




केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने बुधवार देर रात बहरीन के लिए रवाना होकर अपने बहुप्रतीक्षित खाड़ी देशों के दौरे की शुरुआत कर दी है। इस दौरे में वह बहरीन, ओमान, कतर, कुवैत और यूएई में प्रवासी मलयाली समुदायों से मिलेंगे, विभिन्न निवेशकों से बातचीत करेंगे और केरल के विकास को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करेंगे।
हालांकि, इस दौरे की शुरुआत ही विपक्ष की तीखी आलोचना से हुई है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) ने आरोप लगाया है कि यह यात्रा पारदर्शिता और सार्वजनिक हित से अधिक व्यक्तिगत छवि निर्माण का प्रयास है। इसके अलावा, सऊदी अरब की प्रस्तावित यात्रा को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी न दिए जाने पर भी राजनीतिक बहस छिड़ गई है।
मुख्यमंत्री का पहला पड़ाव बहरीन है, जहां वे बहरीन केरलीया समाजम द्वारा आयोजित मलयाली समुदाय के एक बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इस आयोजन का उद्देश्य प्रवासी मलयालियों से सीधे संवाद स्थापित करना और उन्हें राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास से जोड़ना है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री प्रवासी समुदाय की समस्याओं को भी सुनेंगे और राज्य सरकार द्वारा प्रवासी हित में चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी साझा करेंगे।
पिनरायी विजयन की इस यात्रा का दायरा काफी व्यापक है। वह बहरीन के बाद ओमान, कतर, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की यात्रा करेंगे। इन देशों में प्रवासी मलयाली समुदाय की संख्या लाखों में है।
प्रत्येक देश में प्रवासी कार्यक्रम, निवेश बैठकें, और सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। इस दौरे का एक मुख्य उद्देश्य विदेशी निवेश को आकर्षित करना और प्रवासी समुदाय को केरल की विकास योजनाओं में भागीदार बनाना है।
यात्रा को लेकर सबसे बड़ा विवाद सऊदी अरब की यात्रा को मंजूरी नहीं मिलना है। राज्य सरकार का दावा है कि सऊदी में भी एक बड़ा कार्यक्रम प्रस्तावित था, लेकिन विदेश मंत्रालय (MEA) ने इसे अनुमति नहीं दी। राज्य सरकार और विपक्ष का आरोप है कि यह निर्णय राजनीतिक आधार पर लिया गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया कि यह केंद्र का “असंवैधानिक हस्तक्षेप” है और राज्य सरकार के अधिकारों में अतिक्रमण है।
UDF ने इस दौरे को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस नेता वी. डी. सतीसन ने कहा कि मुख्यमंत्री को पहले राज्य के भीतर समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए, विशेष रूप से स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में। उन्होंने यह भी पूछा कि इतने बड़े दौरे से राज्य को ठोस आर्थिक लाभ कैसे मिलेगा।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी इसे एक “राजनीतिक पर्यटन” करार दिया और मुख्यमंत्री पर जनता की गाढ़ी कमाई को बर्बाद करने का आरोप लगाया।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह दौरा पूरी तरह से आधिकारिक और रणनीतिक है। सरकार का कहना है कि इस दौरे का उद्देश्य केवल निवेश ही नहीं, बल्कि प्रवासी समुदाय के साथ संबंध मजबूत करना, उनकी समस्याओं को सुनना और उन्हें राज्य की नई विकास पहलों से जोड़ना है।
मुख्यमंत्री कार्यालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, “प्रवासी मलयाली समुदाय राज्य की रीढ़ हैं। उनके साथ प्रत्यक्ष संवाद और भागीदारी, हमारी नीति का अहम हिस्सा है।”
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खाड़ी देशों से निवेश प्रस्तावों की आशा।
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केरल में हेल्थ टूरिज़्म, आईटी पार्क्स, और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में भागीदारी की संभावनाएं।
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प्रवासी मलयाली समाज के साथ सीधा संपर्क।
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विदेशों में राज्य की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करना।
मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन का खाड़ी दौरा एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम है, जिससे न केवल राज्य को आर्थिक लाभ मिल सकता है, बल्कि प्रवासी मलयाली समुदाय के साथ जुड़ाव भी बढ़ेगा। हालांकि इस यात्रा को लेकर उठी राजनीतिक आशंकाएं और विपक्ष की आलोचना इसे विवादों से परे नहीं रख पाईं।