




भारतीय रुपया गुरुवार के शुरुआती व्यापार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 40 पैसे मजबूत होकर 87.68 के स्तर पर खुला। इस मजबूती के पीछे प्रमुख कारण केंद्रीय बैंक का बाजार में हस्तक्षेप और डॉलर इंडेक्स की गिरावट मानी जा रही है। डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को दर्शाता है, 0.28 प्रतिशत की गिरावट के साथ 98.51 पर ट्रेड कर रहा था।
विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की कमजोरी ने रुपये को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई है। डॉलर इंडेक्स में गिरावट का मतलब है कि अमेरिकी मुद्रा वैश्विक स्तर पर कमजोर हो रही है। इससे उन मुद्राओं को लाभ मिलता है जो डॉलर के मुकाबले ट्रेड होती हैं, जिनमें भारतीय रुपया भी शामिल है।
विशेषज्ञों का कहना है कि डॉलर की कमजोरी के कई कारण हैं, जिनमें अमेरिका में फेडरल रिजर्व की आगामी नीतियां और वैश्विक आर्थिक सुधार की संभावनाएं शामिल हैं। ये सभी कारक रुपये के समर्थन में काम कर रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी रुपये को स्थिर बनाए रखने और अत्यधिक उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में सक्रिय भूमिका निभाई है। RBI के हस्तक्षेप से रुपये की मांग बढ़ी है, जिससे उसकी विनिमय दर में सुधार हुआ है।
RBI के बाजार विशेषज्ञों ने बताया कि फॉरेक्स मार्केट में समय-समय पर हस्तक्षेप करना जरूरी होता है ताकि मुद्रा बाजार स्थिर रहे और आर्थिक अस्थिरता से बचा जा सके। इसका सीधा लाभ न केवल निर्यातकों और आयातकों को होता है, बल्कि समग्र आर्थिक वातावरण भी प्रभावित होता है।
शेयर बाजार और अन्य वित्तीय बाजार भी रुपये की मजबूती से उत्साहित हैं। विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए तैयार दिख रहे हैं। रुपया मजबूत होने से विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ता है, जिससे पूंजी निवेश में वृद्धि होती है।
इसके अलावा, रुपये की मजबूती से तेल और अन्य कच्चे माल की खरीदारी में आयातकों को लाभ होगा, जिससे महंगाई पर भी नियंत्रण में मदद मिल सकती है।
आर्थिक विश्लेषक मानते हैं कि रुपये की मजबूती फिलहाल बनी रह सकती है, खासकर तब तक जब तक अमेरिकी डॉलर में कमजोरी बनी रहे और भारत में आर्थिक स्थिरता बनी रहे। हालांकि, वैश्विक आर्थिक घटनाक्रम और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव रुपये के भाव को प्रभावित कर सकते हैं।
रुपया निवेशकों और व्यापारियों के लिए संकेत है कि वे सावधानी से बाजार की गति को समझें और अपनी योजनाओं को उसी के अनुसार बनाएं।
डॉलर की कमजोरी और RBI के सक्रिय हस्तक्षेप के चलते भारतीय रुपया 40 पैसे मजबूत होकर 87.68 के स्तर पर खुला। यह संकेत है कि घरेलू आर्थिक माहौल और वैश्विक बाजार की अनुकूल परिस्थितियों ने रुपया को मजबूती प्रदान की है। निवेशक और व्यापारी इस परिस्थिति को नजर में रखते हुए अपने वित्तीय फैसले कर सकते हैं।