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भारतीय फिल्म और टेलीविजन जगत के लोकप्रिय अभिनेता सतीश शाह के निधन से पूरी फिल्म इंडस्ट्री शोक में डूबी हुई है। 74 वर्षीय इस अभिनेता ने अपने चार दशक लंबे करियर में दर्शकों को न सिर्फ हंसाया बल्कि अपने अभिनय से सामाजिक संदेश भी दिए। अब उनके निधन के बाद, फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (FWICE) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक भावनात्मक पत्र लिखकर मांग की है कि सतीश शाह को मरणोपरांत पद्म श्री सम्मान से नवाजा जाए।
सतीश शाह, जिन्होंने टीवी सीरियल “साराभाई वर्सेज साराभाई”, “यह जो है जिंदगी”, और “फिल्म कल हो ना हो” जैसी दर्जनों यादगार परियोजनाओं में काम किया, भारतीय दर्शकों के दिलों में अमर हो गए। उनकी हंसी-मजाक से भरपूर अदायगी ने हर उम्र के दर्शकों को गुदगुदाया। अब जब वे इस दुनिया में नहीं हैं, तो इंडस्ट्री के साथी कलाकार और यूनियन उनके योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किए जाने की मांग कर रहे हैं।
FWICE के जनरल सेक्रेटरी अशोक दुबे ने अपने पत्र में लिखा है कि सतीश शाह न केवल एक उत्कृष्ट अभिनेता थे, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के अनुशासन और सकारात्मकता के प्रतीक भी थे। उन्होंने कहा, “सतीश शाह ने न सिर्फ अपनी अदाकारी से बल्कि अपने स्वभाव और व्यवहार से भी सबका दिल जीता। उनका योगदान अमूल्य है, और देश को उनके कार्यों के प्रति आभार जताने के लिए उन्हें पद्म श्री सम्मान दिया जाना चाहिए।”
इस अपील के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों ने सतीश शाह को मरणोपरांत पद्म श्री देने की मुहिम शुरू कर दी है। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर फैंस और कलाकार लगातार #PadmaShriForSatishShah हैशटैग के साथ पोस्ट साझा कर रहे हैं। कई लोगों ने लिखा कि सतीश शाह जैसे कलाकार एक युग में एक बार पैदा होते हैं, जिन्होंने चार दशकों तक भारतीय दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान बनाए रखी।
सतीश शाह का फिल्म और टीवी करियर बेहद विविध रहा। उन्होंने 1978 में फिल्म “अरविंद देसाई की अजीब दास्तान” से डेब्यू किया था और उसके बाद “जाने भी दो यारों”, “मैनें प्यार किया”, “हम आपके हैं कौन”, “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे”, “कल हो ना हो” जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया। उनके किरदार चाहे हास्यप्रधान हों या गंभीर, उन्होंने हमेशा अपने अभिनय से उन्हें जीवंत कर दिया।
टीवी की दुनिया में भी सतीश शाह का योगदान अविस्मरणीय रहा। “ये जो है जिंदगी”, “साराभाई वर्सेज साराभाई”, और “कॉमेडी सर्कस” जैसे शोज़ ने उन्हें घर-घर तक पहुंचा दिया। खासकर “इंद्रवदन साराभाई” का उनका किरदार आज भी टीवी इतिहास के सबसे प्यारे कॉमिक किरदारों में गिना जाता है।
सतीश शाह ने न केवल अभिनय किया बल्कि कई युवा कलाकारों के लिए मार्गदर्शक का काम भी किया। उनकी सादगी और प्रोफेशनलिज्म की मिसाल दी जाती थी। उनके सहयोगी कलाकारों ने भी सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि सतीश शाह जैसा अभिनेता और इंसान शायद ही कभी दोबारा मिलेगा।
FWICE की मांग पर अब पूरे देश की निगाहें प्रधानमंत्री कार्यालय और संस्कृति मंत्रालय की प्रतिक्रिया पर हैं। फिल्म इंडस्ट्री के लोगों का मानना है कि यदि सतीश शाह को पद्म श्री सम्मान दिया जाता है, तो यह केवल उनके परिवार या फैंस के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय मनोरंजन जगत के लिए गर्व का विषय होगा।
सतीश शाह के निधन ने भारतीय कॉमेडी की दुनिया में एक ऐसा खालीपन छोड़ दिया है, जिसे भर पाना मुश्किल है। उनके संवाद, उनका अंदाज और उनकी मुस्कान भारतीय सिनेमा के सुनहरे अध्यायों में हमेशा दर्ज रहेंगे। देश भर के दर्शक, कलाकार और प्रशंसक आज भी उनकी यादों में डूबे हैं और यही उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनके चार दशकों के योगदान को सम्मान देते हुए उन्हें मरणोपरांत पद्म श्री से अलंकृत करे।








