




भारत की रक्षा शक्ति में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। देश की स्वदेशी तकनीक पर आधारित जोरावर लाइट टैंक से नाग एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (Nag Missile) का परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया है। यह परीक्षण भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा किया गया, जिसने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत अपनी सामरिक क्षमता में किसी भी वैश्विक शक्ति से पीछे नहीं है।
डीआरडीओ ने इस परीक्षण का वीडियो भी जारी किया है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। वीडियो में जोरावर टैंक से नाग मिसाइल को लॉन्च करते हुए दिखाया गया है, जो बेहद सटीकता के साथ अपने लक्ष्य को भेदती है। यह परीक्षण न केवल तकनीकी रूप से उत्कृष्ट साबित हुआ है बल्कि इसने यह भी दिखा दिया कि भारतीय सेना अब हर युद्ध क्षेत्र के लिए पूरी तरह तैयार है।
नाग मिसाइल की खासियतों की बात करें तो यह भारत की स्वदेशी तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है, जो “फायर एंड फॉरगेट” तकनीक पर आधारित है। यानी, एक बार लॉन्च करने के बाद यह मिसाइल खुद ही अपने लक्ष्य को पहचानकर उसे सटीक रूप से भेद सकती है। इसकी रेंज करीब 4 से 7 किलोमीटर तक मानी जा रही है, और यह टैंक सहित सभी बख्तरबंद वाहनों को आसानी से नष्ट कर सकती है।
परीक्षण के दौरान मिसाइल ने अपने लक्ष्य को 100% सटीकता से हिट किया। रक्षा वैज्ञानिकों का कहना है कि यह परीक्षण भारत की स्वदेशी उत्पादन क्षमता और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
जोरावर टैंक, जिसे डीआरडीओ ने भारतीय सेना के लिए विकसित किया है, अत्याधुनिक तकनीक से लैस हल्का टैंक है। इसे विशेष रूप से पहाड़ी और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया है। यह टैंक चीन सीमा और लद्दाख जैसे ऊंचे इलाकों में काम करने में सक्षम है, जहां पारंपरिक भारी टैंकों की क्षमता सीमित होती है।
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, जोरावर टैंक और नाग मिसाइल का यह संयोजन भारतीय सेना को “माउंटेन वॉरफेयर” यानी पर्वतीय युद्ध क्षमता में अपार बढ़त देगा। यह दोनों हथियार भारतीय परिस्थितियों के अनुसार डिज़ाइन किए गए हैं और पूरी तरह मेक इन इंडिया पहल के तहत निर्मित हैं।
डीआरडीओ के अधिकारियों ने बताया कि परीक्षण के दौरान विभिन्न परिस्थितियों में मिसाइल की सटीकता, गतिशीलता और लक्ष्य भेदने की क्षमता को परखा गया। सभी मानकों पर यह परीक्षण सफल रहा। परीक्षण के परिणामों से वैज्ञानिक समुदाय और सेना के अधिकारियों में भारी उत्साह है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर डीआरडीओ और भारतीय सेना को बधाई दी। उन्होंने कहा, “भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता का यह शानदार उदाहरण है। नाग मिसाइल और जोरावर टैंक का सफल संयोजन हमारी सामरिक शक्ति को नई ऊंचाई देगा और आत्मनिर्भर भारत के सपने को और मजबूती प्रदान करेगा।”
इस सफलता का रणनीतिक महत्व बेहद गहरा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह परीक्षण ऐसे समय में हुआ है जब भारत अपनी उत्तरी सीमाओं पर सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में लगातार कदम बढ़ा रहा है। भारत की यह तकनीकी उपलब्धि पड़ोसी देशों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि भारतीय सेना हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार है।
रक्षा विश्लेषक ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) सुनील मान ने कहा, “जोरावर टैंक की गतिशीलता और नाग मिसाइल की सटीकता का संयोजन भारतीय सेना को एक घातक सामरिक हथियार प्रणाली प्रदान करता है। यह पहाड़ी इलाकों में दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों के खिलाफ निर्णायक हथियार साबित होगा।”
इस सफलता से भारत ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि अब वह रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर राष्ट्र बन चुका है। भारत न केवल अपने लिए बल्कि अब अन्य देशों को भी अत्याधुनिक हथियार प्रणाली निर्यात करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
परीक्षण के वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे जोरावर टैंक कुछ ही सेकंड में मिसाइल लॉन्च करता है और लक्ष्य पर सटीक प्रहार करती है। परीक्षण के बाद पूरा परिसर तालियों और जश्न के माहौल से गूंज उठा। वैज्ञानिकों और सेना के जवानों ने इसे “भारत की नई रक्षा क्रांति” बताया।
डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने कहा, “यह सफलता हमारी वैज्ञानिक टीम के समर्पण और भारतीय सेना के भरोसे का परिणाम है। जोरावर और नाग सिस्टम का यह संयोजन आने वाले समय में भारतीय सीमाओं की सुरक्षा का अभिन्न हिस्सा बनेगा।”
भारत की यह उपलब्धि ऐसे समय आई है जब वैश्विक स्तर पर रक्षा तकनीक की होड़ तेज है। अमेरिका, चीन और रूस जैसे देश जहां उन्नत हथियार प्रणालियों पर काम कर रहे हैं, वहीं भारत ने स्वदेशी संसाधनों और तकनीकी प्रतिभा के बल पर यह साबित कर दिया है कि वह अब किसी से पीछे नहीं।
परीक्षण की सफलता के बाद भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का नया अध्याय शुरू हो गया है। यह न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि भारत के बढ़ते सामरिक आत्मविश्वास का प्रतीक भी है।