




भारत राष्ट्र समिथि (BRS) ने दावा किया है कि ज्यूबिली हिल्स विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ, डुप्लिकेट एवं फर्जी नाम शामिल किए गए हैं। पार्टी नेतृत्व ने चेतावनी दी है कि यदि चुनाव आयोग (ECI) इन शिकायतों का तुरंत समाधान नहीं करता, तो वह तेलंगाना हाई कोर्ट में याचिका दायर करेगी।
BRS के वरिष्ठ नेता K. T. Rama Rao (KTR) ने आरोप लगाया है कि ज्यूबिली हिल्स की वोटर लिस्ट में 23,000 नए मतदाताओं को भारी संदेह के साथ शामिल किया गया, जबकि लगभग 12,000 मतदाताओं को सूची से हटा दिया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि BRS की फील्ड जाँच में कई ऐसे उदाहरण मिले हैं जहाँ एक छोटे से पते पर 43 मतदाता दर्ज हैं, जबकि वहाँ वास्तव में इतने लोग नहीं रहते।
कुछ अन्य कथित अनियमितताएँ शामिल हैं:
-
एक ही पते पर 251 मतदाता का नाम दर्ज होना।
-
ऐसे नाम जो दूसरे विधानसभा क्षेत्रों से जुड़े मतदाताओं के हैं, लेकिन उन्हें ज्यूबिली हिल्स में जोड़ दिया गया।
-
कुछ नामों की डुप्लिकेट प्रविष्टि और एक से अधिक EPIC कार्ड्स (मतदाता पहचान संख्या) होने का आरोप।
KTR ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और स्थानीय अधिकारियों ने मिलकर इस ‘मतदाताओं की चोरी’ को अंजाम दिया है ताकि चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में झुक जाए।
निदेशक चुनाव अधिकारी (DEO) और जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से कहा गया है कि इन आरोपों की तत्काल जाँच की जाएगी, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि संबंधित नाम वोटर सूची में 2023 से ही शामिल थे और नई प्रविष्टि नहीं की गई है।
तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि जहाँ आरोपित पते पर विवाद हो रहा है — जैसे House No. 8‑3‑231/B/118, 119, 160 आदि — वहाँ वास्तव में बहुमंजिली और फ्लैट्स हैं, जिससे मतदाताओं की संख्या अधिक दिखती है।
वहीं, अधिकारियों का यह कहना है कि BRS द्वारा लगाए गए सारे नाम वोटर सूची में पहले से ही थे, और कोई नई भर्ती नहीं हुई।
KTR ने कहा है कि पार्टी ने पहले ही CEO को विस्तृत शिकायत दी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब BRS हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने को मजबूर है।
याचिका में BRS यह मांग करेगी कि:
-
सभी संदिग्ध वोटर नामों को हटाया जाए
-
डुप्लिकेट और फर्जी प्रविष्टियों की जांच हो
-
जांच में शामिल अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए
-
नयी सूची जारी की जाए, ताकि उपचुनाव निष्पक्ष तरीके से हो सके
KTR ने स्पष्ट किया कि अगर ECI ने 24 घंटे में कार्रवाई नहीं की तो पार्टी अदालत जाएगी।
BRS यह दावा करता है कि यदि वोटर सूची में इस तरह की भेदभावपूर्ण और मनमानी प्रविष्टियाँ स्वीकार की जाती हैं, तो चुनाव प्रक्रिया भ्रष्ट होगी और लोकतंत्र की नींव कमजोर पड़ेगी।
यह मामला सिर्फ ज्यूबिली हिल्स तक सीमित नहीं है — यह पूरे चुनावी तंत्र, नागरिकों के मतदान अधिकार और सार्वजनिक विश्वास पर सवाल खड़ा करता है।
चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हाई कोर्ट याचिका को स्वीकार करे, तो ECI और संबंधित अधिकारियों के सामने कठोर जवाबदेही का दायरा खुल जाएगा।
BRS की हाई कोर्ट जाने की योजना चुनावी विवाद को और हवा दे रही है। जहां एक ओर उनकी शिकायतें गहरी और ठोस लग रही हैं, वहीं प्रशासन और चुनाव आयोग द्वारा दिए गए उत्तर कुछ हद तक तर्कसंगत हैं।