इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

भारत एक बार फिर अपने दमखम से दुनिया को दिखाने जा रहा है कि उसकी सैन्य शक्ति केवल सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि रणनीतिक स्तर पर भी अडिग है। 30 अक्टूबर से भारत एक बड़े स्तर का सैन्य अभ्यास करने जा रहा है, जिसकी भनक पड़ते ही पाकिस्तान और चीन दोनों देशों में खलबली मच गई है। इस अभ्यास के तहत भारतीय वायुसेना, थलसेना और नौसेना की संयुक्त शक्ति का प्रदर्शन किया जाएगा। यह अभ्यास न केवल भारत की तैयारी को मजबूत करेगा बल्कि पड़ोसी देशों को भी स्पष्ट संदेश देगा कि अब भारत किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम है।
सूत्रों के मुताबिक, इस संयुक्त सैन्य अभ्यास का आयोजन उत्तर भारत और पूर्वोत्तर के कई सामरिक इलाकों में किया जाएगा, जहां वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और नियंत्रण रेखा (LoC) के नजदीकी क्षेत्रों में तैनात सैनिक अपनी क्षमताओं को परखेंगे। इस दौरान उन्नत लड़ाकू विमानों, ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और आधुनिक हथियारों का भी परीक्षण किया जाएगा।
भारत के इस कदम से पाकिस्तान में मुनीर के नेतृत्व वाली वायुसेना में घबराहट का माहौल है। खबर है कि पाकिस्तान के कई जंगी जेट ने अभ्यास के चलते अपनी नियमित उड़ानों को अस्थायी रूप से रोक दिया है। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि भारत की इस रणनीतिक तैयारी का उद्देश्य केवल अपनी रक्षा शक्ति को प्रदर्शित करना नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों को यह संदेश देना भी है कि भारतीय सेना अब ‘प्रतिक्रिया नहीं, पूर्व-तैयारी’ की नीति पर काम कर रही है।
चीन की ओर से भी इस अभ्यास पर नजर रखी जा रही है। लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में चीन की हलचल बढ़ गई है, लेकिन भारतीय सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि देश की संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। भारत की यह तैयारी न केवल सैन्य दृष्टि से बल्कि भू-राजनीतिक रूप से भी एक सशक्त संदेश है।
भारतीय वायुसेना के सूत्रों के अनुसार, इस अभ्यास में राफेल, तेजस, सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29 और जगुआर जैसे अत्याधुनिक जंगी विमान हिस्सा लेंगे। साथ ही, एयर डिफेंस सिस्टम, रडार नेटवर्क और एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी का भी व्यापक परीक्षण होगा। भारत का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी आकस्मिक स्थिति में सेना तत्काल जवाब देने में सक्षम हो।
पाकिस्तान की मीडिया ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर चिंता जताई है। कई रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत की सक्रिय तैयारी को देखते हुए पाकिस्तान की सरकार और सेना ‘सतर्क स्थिति’ में है। वहीं चीन के सरकारी मीडिया ने इस अभ्यास को भारत की “शक्ति प्रदर्शन की रणनीति” करार दिया है।
लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का यह कदम किसी देश के खिलाफ नहीं, बल्कि अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक तत्परता को परखने के लिए है। भारत हमेशा से “शांति के समर्थक” की भूमिका में रहा है, लेकिन शांति बनाए रखने के लिए शक्ति का प्रदर्शन भी आवश्यक होता है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता हासिल की है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत बनाए गए स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस, ड्रोन और मिसाइल सिस्टम अब भारतीय रक्षा शक्ति की रीढ़ बन चुके हैं। यही नहीं, भारत अब कई देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात भी कर रहा है, जिससे उसकी वैश्विक साख और मजबूत हुई है।
30 अक्टूबर से शुरू होने वाला यह सैन्य अभ्यास इसी दिशा में एक और बड़ा कदम है। इस दौरान भारतीय सेना न केवल पारंपरिक युद्धक रणनीतियों का अभ्यास करेगी, बल्कि साइबर वॉरफेयर, स्पेस टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित हथियार प्रणालियों का भी परीक्षण करेगी। यह स्पष्ट संकेत है कि भारत भविष्य के युद्धों की तैयारी में अग्रसर है।
इस बीच रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने में विश्वास रखता है, लेकिन यदि किसी भी देश ने उसकी सीमा या संप्रभुता को चुनौती दी, तो भारत मुंहतोड़ जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, भारत का यह कदम “डिटरेंस स्ट्रेटेजी” का हिस्सा है। यानी अपने प्रतिद्वंद्वी को पहले ही यह दिखा देना कि भारत के खिलाफ कोई भी दुस्साहस उसके लिए महंगा साबित होगा। इस रणनीति से पाकिस्तान और चीन दोनों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है।
पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख मुनीर अहमद खान की ओर से अपने पायलटों को हाल ही में दिए गए निर्देशों में यह कहा गया है कि “किसी भी अनावश्यक उड़ान या सीमा के नजदीकी हवाई गतिविधि से बचें।” इससे साफ है कि पाकिस्तान भारत की इस तैयारी से घबराया हुआ है।
भारत के इस कदम से एक बात फिर साबित होती है — नया भारत न सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा करना जानता है, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं हटता। आने वाले दिनों में यह सैन्य अभ्यास देश की रणनीतिक शक्ति का प्रतीक बनने जा रहा है, जो यह संदेश देगा कि भारत अब केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक राष्ट्र है।








