• Create News
  • Nominate Now

    महाराष्ट्र में लागू होने जा रहा है ‘गुजरात पैटर्न’? कई मंत्रियों की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा, बढ़ी राजनीतिक हलचल

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों बड़ा भूचाल आने की संभावना जताई जा रही है। गुजरात पैटर्न की तर्ज पर अब यहां भी मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल की तैयारी चल रही है। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने तय किया है कि खराब प्रदर्शन करने वाले और विवादों में घिरे मंत्रियों को अब बख्शा नहीं जाएगा। उनकी जगह पर पार्टी संगठन के प्रति वफादार और बेहतर काम करने वाले नए चेहरों को शामिल करने पर मंथन चल रहा है।

    जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में मंत्रियों के कामकाज की प्राथमिक समीक्षा की है। इसमें पाया गया कि कुछ विभागों में योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी हो रही है, जबकि कुछ मंत्री अपने विभागों की दिशा तय करने में असफल रहे हैं। खासतौर पर जिन विभागों में जनता से जुड़े काम लंबित हैं, वहां की रिपोर्ट सरकार को चिंतित कर रही है।

    सूत्रों का कहना है कि अब महाराष्ट्र सरकार भी उसी तरह का कदम उठाने जा रही है जैसा गुजरात में 2021 में बीजेपी ने उठाया था, जब पूरे मंत्रिमंडल को बदलकर नए चेहरों को मौका दिया गया था। इस कदम से पार्टी ने न केवल एंटी-इंकम्बेंसी को तोड़ा था बल्कि संगठन में नई ऊर्जा भी भरी थी। इसी तरह महाराष्ट्र में भी इस पैटर्न को अपनाने की तैयारी है ताकि जनता के बीच सरकार की छवि को ताज़ा और मजबूत किया जा सके।

    सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने सभी विभागों से मंत्रियों के कार्यों की प्रगति रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट के आधार पर दिसंबर तक समीक्षा पूरी की जाएगी। जिन मंत्रियों की कार्यशैली, जनसंपर्क और नीतिगत निर्णयों पर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी, उन्हें अगले साल होने वाले फेरबदल में बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।

    बीजेपी हाईकमान की सक्रिय भूमिका भी इस समीकरण का बड़ा हिस्सा बताई जा रही है। दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं को महाराष्ट्र सरकार के भीतर की खींचतान और निचले स्तर की असंतुष्टि की पूरी जानकारी है। ऐसे में संगठन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि लोकसभा चुनाव 2024 के बाद भी राज्य में सरकार की पकड़ बनी रहे और विपक्ष को कोई बड़ा मौका न मिले।

    गुजरात पैटर्न की तरह महाराष्ट्र में भी ‘परफॉर्मेंस बेस्ड पॉलिटिक्स’ लागू करने की दिशा में विचार हो रहा है। इसका सीधा मतलब यह है कि जो मंत्री अपने विभाग में ठोस परिणाम नहीं दे रहे या जनता के बीच खराब छवि बना बैठे हैं, उन्हें बदलने से परहेज़ नहीं किया जाएगा।

    राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह कदम बीजेपी के लिए दोहरे लाभ वाला हो सकता है। एक ओर सरकार के भीतर जवाबदेही की भावना पैदा होगी, वहीं दूसरी ओर विपक्ष के उस आरोप को भी कमजोर किया जा सकेगा कि “शिंदे सरकार सिर्फ सत्ता बचाने में लगी है।”

    वहीं, यह भी माना जा रहा है कि इस संभावित फेरबदल के जरिए बीजेपी और शिंदे गुट के बीच की आंतरिक खींचतान को संतुलित करने की कोशिश भी की जा रही है। क्योंकि कई सीटों पर आगामी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार चयन को लेकर दोनों गुटों में असहमति रही है।

    शिंदे गुट के कुछ विधायक पहले ही संगठन से नाराजगी जता चुके हैं कि उन्हें प्रशासनिक स्तर पर पर्याप्त अधिकार नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में फेरबदल अगर संतुलित नहीं हुआ तो असंतोष और बढ़ सकता है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक, इस बार बदलाव पूरी तरह से “परफॉर्मेंस और डिसिप्लिन” पर आधारित होगा, न कि राजनीतिक निष्ठा पर।

    महाराष्ट्र में विपक्ष भी इस घटनाक्रम पर पैनी नजर रखे हुए है। शरद पवार ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि “जब सरकार अपने मंत्रियों पर भरोसा खो देती है, तो समझिए सत्ता की नींव कमजोर हो रही है।” वहीं, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) का आरोप है कि “बीजेपी अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए शिंदे सरकार को मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रही है।”

    इन राजनीतिक आरोपों के बीच राज्य के अफसरशाही में भी हलचल तेज है। कई विभागों के सचिवों और प्रमुख अधिकारियों को मौखिक रूप से सतर्क कर दिया गया है कि आने वाले महीनों में विभागीय मूल्यांकन सख्त होगा।

    मंत्रियों की समीक्षा प्रक्रिया के लिए सरकार एक तीन-स्तरीय मूल्यांकन प्रणाली लागू करने की योजना बना रही है, जिसमें –

    1. जनता से मिलने वाले फीडबैक,

    2. विभागीय प्रगति रिपोर्ट, और

    3. संगठन की राय – तीनों को समान महत्व दिया जाएगा।

    राज्य के राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि आने वाले कुछ महीनों में महाराष्ट्र की राजनीति में “बड़ी उथल-पुथल” देखने को मिल सकती है। मंत्रिमंडल में बदलाव के साथ-साथ जिला स्तर पर भी कुछ नए नेताओं को जिम्मेदारी देने की तैयारी है, ताकि पार्टी का ग्राउंड नेटवर्क मजबूत हो सके।

    गुजरात की तरह महाराष्ट्र में भी बीजेपी का लक्ष्य ‘जनता से सीधा जुड़ाव’ बनाए रखना है। पार्टी यह दिखाना चाहती है कि वह केवल सत्ता में बने रहना नहीं चाहती, बल्कि “सक्रिय और जवाबदेह शासन” देने के लिए प्रतिबद्ध है।

    अंदरूनी सूत्रों की मानें तो 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले यह फेरबदल सरकार की छवि को नया रूप देने का मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। लेकिन अगर समीकरण बिगड़े, तो इससे एनडीए के भीतर असंतोष भी गहरा सकता है।

    फिलहाल राज्य की राजनीतिक फिजा में सन्नाटा है, लेकिन दिल्ली से लेकर मुंबई तक हर निगाह इस बात पर टिकी है कि क्या सच में महाराष्ट्र में भी “गुजरात मॉडल ऑफ गवर्नेंस” लागू होने जा रहा है — या फिर यह केवल राजनीतिक दबाव का एक संकेत भर है।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    कुछ मिनटों के लिए अरबपति बना मध्य प्रदेश का शख्स, डिजिटल गड़बड़ी ने दिलाई और छीन ली खुशी

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। मध्य प्रदेश से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक साधारण व्यक्ति रातोंरात अरबपति बन गया। सुबह…

    Continue reading
    मुंबई लोकल पर खर्च हुए 5110 करोड़, फिर भी हर साल 1000 लोग गवां रहे जान — अब बड़ा कदम उठाने जा रहा है मुंबई रेल विकास निगम

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। मुंबई लोकल को ‘मायानगरी की लाइफलाइन’ कहा जाता है। रोज़ाना लाखों यात्रियों को एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचाने…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *