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राजस्थान की राजधानी जयपुर की सेंट्रल जेल एक बार फिर सुर्खियों में है। जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं क्योंकि यहां लगातार मोबाइल फोन बरामद हो रहे हैं और कैदियों की गतिविधियां प्रशासन के नियंत्रण से बाहर जाती दिख रही हैं। पिछले एक महीने में अब तक 40 मोबाइल फोन जब्त किए जा चुके हैं, जबकि पिछले महीने दो कैदी दीवार फांदकर जेल से फरार हो चुके हैं। रविवार को हुई ताजा जांच में चार और मोबाइल मिलने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
यह मामला अब केवल एक सुरक्षा चूक नहीं, बल्कि पूरे जेल सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान बन चुका है। जयपुर सेंट्रल जेल, जो राज्य की सबसे सुरक्षित मानी जाती है, वहां लगातार इस तरह की घटनाओं का होना यह संकेत देता है कि कहीं न कहीं भीतर से मिलीभगत हो रही है या सुरक्षा जांच में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, रविवार को की गई आकस्मिक तलाशी के दौरान जेल के विभिन्न बैरकों और बंदी वार्डों से चार मोबाइल फोन, चार चार्जर और कुछ सिम कार्ड मिले हैं। बताया जा रहा है कि ये मोबाइल फोन कैदियों द्वारा दीवारों के भीतर छिपाए गए थे और कुछ टॉयलेट क्षेत्र से भी बरामद हुए। इन सभी मोबाइल्स को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन्हें किसने उपयोग किया और किससे संपर्क किया गया था।
इससे पहले, इसी महीने की शुरुआत में 15 मोबाइल फोन और दो इंटरनेट डोंगल जब्त किए गए थे। जेल प्रशासन का कहना है कि लगातार तलाशी अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन मोबाइल फोन का जेल के अंदर पहुंचना रोकना चुनौती बन गया है।
जेल सूत्रों के मुताबिक, कुछ कैदी जेल स्टाफ या बाहरी सप्लायरों की मदद से मोबाइल और अन्य निषिद्ध वस्तुएं अंदर मंगवाते हैं। कई बार यह सामान खाद्य सामग्री, कपड़ों या दवाइयों के पैकेटों में छिपाकर अंदर पहुंचाया जाता है। प्रशासन ने इस दिशा में जांच शुरू कर दी है कि आखिर कौन लोग इन अवैध गतिविधियों में शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने दो कैदी, जो हत्या के मामले में सजा काट रहे थे, दीवार फांदकर फरार हो गए थे। इस घटना के बाद जेल प्रशासन ने दावा किया था कि सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया गया है और निगरानी बढ़ाई गई है। लेकिन हाल के मोबाइल बरामदगी के मामलों ने उन दावों पर पानी फेर दिया है।
जेल महानिदेशक कार्यालय ने इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है और जेल अधीक्षक से स्पष्टीकरण तलब किया गया है। उच्चाधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा में हुई इस लगातार चूक की जिम्मेदारी तय की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
जयपुर सेंट्रल जेल में करीब 2,000 कैदी बंद हैं, जिनमें से कई कुख्यात अपराधी हैं। ऐसे में मोबाइल फोन का जेल के अंदर होना गंभीर खतरे का संकेत है। विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल के जरिए अपराधी जेल से बाहर नेटवर्क संचालित कर सकते हैं, धमकी भरे कॉल कर सकते हैं या फिर फरारी की योजना बना सकते हैं।
राज्य सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। गृह विभाग ने एक विशेष टीम गठित कर जांच के आदेश दिए हैं। यह टीम आने वाले दिनों में न केवल मोबाइल के स्रोत का पता लगाएगी बल्कि यह भी जांच करेगी कि क्या जेल स्टाफ का कोई सदस्य इसमें शामिल है।
स्थानीय प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारी पहली प्राथमिकता जेल की सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना है। बार-बार मोबाइल बरामद होना एक बड़ी चेतावनी है। हमने सभी कर्मचारियों की शिफ्टिंग और ड्यूटी रोटेशन की समीक्षा शुरू कर दी है।”
इस बीच, नागरिक संगठनों और विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि जयपुर सेंट्रल जेल में लगातार मोबाइल और फरारी की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है। विपक्ष ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की जांच उच्च स्तरीय समिति से कराई जाए।
सवाल यह भी उठता है कि जब देशभर में जेलों की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक उपकरण लगाए जा रहे हैं, तब भी जयपुर जैसी बड़ी जेल में मोबाइल फोन बार-बार कैसे पहुंच जाते हैं? क्या स्कैनिंग सिस्टम फेल है या फिर कोई अंदरूनी हाथ काम कर रहा है?
फिलहाल, जयपुर सेंट्रल जेल में सुरक्षा सख्त कर दी गई है। हर वार्ड में अतिरिक्त गार्ड तैनात किए गए हैं और आने-जाने वाले हर पैकेट की दोहरी जांच की जा रही है। लेकिन अब जनता और प्रशासन दोनों की नजर इस बात पर है कि क्या यह कदम भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक पाएंगे या फिर यह मामला भी कुछ दिनों में ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
जयपुर सेंट्रल जेल का यह प्रकरण एक बार फिर यह साबित करता है कि सिर्फ ऊंची दीवारें और कैमरे ही सुरक्षा की गारंटी नहीं होते, जब तक निगरानी करने वाले ईमानदारी और सख्ती से अपने दायित्वों का पालन न करें।








