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    DRDO ने 32,000 फीट ऊंचाई पर मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम का सफल परीक्षण किया

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    भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बुधवार (15 अक्टूबर, 2025) को देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। DRDO द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम 32,000 फीट की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। यह परीक्षण भारतीय सशस्त्र बलों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पैराशूट सिस्टम 25,000 फीट से ऊपर तैनाती करने में सक्षम वर्तमान में एकमात्र प्रणाली बन गई है।

    रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, यह परीक्षण देश की रक्षा तकनीक में एक क्रांतिकारी कदम है। भारतीय सेना की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विकसित यह पैराशूट सिस्टम उच्च ऊंचाई और कठिन मौसम में भी सैनिकों को सुरक्षित और प्रभावी तैनाती प्रदान करने में सक्षम है। इससे सेना की ऑपरेशनल क्षमता में वृद्धि होगी और सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेषकर पहाड़ी इलाकों में त्वरित और सुरक्षित पैराशूटिंग संभव हो सकेगी।

    32,000 फीट की ऊंचाई पर किया गया यह परीक्षण कई तकनीकी चुनौतियों को पार करते हुए सफल रहा। इस परीक्षण में पैराशूट की खुलने की प्रक्रिया, उसके दबाव सहने की क्षमता, और सैनिकों की सुरक्षित अवतरण की पुष्टि की गई। DRDO के वैज्ञानिकों ने कहा कि यह प्रणाली मौसम और हवा की तीव्र गति जैसे चरम परिस्थितियों में भी स्थिरता बनाए रखने में सक्षम है।

    DRDO की इस पहल से भारत ने स्वदेशी रक्षा तकनीक विकसित करने की दिशा में एक अहम कदम बढ़ाया है। विदेशी पैराशूट सिस्टम पर निर्भरता कम करते हुए इस तकनीक के देश में निर्मित होने से भारतीय सशस्त्र बलों को लागत और समय की बचत होगी। इसके साथ ही, यह सुरक्षा और गोपनीयता के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सैन्य उपकरणों की स्थानीय स्तर पर डिजाइनिंग से ऑपरेशनल गोपनीयता बनी रहती है।

    भारतीय सेना के लिए यह पैराशूट सिस्टम अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर हिमालयी क्षेत्रों, उत्तर पूर्वी सीमाओं और अन्य कठिन इलाकों में त्वरित और सुरक्षित सैनिकों की तैनाती के लिए। यह सिस्टम जवानों को बिना किसी जोखिम के ऊंची जगहों से गिराने में सक्षम है, जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है और मिशनों की सफलता की संभावना बढ़ती है।

    DRDO इस तकनीक को और अधिक उन्नत बनाने के लिए भविष्य में कई और परीक्षण और सुधार करेगी। इसके अतिरिक्त, अन्य रक्षा उपकरणों के साथ इस सिस्टम के समन्वय को भी बढ़ावा दिया जाएगा ताकि भारतीय सेना को एक समग्र और अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध हो सके।

    रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस प्रणाली को जल्द ही भारतीय सेना में व्यापक रूप से लागू करने की योजना है, जिससे भारत की सैन्य ताकत और आत्मनिर्भरता दोनों बढ़ेंगी।

    DRDO द्वारा 32,000 फीट ऊंचाई पर सफलतापूर्वक परीक्षण किए गए इस मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम से भारतीय रक्षा क्षेत्र में नई उम्मीदें जगी हैं। यह सफलता न केवल भारतीय सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि देश के रक्षा तकनीक के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

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