020 में RLM ने वहां से अच्छा प्रदर्शन किया था।
RLM ने बुधवार को होने वाली अपनी केंद्रीय समिति की बैठक को स्थगित कर दिया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उपेंद्र कुशवाहा दिल्ली में भाजपा नेतृत्व से अंतिम बातचीत के लिए रवाना हो रहे हैं।
क्या RLM NDA छोड़ सकती है? — इस पर अब अटकलें तेज़ हैं। हालांकि अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन पार्टी के अंदर से यह संकेत मिल रहा है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो RLM गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने का फैसला ले सकती है।
एनडीए के अंदरूनी संकट की तस्वीर तब और साफ हुई जब जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद अजय कुमार मंडल ने खुलासा किया कि उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात का मौका नहीं मिल रहा है। उन्होंने नाराज़गी जताते हुए इस्तीफा देने की पेशकश कर दी।
मंडल ने कहा:
“हम अपनी ही पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं की आवाज़ ऊपर तक नहीं पहुँच रही।”
इस बयान से स्पष्ट है कि JDU के भीतर भी असंतोष पनप रहा है, जिसे अगर समय रहते नहीं संभाला गया तो यह एनडीए की चुनावी संभावनाओं पर असर डाल सकता है।
NDA जहां आंतरिक विवाद से जूझ रहा है, वहीं महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, वामदल) में भी अब तक सीटों का अंतिम बंटवारा नहीं हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक:
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राजद अधिकतर सीटों पर दावेदारी कर रहा है,
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कांग्रेस कम सीटें मिलने से असंतुष्ट है,
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वामदलों को सीमित क्षेत्रीय सीटों पर ही संतोष करना पड़ रहा है।
तीनों दल उम्मीदवारों की अंतिम सूची तैयार करने में जुटे हैं, लेकिन आपसी समन्वय की कमी से ऐलान में देरी हो रही है।
बिहार चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन की अंतिम तिथि केवल तीन दिन दूर है। ऐसे में राजनीतिक दलों के पास सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन को अंतिम रूप देने के लिए बहुत कम समय बचा है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि:
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यदि RLM एनडीए से अलग होती है,
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और JDU में असंतोष बढ़ता है,
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तो NDA की एकजुटता पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं।
वहीं महागठबंधन यदि अंतिम समय तक सीटों को लेकर उलझा रहा, तो आंतरिक मतभेद प्रचार पर असर डाल सकते हैं।
RLM की नाराज़गी और JDU के भीतर असंतोष अगर सार्वजनिक रूप से फूटता है, तो महागठबंधन को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिल सकती है।
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कुशवाहा का कोइरी-कुर्मी समुदाय पर प्रभाव है,
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यदि वे NDA छोड़ते हैं, तो पूर्वी और मध्य बिहार की कई सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं।
महुआ सीट, जिसे लेकर विवाद खड़ा हुआ है, मुजफ्फरपुर जिले की रणनीतिक सीट मानी जाती है। LJP(R) के पास यह सीट देना RLM को कमजोर करने जैसा कदम समझा जा रहा है।
बिहार चुनाव 2025 अब केवल जनता से जुड़े मुद्दों पर नहीं, बल्कि राजनीतिक गठबंधनों की स्थिरता और नेतृत्व की क्षमता पर भी परीक्षा बन चुका है।