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    Zubeen Garg मृत्यु मामला: बकसा जेल के बाहर उग्र विरोध, पुलिस का लाठीचार्ज, बढ़ाई गई सुरक्षा

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    असम के लोकप्रिय गायक और सांस्कृतिक प्रतीक Zubeen Garg की रहस्यमयी मृत्यु से जुड़ा मामला अब जनता और प्रशासन के बीच टकराव का रूप ले चुका है। बुधवार को जब पुलिस पांच आरोपियों को न्यायिक हिरासत के तहत बकसा केंद्रीय जेल ले जा रही थी, तभी जेल परिसर के बाहर भारी विरोध और पथराव की घटनाएं सामने आईं।

    स्थिति बेकाबू होती देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, और पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

    Zubeen Garg की मृत्यु की जांच में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें प्रमुख नाम हैं:

    • श्यामकानु महांता — एक प्रसिद्ध आयोजक, जिन पर शो प्रबंधन में लापरवाही और साजिश का आरोप है

    • सिद्धार्थ शर्मा — Zubeen के मैनेजर

    • संदीपन गर्ग — Zubeen के रिश्तेदार और निलंबित पुलिस अधिकारी

    • दो निजी सुरक्षा अधिकारी (PSOs)

    अदालत ने इन सभी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा है। इसी आदेश के तहत उन्हें बकसा जेल भेजा जा रहा था।

    बकसा जेल के बाहर जैसे ही आरोपियों को लाया गया, वहां मौजूद सैकड़ों स्थानीय लोग और समर्थक आक्रोशित हो गए।

    प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन इन हाई-प्रोफाइल आरोपियों को विशेष सुरक्षा और वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहा है। वे आरोपियों को जनता के सामने प्रस्तुत करने और सार्वजनिक सुनवाई की मांग कर रहे थे।

    बात तब बिगड़ गई जब भीड़ ने पुलिस वाहनों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। कई गाड़ियों के शीशे टूट गए और पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।

    स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए असम पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इसके बाद पूरे बकसा जेल परिसर की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है।

    वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर कैंप कर रहे हैं। एक महिला पुलिस अधिकारी को चोटें आई हैं और कुछ पत्रकारों पर भी हमला हुआ।

    पुलिस के मुताबिक:

    “स्थिति अब नियंत्रण में है लेकिन विरोध की आशंका को देखते हुए अतिरिक्त बल तैनात किया गया है।”

    स्थानीय लोगों का मानना है कि बकसा जेल, जो कि हाल ही में जून 2025 में चालू हुई है और अभी लगभग खाली है, को इसलिए चुना गया ताकि आरोपियों को अन्य कैदियों से अलग और विशेष सुरक्षा दी जा सके।

    इस पर एक प्रदर्शनकारी ने कहा:

    “ये एक नई जेल है, यहां कोई और कैदी नहीं है। ये सिर्फ इन लोगों को बचाने की चाल है।”

    प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि आरोपियों को वीआईपी सुविधा दी गई, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।

    Zubeen Garg का निधन 19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में हुआ था। आधिकारिक रिपोर्ट्स में इसे “दुर्घटनावश डूबने” की घटना बताया गया, लेकिन प्रशंसकों और सामाजिक संगठनों ने इसे सुनियोजित हत्या बताया है।

    सरकार ने जांच के लिए असम CID और SIT (Special Investigation Team) गठित की है। अब तक 8 लोगों से पूछताछ और 5 की गिरफ्तारी हो चुकी है।

    सोशल मीडिया पर #JusticeForZubeen ट्रेंड कर रहा है। फर्जी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और लीक हुई व्हाट्सएप चैट्स ने इस मामले को और विवादास्पद बना दिया है।

    CID ने स्पष्ट किया है कि:

    “फर्जी रिपोर्टें और अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

    असम के दो प्रमुख छात्र संगठनों — AJYCP और AASU — ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि आरोपियों को विशेष सुरक्षा दी गई तो वे राज्यव्यापी आंदोलन चलाएंगे।

    इन संगठनों ने 17 अक्टूबर से धरना, प्रदर्शन और मशाल जुलूस आयोजित करने का ऐलान किया है।

    • SIT ने सिंगापुर से CCTV फुटेज और फॉरेंसिक रिपोर्ट मांगी है

    • न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया है

    • सभी आरोपियों पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज है

    • विदेश मंत्रालय भी जांच में सहयोग कर रहा है

    Zubeen Garg की मृत्यु ने असम की आत्मा को झकझोर दिया है। यह मामला अब सिर्फ एक कलाकार की मौत नहीं, बल्कि जनता के विश्वास, पारदर्शिता और न्याय से जुड़ा हुआ है।

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