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    गृह विभाग के आदेश के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई — अधिकारी चुप क्यों?

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    भोपाल में यासमीन कुरैशी प्रकरण एक बार फिर चर्चा में है। गृह विभाग, मध्य प्रदेश शासन द्वारा जारी स्पष्ट आदेश के बावजूद पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर अब सवाल उठने लगे हैं।

    3 अक्टूबर को जनता की आवाज़ द्वारा प्रसारित खबर में बताया गया था कि गृह विभाग ने पत्र क्रमांक 2621 / गृह / 2025, दिनांक 04/10/2025 के तहत भोपाल के डीसीपी को तुरंत जांच और कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे।

    हालांकि अब तक न तो कोई जांच अधिकारी पीड़िता से संपर्क में आया, और न ही किसी कार्यवाही की आधिकारिक जानकारी दी गई है। इससे यह साफ प्रतीत होता है कि गृह विभाग के आदेश को पुलिस अधिकारियों द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है।

    पीड़िता यासमीन कुरैशी ने जनता की आवाज़ से बातचीत में कहा —

    “जब खुद गृह विभाग का आदेश ही पुलिस अधिकारी नजरअंदाज कर दें, तो आम जनता अपनी बात कहां ले जाए? मैं अब इस आदेश को फिर से जनता के सामने रख रही हूं ताकि सच्चाई दब न सके।”

    यासमीन ने यह भी बताया कि उन्होंने 3 अक्टूबर को अपने लापता बच्चों के वीडियो के अवैध प्रसारण, धमकी भरे कॉल और साइबर अपराध की शिकायत की थी।
    इसके बाद गृह विभाग ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए डीसीपी को तत्काल जांच का आदेश भेजा था।

    गृह विभाग के पत्र क्रमांक 2621 / गृह / 2025 में स्पष्ट लिखा गया था कि —

    “शिकायत गंभीर प्रकृति की है। अतः तत्काल प्रभाव से जांच प्रारंभ की जाए एवं रिपोर्ट गृह विभाग को प्रस्तुत की जाए।”

    लेकिन 10 दिन बीत जाने के बाद भी न तो जांच आरंभ हुई है, न रिपोर्ट तैयार की गई।
    मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अब सवाल उठ रहा है कि —
    क्या भोपाल पुलिस गृह विभाग के आदेशों की अवहेलना कर रही है?

    जनता की आवाज़ टीम ने गृह विभाग और भोपाल पुलिस प्रशासन से यह स्पष्ट रिपोर्ट जारी करने की मांग की है कि —

    1. आदेश जारी होने के बावजूद कार्रवाई में देरी क्यों हुई?

    2. कौन अधिकारी आदेश के पालन में लापरवाह साबित हो रहे हैं?

    3. पीड़िता से अब तक कोई संपर्क क्यों नहीं किया गया?

    टीम का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि शासन के आदेशों की विश्वसनीयता से जुड़ा हुआ है।

    भोपाल में प्रशासनिक गलियारों में अब यह चर्चा आम हो गई है कि क्या उच्चाधिकारियों तक यह आदेश सही ढंग से पहुंचा ही नहीं, या जानबूझकर टाला जा रहा है?

    स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी मांग की है कि गृह विभाग को इस प्रकरण में स्पष्ट रुख अपनाते हुए जवाबदेही तय करनी चाहिए।

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