




2025 का यह Diwali-सीजन भारतीय कमोडिटी बाजारों के लिए सुनहरे मौकों से भरा हुआ है। 15 अक्टूबर को तेजी दिखाती हुई दिशा ने निवेशकों को उम्मीदों के बीच खड़ा कर दिया है। देश में सोना-चांदी दोनों ही धातुओं ने रिकॉर्ड छुआ है और MCX पर फ्यूचर्स बाजार में धारणा यह है कि तेजी का कदम और लंबा चल सकता है।
विभिन्न प्रमुख शहरों में 10 ग्राम 24-कैरेट सोने की दर आज 1,25,590 रुपये के स्तर पर आ गई है, जबकि 22-कैरेट संस्करण के लिए दर लगभग 1,15,124 रुपये दर्ज की गई है। चेन्नई में किसी एक तोले के मूल्य ने 1,25,890 रुपये को भी पार कर लिया। वहीं, मुंबई में इसकी दर 1,25,370 रुपये बताई गई है। ऐसा माना जा रहा है कि ये दरें मौजूदा साप्ताहिक दौर में और ऊपर जा सकती हैं।
चांदी ने भी बाज़ार में तीव्र रुख अपनाया है। प्रति किलोग्राम चांदी का भाव आज लगभग 1,61,418 रुपये दर्ज हुआ है, जो निवेशक व गहना उद्योग दोनों के लिए चिंता और अवसर बन गया है। विशेष रूप से चांदी ETFs में प्रीमियम का मामला उभरा है, जहाँ शुद्ध (शेयर आधारित) चांदी की मांग बढ़ने से ये ETFs 10–15 % तक अधिक प्रीमियम पर कारोबार कर रहे हैं।
MCX पर दिसंबर वायदा (फ्यूचर्स) में सोने ने 1,26,652 रुपये (10 ग्राम) की नई ऊँचाई छूई है—लगभग 1.6 % की बढ़त के साथ। इसी तरह चांदी वायदा भी लगभग 5% की उछाल लेकर 1,62,057 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है।
बाजार विश्लेषक इस तेजी को मुख्यतः निम्नलिखित प्रमुख कारणों से जोड़ रहे हैं — वैश्विक अनिश्चितताएँ, यूएस और चीन के बीच व्यापार तनाव, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें और रूपी की कमजोरी। एक कमजोर डॉलर सोने को अन्य मुद्राओं में सस्ता बनाता है और निवेशकों को आकर्षित करता है।
Goldman Sachs जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ भविष्य में इस रुझान को और तेज देख रही हैं। उनकी भविष्यवाणी है कि दिसंबर 2026 तक सोना लगभग $4,900 प्रति औंस पर पहुँच सकता है।
तकनीकी दृष्टि से, सोना इस समय एक मजबूत उछाल पर है। समर्थन स्तरों (support) और प्रतिरोध स्तरों (resistance) को भांपते हुए ट्रेडर्स को सतर्क रहना चाहिए। यदि भाव 1,20,000–1,22,000 रुपये के बीच गिरता है तो यह समर्थन बना रहेगा, अन्यथा ऊपर की ओर तेजी 1,28,000 रुपये तक दर्ज की जा सकती है।
एक और चुनौती चांदी बाज़ार में देखी जा रही है — फिजिकल सप्लाई की कमी। उत्तरी अमेरिका और यूरोप में भण्डार कम हैं, जिसके कारण ETFs को प्रदर्शन में प्रीमियम देना पड़ रहा है। इस अभाव ने निवेशकों में “सप्लाई शॉर्टेज” भाव पैदा कर दिया है।
वित्तीय संस्थान UTI ने चांदी आधारित ETF में नए निवेश स्वीकार करना रोक दिया है। उन्होंने यह कदम चांदी की घरेलू कीमतों में बाहरी दबाव और कमी के कारण उठाया है।
इस समय निवेशकों व खरीददारों को यह समझना आवश्यक है कि यह चरण ‘उपयोग अवधि’ (momentum phase) के रूप में देखा जा सकता है। तेजी चाहे कितनी भी हो, कभी-कभी लाभ लेने (profit booking) की लहर भी आती है। यदि वैश्विक संकेतक मजबूत बने रहते हैं और आर्थिक मोर्चे पर स्थिरता दिखेगी, तो आगे की ओर बढ़त संभव है।
निवेशक और जौहरी उद्योग विशेष रूप से इस समय सोना-चांदी की स्थिति पर निगाहें गड़ाए हुए हैं। त्योहारों और शादियों के मौसम में ये धातुएँ पारंपरिक तोहफा और निवेश के रूप में विशेष महत्व रखती हैं। हालांकि, लगातार बढ़ती दरों के कारण लागत को संतुलित करना चुनौती बन सकता है।
संक्षिप्त निष्कर्ष यह है कि भारत में आज 15 अक्टूबर 2025 को सोने और चांदी दोनों के भाव उच्च स्तर पर हैं। MCX गोल्ड फ्यूचर्स ने नए रिकॉर्ड्स बनाए हैं और आगे बढ़ने की संभावना बनी हुई है। हालांकि यदि वैश्विक आर्थिक संकेतक या ब्याज दरों में अचानक बदलाव हुआ, तो बाजार में रुख बदल सकता है। निवेशकों को सतर्क रहना और समय-समय पर स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करना उपयोगी होगा।