




देश की सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम निर्णय लेते हुए दिल्ली-एनसीआर (NCR) क्षेत्र में दीपावली के दौरान हरित पटाखों (Green Firecrackers) की बिक्री और सीमित उपयोग की सशर्त अनुमति प्रदान की है।
यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब कुछ दिन पहले ही दिल्ली सरकार ने हरित पटाखों के सीमित उपयोग का समर्थन किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के पूर्ण प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटाते हुए इस साल की दिवाली को थोड़ी राहत दी है — मगर कड़ी शर्तों के साथ।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह अनुमति केवल हरित पटाखों तक सीमित है, और पारंपरिक प्रदूषणकारी पटाखों की बिक्री या उपयोग पर अब भी प्रतिबंध लागू रहेगा।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा:
“हम धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान करते हैं, लेकिन यह ज़रूरी है कि वातावरण और लोगों के स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दी जाए।”
कोर्ट ने सभी संबंधित एजेंसियों को आदेश दिया है कि वे नियमों के सख्त पालन को सुनिश्चित करें, और उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें।
हरित पटाखे वे आतिशबाज़ी उत्पाद हैं जिन्हें वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान CSIR (Council of Scientific & Industrial Research) द्वारा विकसित किया गया है। इनमें परंपरागत पटाखों की तुलना में कम हानिकारक रसायनों का प्रयोग होता है और ये 30–40% कम प्रदूषण करते हैं।
इन पटाखों में सल्फर, पोटैशियम नाइट्रेट और एलुमिनियम जैसे घातक रसायनों का या तो प्रयोग नहीं होता, या फिर बहुत ही सीमित मात्रा में होता है। इसके अलावा, इनमें आवाज और धुएं की तीव्रता भी कम होती है।
हर साल दीपावली के दौरान दिल्ली और NCR क्षेत्र में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर तक बढ़ जाता है। अक्टूबर-नवंबर के बीच:
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पराली जलाने की घटनाएं,
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वाहनों का उत्सर्जन,
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और पटाखों का उपयोग — सभी मिलकर हवा की गुणवत्ता को बेहद खराब कर देते हैं।
2024 की दीपावली के बाद दिल्ली का औसत AQI 490 से ऊपर पहुंच गया था, जो कि ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इसी कारण सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्षों में पटाखों पर सख्त प्रतिबंध लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने हरित पटाखों की अनुमति को इन शर्तों के साथ जोड़ा है:
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सिर्फ लाइसेंस प्राप्त विक्रेताओं को ही बिक्री की अनुमति दी जाएगी।
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पटाखे ऑनलाइन या होम डिलीवरी के माध्यम से नहीं बेचे जा सकेंगे।
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दीपावली पर पटाखे जलाने का समय रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक सीमित रहेगा।
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केवल प्रमाणित हरित पटाखे (CSIR द्वारा विकसित और QR कोड के साथ) ही प्रयोग किए जा सकेंगे।
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राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन गश्त व निगरानी करेगा।
दिल्ली सरकार ने कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर हरित पटाखों के सीमित उपयोग की वकालत की थी। सरकार का तर्क था कि:
“जनता की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए, यदि हरित पटाखों को सीमित समय में प्रयोग की अनुमति दी जाए, तो यह पर्यावरण और परंपरा — दोनों का संतुलन होगा।”
यह बयान जनता के बीच आए असंतोष को शांत करने की कोशिश भी थी, क्योंकि पिछले दो वर्षों से दिवाली पर पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध से कई लोग नाराज़ थे।
इस निर्णय से पटाखा उत्पादक उद्योग को भी राहत मिली है, जो कोविड काल और प्रतिबंधों के कारण गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। अब CSIR द्वारा प्रमाणित हरित पटाखों के निर्माण और वितरण को बढ़ावा मिलेगा।
पटाखा व्यापारियों का कहना है कि इससे हज़ारों श्रमिकों और कारीगरों की आजीविका बच सकेगी, साथ ही वे अब हरित विकल्पों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित होंगे।
यह मुद्दा वर्षों से विवादास्पद रहा है। एक ओर धार्मिक परंपराओं का हवाला दिया जाता है, दूसरी ओर प्रदूषण और स्वास्थ्य पर प्रभाव की चिंता भी जताई जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक संतुलित रुख अपनाया है। कोर्ट का कहना था कि:
“आस्था जरूरी है, पर जीवन और स्वास्थ्य उससे भी अधिक मूल्यवान हैं। त्योहार मनाएं, लेकिन जिम्मेदारी के साथ।”
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है — जहां नागरिकों के धार्मिक अधिकारों को संरक्षित रखते हुए, पर्यावरण और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्पष्ट सीमाएं तय की गई हैं।