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    रूस ने ट्रंप की चेतावनी को नकारा: “हमारी अर्थव्यवस्था स्थिर है” — रूसी उपप्रधानमंत्री नोवाक का जवाब

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    रूस ने बुधवार को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा रूसी अर्थव्यवस्था को “पतन के कगार पर” बताने वाले बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ट्रम्प ने हाल ही में दावा किया था कि रूस में ईंधन की भारी कमी है और इसका सीधा असर उसकी आर्थिक स्थिरता पर पड़ रहा है। हालांकि, रूस के उपप्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था और पेट्रोल आपूर्ति पूरी तरह संतुलन में है।

    नोवाक ने ऊर्जा क्षेत्र पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा:

    “हमारी घरेलू आपूर्ति पूरी तरह से स्थिर है। हमें इस दिशा में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं दिख रही है। कुछ अस्थायी अड़चनें थीं, लेकिन उन्हें दूर कर लिया गया है।”

    डोनाल्ड ट्रम्प, जो कि एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में हैं, ने एक रैली के दौरान कहा था कि रूस की अर्थव्यवस्था जल्द ही ध्वस्त हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें और ईंधन की कमी दर्शाती है कि देश अंदर से खोखला हो रहा है।

    ट्रम्प के अनुसार, रूस यूक्रेन युद्ध में फंसकर अपने संसाधनों को तेजी से खत्म कर रहा है और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के कारण उसकी स्थिति बेहद नाजुक हो गई है।

    उनके शब्दों में:

    “रूस आज सबसे गहरे आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है। पेट्रोल की कतारें इस बात का प्रमाण हैं कि अंदरूनी हालात बेहद खराब हैं।”

    अलेक्जेंडर नोवाक ने इस कथन को “राजनीतिक प्रोपेगेंडा” करार देते हुए कहा कि कुछ क्षेत्रों में पेट्रोल की अस्थायी कमी यूक्रेनी ड्रोन हमलों के कारण कुछ रिफाइनरियों में आई तकनीकी गड़बड़ियों के कारण उत्पन्न हुई थी।

    नोवाक ने यह भी बताया कि रूस ने सितंबर में अस्थायी रूप से पेट्रोल और डीजल का निर्यात रोका था ताकि घरेलू मांग को प्राथमिकता दी जा सके।

    “हमने कुछ समय के लिए निर्यात को नियंत्रित किया ताकि घरेलू आपूर्ति सुचारू बनी रहे। अब हम स्थिति को सामान्य करने की दिशा में काम कर रहे हैं।”

    हालांकि, यह भी सच है कि पश्चिमी प्रतिबंधों, महंगाई और युद्ध खर्च ने रूस की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की रिपोर्ट के अनुसार, रूस की जीडीपी वृद्धि दर 2025 में गिरकर 1.0% पर आ गई है, जो 2023 के 3.5% की तुलना में काफी कम है।

    लेकिन रूस ने इसके लिए पूर्व योजना बनाई थी। ऊर्जा के वैकल्पिक बाज़ार जैसे चीन, भारत और अरब देशों के साथ व्यापार समझौतों ने रूसी अर्थव्यवस्था को एक हद तक संतुलित रखा है।

    रूस के सेंट्रल बैंक ने भी हाल ही में संकेत दिया कि रूबल की विनिमय दर स्थिर बनी हुई है और महंगाई दर पर काबू पाने के प्रयास सफल हो रहे हैं।

    विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प का यह बयान सिर्फ रूस के खिलाफ नहीं बल्कि अमेरिकी चुनावी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 2026 में होने हैं और ट्रम्प रूस के खिलाफ कड़ा रुख दिखाकर अपनी विदेश नीति को मजबूत साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।

    रूसी विदेश मंत्रालय ने भी इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

    “इस प्रकार के बयान वैश्विक स्थिरता को नुकसान पहुंचाते हैं। अमेरिका को चाहिए कि वह अपनी सीमाओं के भीतर रहे और अंतरराष्ट्रीय मामलों में गैर-ज़रूरी दखल देना बंद करे।”

    ट्रम्प के बयान और रूस की प्रतिक्रिया का सीधा असर वैश्विक तेल बाजारों पर भी पड़ा। बुधवार को ब्रेंट क्रूड की कीमतों में मामूली उछाल देखा गया। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, यदि रूस में वाकई कोई गंभीर ईंधन संकट उत्पन्न होता है, तो इसका असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ सकता है।

    हालांकि, रूसी ऊर्जा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि घरेलू ज़रूरतें पूरी होने के बाद ही निर्यात को फिर से शुरू किया जाएगा और अंतरराष्ट्रीय अनुबंधों को पूरा किया जाएगा।

    जहां एक ओर डोनाल्ड ट्रम्प रूस की अर्थव्यवस्था को अस्थिर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं रूस सरकार आंकड़ों और तथ्यों के माध्यम से यह साबित करना चाहती है कि वह नियंत्रण में है।

    इस बयानबाजी की लड़ाई का न सिर्फ राजनयिक महत्व है, बल्कि इसका असर वैश्विक राजनीति, ऊर्जा नीति और युद्ध की दिशा पर भी पड़ेगा।

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