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राजस्थान में शहरी विकास की दिशा में राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। जयपुर अब सिर्फ ‘स्मार्ट सिटी’ नहीं रहेगा, बल्कि ‘मेंटर सिटी’ की भूमिका निभाएगा। इसके तहत राज्य के अन्य 5 शहरों – भरतपुर, अलवर, खाटूश्याम, अजमेर और कोटा – को स्मार्ट सिटी मॉडल पर विकसित किया जाएगा। इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 330 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
राज्य सरकार का उद्देश्य है कि जयपुर के सफल स्मार्ट सिटी मॉडल को दूसरे शहरों में भी लागू किया जाए ताकि विकास संतुलित और टिकाऊ हो। जयपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ने बीते कुछ वर्षों में सड़क, ट्रैफिक मैनेजमेंट, डिजिटल सर्विस और पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। अब इसी अनुभव को साझा करते हुए जयपुर अन्य शहरों के लिए मेंटरशिप सिटी के रूप में काम करेगा।
सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना के लिए वित्तीय और तकनीकी मंजूरी मिल चुकी है। राज्य सरकार ने जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड (JSCL) को नोडल एजेंसी नियुक्त किया है, जो इन 6 शहरों के लिए एक साझा ‘स्मार्ट डेवलपमेंट ब्लूप्रिंट’ तैयार करेगी। इसमें शहरी आवागमन, जल आपूर्ति, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, हरित क्षेत्र विस्तार और स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम जैसी सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
जयपुर की मेंटरशिप की भूमिका:
जयपुर को एक मॉडल सिटी के रूप में तैयार किया गया है, जहां पहले से ही स्मार्ट लाइटिंग, सीसीटीवी आधारित ट्रैफिक मैनेजमेंट, स्मार्ट वेस्ट कलेक्शन सिस्टम और इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम जैसे प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। अब इन सभी तकनीकी और प्रबंधन अनुभवों को दूसरे शहरों में लागू किया जाएगा। भरतपुर, अलवर और खाटूश्याम जैसे शहरों में बुनियादी ढांचे के साथ डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
कहां-कहां खर्च होंगे 330 करोड़:
राज्य सरकार ने बताया है कि इस राशि का उपयोग तीन प्रमुख क्षेत्रों में किया जाएगा —
पहला, शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना।
दूसरा, डिजिटल टेक्नोलॉजी को इंटिग्रेट करना।
तीसरा, नागरिक सेवाओं को ऑनलाइन और रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम से जोड़ना।
जयपुर स्मार्ट सिटी के सीईओ के अनुसार, “राजस्थान में अब स्मार्टनेस का दायरा केवल राजधानी तक सीमित नहीं रहेगा। हमारा लक्ष्य है कि हर क्षेत्रीय शहर अपने नागरिकों को बेहतर सुविधाएं दे सके और राज्य का विकास मॉडल समान रूप से आगे बढ़े।”
राज्य सरकार की प्राथमिकता:
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आयोजित बैठक में बताया गया कि ये प्रोजेक्ट राजस्थान को ‘सस्टेनेबल अर्बन डेवलपमेंट मॉडल’ के रूप में स्थापित करेगा। इसमें स्थानीय निकायों की भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि योजनाएं सिर्फ सरकारी स्तर पर नहीं बल्कि सामुदायिक सहभागिता के साथ लागू हों।
भरतपुर और अलवर में स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम और वेस्ट मैनेजमेंट को प्राथमिकता दी जाएगी। वहीं, खाटूश्याम क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को ध्यान में रखते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन किया जाएगा। अजमेर और कोटा में स्मार्ट जल प्रबंधन और सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स शुरू किए जाएंगे।
नागरिकों के लिए क्या होगा फायदा:
नई स्मार्ट सिटी परियोजना से नागरिकों को बेहतर सड़कें, स्वच्छ जल आपूर्ति, स्मार्ट लाइटिंग, कम ट्रैफिक जाम और सुरक्षित सार्वजनिक स्थलों का लाभ मिलेगा। डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए नगर निगम की अधिकांश सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे पारदर्शिता और सुविधा दोनों बढ़ेगी।

 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		





