




उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में पिछले एक महीने से जारी भेड़ियों के आतंक का अंत होता दिखाई दे रहा है। गुरुवार सुबह वन विभाग की टीम ने अभियान चलाकर भेड़ियों के झुंड के एक और सदस्य को गोली मारकर ढेर कर दिया। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद की गई, जब जिले में लगातार बढ़ रहे हमलों से ग्रामीणों में भय का माहौल बन गया था।
जानकारी के अनुसार, भेड़ियों का एक झुंड पिछले कई हफ्तों से बहराइच के कैसरगंज, मिहींपुरवा और सुजौली क्षेत्रों में सक्रिय था। इन इलाकों में उन्होंने अब तक छह लोगों की जान ले ली थी, जबकि 29 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। ग्रामीणों के अनुसार, भेड़िए अक्सर शाम या रात के समय गांवों में घुस आते थे और खेतों में काम कर रहे या घर लौट रहे लोगों पर हमला कर देते थे।
स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद वन विभाग ने इलाके में विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया। इस दौरान ड्रोन कैमरों, ट्रैप कैमरों और ट्रैकिंग टीमों की मदद से भेड़ियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। गुरुवार सुबह तड़के वन विभाग को सूचना मिली कि एक भेड़िया सुजौली रेंज के जंगल क्षेत्र में घूम रहा है। टीम ने मौके पर पहुंचकर घेराबंदी की और आत्मरक्षा में उसे गोली मार दी।
वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि यह वही झुंड है जिसने हाल के दिनों में कई ग्रामीणों पर हमला किया था। विभाग के अनुसार, मारे गए भेड़िए की पहचान झुंड के एक प्रमुख सदस्य के रूप में हुई है। फिलहाल बाकी भेड़ियों की तलाश जारी है, और इलाके में सघन सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
पिछले एक महीने से बहराइच के ग्रामीण इलाकों में दहशत का माहौल था। बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया गया था और लोग खेतों में अकेले जाने से डरने लगे थे। कई गांवों में रात्रि पहरेदारी शुरू की गई थी ताकि लोगों को सतर्क किया जा सके। गांवों में रातभर डीजे और ढोल-नगाड़े बजाए जा रहे थे ताकि भेड़िए डरकर पास न आएं।
जिले के वन अधिकारी आर. के. सिंह ने बताया कि “मुख्यमंत्री कार्यालय से सख्त निर्देश दिए गए थे कि किसी भी कीमत पर जनता की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। हमारी टीमें लगातार जंगलों और गांवों में गश्त कर रही हैं। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और वन विभाग मिलकर स्थिति पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहे हैं।”
वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई है। जानवर को मारने से पहले उसकी स्थिति और व्यवहार का आकलन किया गया था। जब उसने टीम पर हमला करने की कोशिश की, तब आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी।
बहराइच में यह कोई पहली घटना नहीं है जब जंगली जानवरों ने ग्रामीणों को निशाना बनाया हो। इससे पहले भी नेपाल सीमा से सटे इन इलाकों में कई बार जंगली जानवरों के हमले दर्ज हो चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों के लगातार सिकुड़ने और मानव बस्तियों के बढ़ने से वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास प्रभावित हुआ है, जिसके चलते ये जानवर अब गांवों की ओर रुख कर रहे हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. सुरेश चौधरी के अनुसार, “भेड़िए बहुत चालाक और संवेदनशील जीव होते हैं। जब उनका प्राकृतिक भोजन स्रोत खत्म हो जाता है, तो वे इंसानों के संपर्क में आने लगते हैं। बहराइच का इलाका नेपाल के तराई जंगलों से जुड़ा है, और यही कारण है कि वहां के जानवर अक्सर भारतीय सीमा में आ जाते हैं।”
वहीं, ग्रामीणों ने वन विभाग की कार्रवाई पर राहत की सांस ली है। सुजौली क्षेत्र के निवासी रामलाल ने बताया, “हम पिछले कई दिनों से भय में जी रहे थे। बच्चों को बाहर नहीं निकलने देते थे। आज जब सुना कि एक भेड़िया मारा गया है, तो थोड़ी राहत मिली है। लेकिन अभी भी डर बना हुआ है कि बाकी भेड़िए कहीं लौट न आएं।”
बहराइच के जिलाधिकारी ने बताया कि प्रशासन ने घायल लोगों के इलाज के लिए विशेष मेडिकल टीम तैनात की है और मृतकों के परिजनों को सरकारी मुआवजा भी दिया गया है। इसके अलावा, गांवों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है ताकि लोग सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना अधिकारियों को दें।
फिलहाल, वन विभाग ने आसपास के गांवों में निगरानी बढ़ा दी है। ड्रोन की मदद से जंगलों का सर्वे किया जा रहा है और टीमों को 24 घंटे अलर्ट पर रखा गया है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही बाकी भेड़ियों को भी ट्रैक कर लिया जाएगा, ताकि इलाके में शांति बहाल की जा सके।
बहराइच में हुई यह कार्रवाई एक ओर जहां ग्रामीणों के लिए राहत की खबर लेकर आई है, वहीं यह घटना एक बार फिर इंसान और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की गंभीरता को उजागर करती है। जंगलों की घटती सीमा और मानव विस्तार की बढ़ती रफ्तार ने इन संघर्षों को और जटिल बना दिया है।