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    शेयर बाजार में तेज़ी की बहार: निफ्टी और सेंसेक्स में उछाल, वैश्विक संकेत और ट्रम्प के टैरिफ फैसलों का दिखा असर

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    आज भारतीय शेयर बाजार ने सप्ताह के मध्य में जोश से भरी शुरुआत की, जहां निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स दोनों में उल्लेखनीय उछाल देखा गया। यह तेजी अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की संभावना और डोनाल्ड ट्रम्प के नए टैरिफ नीति के वैश्विक प्रभाव से प्रेरित रही।

    शुरुआत में ही सेंसेक्स लगभग 320 अंकों की मजबूती के साथ खुला और दिनभर की ट्रेडिंग में यह बढ़त बनी रही। निफ्टी 50 ने भी 25,200 के ऊपर खुद को स्थिर रखते हुए निवेशकों को राहत दी। घरेलू निवेशकों के साथ-साथ विदेशी संस्थागत निवेशकों की खरीदारी ने बाजार को गति दी।

    बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक (Federal Reserve) द्वारा भविष्य में दरों में कटौती के संकेत ने वैश्विक निवेशकों का भरोसा फिर से मजबूत किया है। इससे न केवल अमेरिकी शेयर बाजारों में तेजी आई, बल्कि एशियाई बाजारों में भी सकारात्मक असर पड़ा और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा।

    आईटी, बैंकिंग और ऑटो सेक्टर के स्टॉक्स में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिली। खासतौर पर आईटी सेक्टर के कुछ प्रमुख खिलाड़ियों ने उम्मीद से बेहतर तिमाही नतीजे पेश किए हैं, जिससे निवेशकों का रुझान और भी मजबूत हुआ है।

    दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका द्वारा चीन और कुछ अन्य एशियाई देशों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा ने एक बार फिर व्यापार युद्ध की चिंता को हवा दी है। ट्रम्प ने कहा है कि यह टैरिफ “अमेरिकी बाजारों की सुरक्षा और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा” देने के लिए आवश्यक हैं। हालांकि, इसका असर वैश्विक व्यापार आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ सकता है, जिससे उभरती अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं।

    अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में चेतावनी दी है कि अगर वैश्विक बाजारों में व्यापार तनाव बढ़ा, तो आने वाले महीनों में “अराजक सुधार” (disorderly correction) की संभावना बनी रहेगी। IMF ने अपनी ताजा रिपोर्ट में वैश्विक विकास दर को 3.2% पर सीमित बताया है, जबकि भारत की विकास दर 6.6% तक बनाए रखने का अनुमान जताया गया है।

    इस बीच, निवेशकों की नजर आने वाले सप्ताह में घोषित होने वाले महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़ों और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की संभावित नीतियों पर भी टिकी है। अगर घरेलू मोर्चे पर स्थिरता बनी रहती है और विदेशी निवेशकों की धारणा सकारात्मक रहती है, तो बाजार में और मजबूती देखने को मिल सकती है।

    Dalal Street की आज की चाल से यह स्पष्ट हो गया है कि वैश्विक घटनाएं और आर्थिक नीतियां भारतीय शेयर बाजार को किस हद तक प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि बाजार में उतार-चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन जब वैश्विक संकेत मजबूत हों और घरेलू मोर्चे पर भी समर्थन मिले, तो निवेशकों को राहत मिलती है।

    विश्लेषकों का कहना है कि यह तेजी अस्थायी नहीं है, बल्कि इसके पीछे ठोस आर्थिक संकेत और वैश्विक सहयोग की संभावना है। हालांकि निवेशकों को सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है, क्योंकि बाजार में अस्थिरता के संकेत अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं।

    आज के बाजार में जो रुझान देखने को मिले, वे यह दर्शाते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक संकटों के बावजूद अपनी स्थिति को स्थिर बनाए रखने में सक्षम है। यह एक सकारात्मक संकेत है, खासकर तब जब विश्व भर के बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है।

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