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भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने राष्ट्र निर्माण और शासन की भूमिका पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की प्रगति उसके शासन मॉडल पर निर्भर करती है। डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि मजबूत, पारदर्शी और निर्णायक नेतृत्व ही एक आत्मनिर्भर व सुरक्षित भारत की नींव है। उन्होंने यह बात सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कही।
एनएसए डोभाल ने कहा कि भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में शासन की सबसे बड़ी भूमिका यह होती है कि वह सबको साथ लेकर चले और समाज के हर वर्ग तक विकास के लाभ पहुंचाए। उन्होंने कहा कि आज भारत में शासन का जो मॉडल विकसित हुआ है, वह केवल नीतियों का नहीं बल्कि आत्मविश्वास और निर्णायकता का प्रतीक है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब नेतृत्व दृढ़ होता है, तो राष्ट्र भी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में दृढ़ता दिखाता है।
अपने संबोधन में अजीत डोभाल ने सरदार वल्लभभाई पटेल का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने देश के एकीकरण में जो भूमिका निभाई, वह आज भी भारत की एकता और अखंडता की आधारशिला है। डोभाल ने कहा कि अगर आज भारत मजबूती से खड़ा है, तो उसमें उस प्रशासनिक दृढ़ता और निर्णय लेने की क्षमता की झलक है जो सरदार पटेल जैसे नेताओं ने दिखलाई थी। उन्होंने कहा, “सरदार पटेल ने उस दौर में असंभव को संभव किया था। उन्होंने रियासतों को एक राष्ट्र में मिलाकर भारत को एकजुट किया, और आज भी उनकी वही भावना शासन व्यवस्था में दिखाई देती है।”
डोभाल ने इस दौरान देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा की चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत की सुरक्षा केवल सीमाओं की रक्षा से नहीं, बल्कि प्रभावी प्रशासन और नीति-निर्माण से भी सुनिश्चित होती है। उन्होंने कहा, “एक कमजोर शासन न केवल विकास को बाधित करता है, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा को भी खतरे में डाल देता है। लेकिन एक मजबूत शासन राष्ट्र को आत्मनिर्भर, सुरक्षित और प्रगतिशील बनाता है।”
एनएसए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि बीते एक दशक में भारत ने जिस गति से प्रगति की है, वह शासन की दृढ़ता और जिम्मेदारी का परिणाम है। उन्होंने कहा कि आज भारत न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी पहचान और प्रभाव को बढ़ा रहा है। डोभाल ने कहा कि “भारत अब फैसले लेने वाला देश बन चुका है, फैसलों का इंतजार करने वाला नहीं।”
अपने भाषण के दौरान डोभाल ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले समय में शासन की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को शासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि “राष्ट्र निर्माण केवल सरकार का कार्य नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है। जब शासन और नागरिक एक ही दिशा में सोचते हैं, तब ही राष्ट्र अपनी असली ताकत दिखाता है।”
अजीत डोभाल ने आगे कहा कि भारत के सामने कई वैश्विक चुनौतियाँ हैं — चाहे वह साइबर सुरक्षा हो, आतंकवाद का खतरा हो या आर्थिक अस्थिरता। इन सबका सामना केवल नीति नहीं, बल्कि प्रभावी और दूरदर्शी शासन से किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज भारत जिस आत्मविश्वास के साथ विश्व पटल पर खड़ा है, वह मजबूत प्रशासनिक संरचना और निर्णायक नेतृत्व की देन है।
अपने भाषण के अंत में डोभाल ने एकता, अनुशासन और जिम्मेदारी को शासन की तीन सबसे बड़ी शक्तियाँ बताया। उन्होंने कहा कि “सरदार पटेल ने दिखाया कि जब शासन में एकता और निर्णय की शक्ति होती है, तो कोई चुनौती बड़ी नहीं रहती। आज के भारत में भी वही भावना जीवित है, जो देश को नई ऊंचाइयों की ओर ले जा रही है।”
डोभाल के इस बयान को राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में मोदी सरकार के शासन मॉडल की सराहना के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि उनका यह संदेश न केवल प्रशासनिक मजबूती की ओर इशारा करता है, बल्कि आने वाले समय में भारत के शासन ढांचे को और सशक्त बनाने की दिशा में एक प्रेरणा भी है।








