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    अमित शाह का वादा: नक्सलवाद के समूल नाश की डेडलाइन 31 मार्च 2026, अब आखिरी सांस गिन रहा आतंक

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    भारत सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है और गृह मंत्रालय ने इस कुख्यात आतंक के समूल नाश की डेडलाइन 31 मार्च 2026 तय की है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बार-बार यह भरोसा दिलाया है कि नक्सलवाद जल्द ही देश से समाप्त हो जाएगा। अब यह अभियान केवल घोषणा तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि फील्ड में भी नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जा रही है।

    एक समय 126 जिलों में फैले नक्सलवाद ने देश के कई हिस्सों में आतंक का माहौल बना रखा था। मगर अब यह संख्या तेजी से घटकर केवल 11 जिलों तक सिमट गई है। इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित जिले छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर हैं। इन इलाकों में सुरक्षा बलों की सघन निगरानी और रणनीतिक कार्रवाई के चलते नक्सलवाद अब अंतिम चरण में है।

    इस वर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, कुल 312 वामपंथी उग्रवादी मारे गए हैं और 1,639 ने आत्मसमर्पण किया है। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि नक्सलवाद की शक्ति कमजोर हो रही है और आतंक का समूल नाश अब दूर की नहीं, बल्कि सटीक लक्ष्य बन गया है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह अभियान न केवल राज्य सरकारों बल्कि केंद्रीय सुरक्षा बलों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है।

    गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि नक्सलवाद केवल हथियार और हिंसा का नाम नहीं है। यह समाज और स्थानीय विकास को भी प्रभावित करता है। इसलिए इसे समाप्त करना न केवल सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक है, बल्कि विकास और गरीबों के कल्याण के लिए भी अहम कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास और रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं ताकि वे फिर से हिंसा की राह पर न लौटें।

    विशेषज्ञों का मानना है कि नक्सलवाद का समूल नाश सिर्फ सुरक्षा बलों की कार्रवाई से नहीं होगा। इसके लिए स्थानीय विकास, शिक्षा और रोजगार के अवसर भी उतने ही जरूरी हैं। यही कारण है कि सरकार ने प्रभावित जिलों में विकास योजनाओं और आधारभूत सुविधाओं को तेजी से लागू किया है। इससे ग्रामीण क्षेत्र में नक्सलियों के लिए समर्थन का स्तर घटा है और सुरक्षा बलों के प्रयास सफल हो रहे हैं।

    छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर में हाल ही में सुरक्षा बलों ने कई ऑपरेशन किए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में नक्सली हथियारों और गोला-बारूद के साथ पकड़े गए हैं। इन सफल ऑपरेशनों ने नक्सलियों को मानसिक और भौतिक दोनों रूप से कमजोर कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नक्सलियों का नकदी और हथियारों तक पहुंचना भी अब सीमित हो गया है।

    साल 2026 की डेडलाइन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि नक्सलवाद के अंतिम किले भी इसी समय तक समाप्त किए जाएंगे। इसके लिए सटीक रणनीति, तकनीकी निगरानी और फील्ड ऑपरेशन्स का मिश्रण अपनाया गया है। सुरक्षा बलों ने ड्रोन, सैटेलाइट इमेजिंग और हाई-टेक कम्युनिकेशन उपकरणों का इस्तेमाल किया है। यही कारण है कि नक्सलवाद अब अपने चरम पर नहीं है और अंततः समाप्त होने की दिशा में बढ़ रहा है।

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