




कर्नाटक सरकार में आईटी‑बीटी और ग्रामीण विकास मंत्री प्रियंक खड़गे एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया है जिसमें उन्हें गाली और धमकी देने वाली एक कॉल की रिकॉर्डिंग है। यह कॉल उस वक्त आई जब उन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों को सरकारी संस्थानों में प्रतिबंधित करने की मांग की थी।
प्रियंक खड़गे ने बुधवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें एक अज्ञात व्यक्ति फोन पर उन्हें अपशब्द कहता और धमकाता सुनाई देता है। यह कॉल स्पष्ट रूप से उनके RSS से जुड़े बयान के बाद आई है।
वीडियो के साथ उन्होंने लिखा:
“हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष से नहीं है। यह मानसिकता से है, जो RSS जैसी संस्थाएं फैला रही हैं। यह कॉल उस जहरीली सोच का परिणाम है, जो आज देश में डर और नफरत का माहौल बना रही है।”
यह विवाद तब शुरू हुआ जब प्रियंक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर मांग की थी कि कर्नाटक के सरकारी भवनों, कार्यालयों और संस्थानों में RSS की शाखाएं और गतिविधियाँ प्रतिबंधित की जाएं। उनका तर्क था कि किसी भी राज्य संपत्ति का उपयोग किसी वैचारिक संगठन के प्रचार के लिए नहीं होना चाहिए।
उनके इस बयान ने कर्नाटक की राजनीति में हलचल मचा दी। भाजपा और संघ परिवार ने खड़गे के बयान की तीखी आलोचना की, वहीं कांग्रेस समर्थकों ने इसे धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए जरूरी कदम बताया।
वीडियो के ज़रिए धमकी भरी कॉल को उजागर करते हुए खड़गे ने स्पष्ट किया कि वे इस तरह की मानसिकता से डरने वाले नहीं हैं।
उन्होंने कहा:
“मैं इस कॉलर के खिलाफ कोई पुलिस केस दर्ज नहीं कर रहा, क्योंकि मेरा उद्देश्य इन मानसिकताओं को उजागर करना है। मैं चाहता हूं कि जनता देखे कि जब कोई व्यक्ति सच बोलता है, तो उसे किस तरह से चुप कराने की कोशिश की जाती है।”
भाजपा नेताओं ने खड़गे के वीडियो और बयान को राजनीतिक नौटंकी करार दिया। भाजपा प्रवक्ता नलिन कुमार कतील ने कहा:
“अगर मंत्री को धमकी मिली है तो उन्हें कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। मगर सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो पोस्ट करना सिर्फ सहानुभूति बटोरने की राजनीति है।”
दूसरी ओर, कांग्रेस नेताओं ने खड़गे का समर्थन करते हुए कहा कि “सच बोलने वालों को डराना एक खतरनाक प्रवृत्ति बनती जा रही है।”
कानून विशेषज्ञों के अनुसार, किसी मंत्री या नागरिक को धमकी देना आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी) और आईटी अधिनियम की धाराओं के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
हालांकि, खड़गे ने अभी तक किसी FIR की पुष्टि नहीं की है, बल्कि इसे एक वैचारिक संघर्ष करार दिया है, न कि कानूनी विवाद।
प्रियंक खड़गे का यह बयान और उसके बाद धमकी कॉल का वीडियो केवल एक व्यक्ति विशेष का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे आज भारत में वैचारिक मतभेदों को डर और धमकी के जरिए दबाने की कोशिश की जा रही है।
खड़गे का यह कहना कि “हमारी लड़ाई मानसिकता से है” यह स्पष्ट संकेत देता है कि वह इसे बड़ी सामाजिक और राजनीतिक लड़ाई के रूप में देख रहे हैं।