




दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की, असत्य पर सत्य की और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक माना जाता है। हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। वर्ष 2025 में दिवाली का पर्व भव्य उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा, जब घर-घर दीपों की रोशनी से जगमगा उठेगा और लोग मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लक्ष्मी पूजा करेंगे।
दिवाली लक्ष्मी पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त 2025:
पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में दीपावली का पर्व सोमवार, 21 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन कार्तिक अमावस्या तिथि पूरे दिन रहेगी। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त सायं काल में रहेगा जब प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की उपासना करने से धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 6:43 बजे से रात 8:23 बजे तक का समय पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
इस अवधि में पूजन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
लक्ष्मी पूजा की विधि (Puja Vidhi):
दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर को साफ-सुथरा रखें। मान्यता है कि जिस घर में स्वच्छता होती है, वहां देवी लक्ष्मी का वास होता है। घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं और दोनों ओर दीपक जलाएं। संध्या समय प्रदोष काल में पूजन स्थल को फूलों और दीपों से सजाएं।
लकड़ी या चांदी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देव की मूर्तियों को विराजमान करें। सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, उसके बाद मां लक्ष्मी का आह्वान करें।
पूजन के लिए रोली, अक्षत, हल्दी, चंदन, फूल, धूप, दीपक, पंचामृत, मिठाई, इत्र, कलश और मुद्रा (सिक्के) रखें। मां लक्ष्मी को कमल पुष्प और चांदी के सिक्के अर्पित करें। लक्ष्मी जी को दूध से स्नान कराएं और फिर गुलाल व पुष्प अर्पित करें। पूजा के बाद दीपक जलाकर घर के सभी कोनों में दीप रखें। ऐसा माना जाता है कि दीप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में लक्ष्मी का आगमन होता है।
लक्ष्मी माता के प्रमुख मंत्र (Laxmi Mata Mantras):
पूजन के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करने से देवी लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं –
“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।”
“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः।”
“ॐ नमो भगवति महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्॥”
इन मंत्रों के साथ मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए पूजा करने से घर में धन, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
लक्ष्मी पूजा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व:
दिवाली की रात्रि को लक्ष्मी पूजा करने का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए यह रात्रि उनकी आराधना के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। यह पर्व केवल धन-समृद्धि प्राप्त करने का अवसर नहीं बल्कि आंतरिक शुद्धता, कृतज्ञता और प्रकाश के माध्यम से आत्मा के जागरण का प्रतीक भी है।
लोग इस दिन बुराइयों को त्यागकर नई शुरुआत करते हैं। घरों, मंदिरों, बाजारों और गलियों में दीपों की पंक्तियाँ सजाई जाती हैं जो समाज में सकारात्मकता और आशा का संदेश देती हैं। दिवाली का पर्व हमें यह भी सिखाता है कि जैसे दीप अंधकार को दूर करता है, वैसे ही ज्ञान और सदाचार जीवन से अज्ञान और पाप को मिटा देता है।
सामाजिक और पारिवारिक उत्सव के रूप में दिवाली:
यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ पूजा करते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों को उपहार देकर एक-दूसरे के जीवन में आनंद का संचार करते हैं। बच्चे पटाखों और दीपों से उत्सव का आनंद लेते हैं जबकि बुजुर्ग परिवार के सुख-शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
दिवाली का पर्व प्रेम, प्रकाश और समृद्धि का संदेश देता है। वर्ष 2025 की दिवाली हर व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा, नई उमंग और सकारात्मकता लेकर आए, यही कामना है। मां लक्ष्मी का आशीर्वाद हर घर में सुख, शांति और वैभव लेकर आए — यही दीपोत्सव का सच्चा उद्देश्य है।