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देशभर में टोल भुगतान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फास्टैग (FASTag) को लेकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने नए नियम लागू कर दिए हैं। 1 नवंबर 2025 से लागू हुए इन नए प्रावधानों के तहत अब सभी फास्टैग यूजर्स के लिए KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया पूरी करना अनिवार्य कर दिया गया है। अगर कोई वाहन मालिक तय समय सीमा के भीतर अपनी KYC प्रक्रिया पूरी नहीं करता, तो उसका फास्टैग निष्क्रिय कर दिया जाएगा।
एनएचएआई ने यह कदम डिजिटल ट्रांजेक्शन में पारदर्शिता लाने और फर्जी खातों को खत्म करने के उद्देश्य से उठाया है। हाल के महीनों में फास्टैग से जुड़ी कई शिकायतें सामने आई थीं, जिनमें एक ही वाहन पर कई फास्टैग का उपयोग, गलत अकाउंट लिंकिंग और अनधिकृत ट्रांजेक्शन जैसे मामले शामिल थे। ऐसे में अथॉरिटी ने इन समस्याओं को रोकने के लिए KYC प्रक्रिया को सख्त करने का फैसला किया है।
NHAI के अधिकारियों के मुताबिक, नया सिस्टम सुनिश्चित करेगा कि हर फास्टैग एक ही वाहन और एक ही यूजर से जुड़ा हो। फास्टैग जारी करने वाली बैंकों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वे ग्राहक से पूरी KYC जानकारी लें, जिसमें आधार, पैन कार्ड, वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र और मोबाइल नंबर जैसी जानकारियां शामिल हों।
एनएचएआई ने साफ कहा है कि KYC प्रक्रिया पूरी न करने वाले यूजर्स का फास्टैग जल्द ही ब्लॉक कर दिया जाएगा। इससे ऐसे लोगों को दिक्कत हो सकती है, जो लंबे समय से पुराना टैग इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन उन्होंने कभी अपनी जानकारी अपडेट नहीं की।
इस नई व्यवस्था के तहत NHAI ने “वन व्हीकल वन फास्टैग (One Vehicle One FASTag)” नीति को भी सख्ती से लागू करने की बात कही है। इसके तहत किसी भी वाहन पर एक से अधिक फास्टैग नहीं लगाया जा सकेगा। कई यूजर्स अलग-अलग बैंकों के फास्टैग का इस्तेमाल करते हैं, जिससे डुप्लीकेट एंट्री और धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे थे। नई नीति से इन पर रोक लगेगी।
बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने सभी ग्राहकों को KYC अपडेट करने के लिए सूचित करें। इसके लिए उन्हें एसएमएस, ईमेल और नोटिफिकेशन के माध्यम से अलर्ट भेजने को कहा गया है। अगर ग्राहक समय रहते अपडेट नहीं करते, तो बैंक को फास्टैग को निष्क्रिय करने का अधिकार होगा।
फास्टैग जारी करने वाली प्रमुख एजेंसियां जैसे पेटीएम पेमेंट्स बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए ऑनलाइन KYC पोर्टल शुरू कर दिए हैं। यूजर अपने मोबाइल या कंप्यूटर से आसानी से अपनी KYC डिटेल अपलोड कर सकते हैं। इसके लिए केवल आधार नंबर और वाहन आरसी की जरूरत होगी।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस नई नीति का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि फास्टैग सिस्टम और अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बन जाएगा। साथ ही, फर्जी टैग और गलत अकाउंट से होने वाले विवादों में कमी आएगी। इससे टोल प्लाजा पर लंबी कतारें भी घटेंगी क्योंकि अब प्रत्येक टैग की पहचान एक ही वाहन से होगी।
एनएचएआई ने यह भी कहा है कि फास्टैग की KYC पूरी करने के बाद यूजर्स को किसी तरह का अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। यह पूरी प्रक्रिया मुफ्त है। हालांकि, यदि किसी टैग को गलत जानकारी के कारण ब्लॉक किया गया है, तो उसे दोबारा सक्रिय करने के लिए उपयोगकर्ता को संबंधित बैंक से संपर्क करना होगा।
आंकड़ों के अनुसार, भारत में अब तक 7.5 करोड़ से अधिक फास्टैग जारी किए जा चुके हैं। इनमें से करीब 15 प्रतिशत टैग ऐसे हैं जिनकी KYC जानकारी अधूरी है। एनएचएआई चाहती है कि दिसंबर 2025 तक सभी यूजर्स अपनी जानकारी अपडेट कर लें ताकि किसी भी तरह की असुविधा से बचा जा सके।
फास्टैग की शुरुआत 2016 में हुई थी, जिसका उद्देश्य देश में टोल भुगतान को डिजिटल और कैशलेस बनाना था। समय के साथ यह सिस्टम बेहद लोकप्रिय हुआ, लेकिन इसके साथ धोखाधड़ी और गलत उपयोग के मामले भी बढ़े। अब नए नियमों के जरिए एनएचएआई इस व्यवस्था को और सुरक्षित बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
फास्टैग यूजर्स के लिए यह जरूरी है कि वे जल्द से जल्द अपनी KYC प्रक्रिया पूरी करें। ऐसा करने से न केवल ट्रांजेक्शन सुरक्षित रहेंगे बल्कि यात्रा के दौरान किसी परेशानी से भी बचा जा सकेगा।








