




राजेश चौधरी | झुंझुनू, राजस्थान | समाचार वाणी न्यूज़
राजस्थान के खेल जगत में नई प्रतिभाएँ लगातार उभर रही हैं। इसी क्रम में भादरा तहसील, जिला हनुमानगढ़ की मूल निवासी और वर्तमान में झुंझुनू जिले में रहकर पढ़ाई कर रही नफीसा खान पुत्री इस्ताक खान को राज्य स्तरीय सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करने पर सम्मानित किया गया।
सम्मान समारोह का आयोजन केसीसी के नेहरू मैदान में किया गया, जहाँ राज्य स्तरीय सीनियर फुटबॉल और सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर लौटे खिलाड़ियों का माल्यार्पण और पारंपरिक साफा पहनाकर स्वागत किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजसेवी हरिराम गुर्जर रहे, जबकि अध्यक्षता उप जिला प्रमुख सतवीर गुर्जर ने की। विशिष्ट अतिथियों में फुटबॉल कोच कैलाश शर्मा, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष धर्मवीर गुर्जर, अनिल डागर (माकड़ों), मुकेश खटाना (दूधवा), इस्ताक खान, विक्रम सैनी, और विजय सैनी शामिल रहे।
मुख्य अतिथि हरिराम गुर्जर ने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि “ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं होती, केवल उन्हें सही दिशा और अवसर की आवश्यकता होती है। सरकार और समाज दोनों को मिलकर ऐसी प्रतिभाओं को आगे बढ़ाना चाहिए।”
राजस्थान पुलिस में कार्यरत राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी महेंद्र कसाना (कुठानिया निवासी) ने कोटा में आयोजित राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करने वाले नीरज निर्वाण, रणवीर गुर्जर, और आनंद शर्मा का स्वागत किया।
इसी दौरान राज्य स्तरीय सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने पर नफीसा खान को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
नफीसा खान के पिता इस्ताक खान स्वयं भी एक उत्कृष्ट फुटबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। नफीसा ने कहा कि “मुझे खेल के प्रति प्रेरणा अपने पिता से मिली है। उन्होंने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया और हर कदम पर सहयोग दिया।”
नफीसा ने यह भी कहा कि लड़कियों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। खेल न केवल आत्मविश्वास बढ़ाते हैं बल्कि अनुशासन और टीम भावना भी सिखाते हैं।
उन्होंने कहा कि “मैं आगे भी मेहनत जारी रखूंगी और अपने जिले के साथ-साथ पूरे राजस्थान का नाम रोशन करने का प्रयास करती रहूंगी।”
समारोह में मौजूद समाजसेवी, खिलाड़ियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने नफीसा खान की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि ग्रामीण परिवेश से आने के बावजूद उन्होंने साबित किया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और परिवार के सहयोग से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
महेंद्र कसाना ने कहा कि “हमारा प्रयास है कि गांवों की प्रतिभाओं को पहचाना जाए, उन्हें प्रशिक्षित किया जाए और समय-समय पर सम्मानित कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए।”
नफीसा खान की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार और जिले के लिए गर्व का विषय है, बल्कि उन सभी बेटियों के लिए प्रेरणा है जो खेलों में करियर बनाना चाहती हैं। उनका समर्पण और लगन यह साबित करता है कि अगर सपने बड़े हों और मेहनत सच्ची हो, तो सफलता निश्चित है।