




तेलंगाना में शनिवार को पिछड़ा वर्ग (BC) समुदाय द्वारा आरक्षण बढ़ाने की मांग को लेकर किए गए राज्यव्यापी बंद का व्यापक असर देखने को मिला। यह बंद मुख्य रूप से BC समुदाय के 42% आरक्षण की मांग के समर्थन में बुलाया गया था। इस आंदोलन के तहत कई जिलों में परिवहन सेवाएं बाधित रहीं, स्कूल-कॉलेज बंद रहे और अधिकांश बाजारों में सन्नाटा छाया रहा।
बंद का आयोजन BC ज्वाइंट एक्शन कमेटी (BC-JAC) के नेतृत्व में हुआ, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों और छात्रों ने भी भाग लिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्ण मार्च निकाले और जगह-जगह धरना प्रदर्शन किया।
तेलंगाना के कई प्रमुख जिलों में बंद का असर स्पष्ट रूप से देखा गया, जिनमें शामिल हैं:
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महबूबनगर
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करीमनगर
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सिद्दीपेट
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खम्मम
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कोठागुडेम
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संगारेड्डी
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मेडक
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नलगोंडा
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आदिलाबाद
इन जिलों में सुबह से ही सड़कों पर सार्वजनिक और निजी वाहनों की आवाजाही बेहद कम रही। अधिकांश दुकानें, मॉल्स और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। सिर्फ मेडिकल स्टोर, दूध वितरण और आवश्यक सेवाओं से जुड़े प्रतिष्ठानों को छूट दी गई थी।
राज्यभर में विशेष रूप से TSRTC (तेलंगाना स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन) की बस सेवाएं ठप रहीं। निजी ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों ने भी सुरक्षा कारणों से सेवाएं बंद रखीं। इससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
स्कूलों और कॉलेजों ने विद्यार्थियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पहले ही दिनभर का अवकाश घोषित कर दिया था। कुछ परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ीं।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि राज्य सरकार को स्थानीय निकायों और अन्य संस्थानों में BC समुदाय को 42% आरक्षण तत्काल प्रभाव से देना चाहिए। यह मांग पहले से प्रस्तावित सरकारी आदेश (GO) के अनुसार थी, जिसे हाल ही में तेलंगाना हाईकोर्ट ने रोक दिया था।
BC ज्वाइंट एक्शन कमेटी का तर्क है कि पिछड़ा वर्ग राज्य की कुल जनसंख्या का महत्वपूर्ण हिस्सा है और उन्हें पर्याप्त राजनीतिक, सामाजिक एवं प्रशासनिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। उनका कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगें पूरी नहीं करती, तो यह आंदोलन और तेज़ होगा।
राज्य सरकार ने संभावित अशांति को देखते हुए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की थी। हर जिले में पुलिस बल तैनात रहा और संवेदनशील इलाकों में ड्रोन से निगरानी की गई। हालांकि, कहीं से किसी बड़ी हिंसक घटना की सूचना नहीं आई, जिससे स्पष्ट है कि बंद शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ।
इस बंद को कई राजनीतिक दलों का समर्थन भी प्राप्त हुआ:
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कांग्रेस पार्टी ने BC समुदाय के समर्थन में बयान जारी कर कहा कि 42% आरक्षण देना सामाजिक न्याय की दिशा में आवश्यक कदम है।
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भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने बंद को “जन भावना की अभिव्यक्ति” बताया।
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BJP ने सरकार की आरक्षण नीति पर सवाल उठाए, लेकिन बंद का समर्थन नहीं किया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी निकाय चुनावों में एक बड़ा चुनावी एजेंडा बन सकता है।
यह बंद केवल एक विरोध नहीं था, बल्कि एक सामाजिक चेतना का प्रदर्शन था। BC समुदाय के लोग लंबे समय से यह महसूस कर रहे हैं कि उन्हें समाज में समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा। यह बंद उनके सामाजिक अधिकारों, शिक्षा और रोजगार में भागीदारी, और राजनीतिक पहचान की लड़ाई का हिस्सा है।
राज्य सरकार के लिए यह एक चेतावनी भी है कि यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।
BC-JAC ने सरकार को 7 दिनों का अल्टीमेटम दिया है कि या तो वह 42% आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट करे या फिर अगला आंदोलन और बड़ा होगा। संगठन ने कहा कि वे हैदराबाद में महा रैली, धरना और अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जैसे कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
सरकार की ओर से अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री कार्यालय इस मुद्दे पर कानूनी सलाह ले रहा है।
तेलंगाना का यह बंद न केवल पिछड़े वर्ग के आरक्षण की मांग को लेकर था, बल्कि यह राज्य की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर एक सवाल भी था। जब तक पिछड़े वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुरूप प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, इस तरह के आंदोलन होते रहेंगे।