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राजस्थान के सीकर जिले के रींगस स्थित प्राचीन श्याम मंदिर में इस वर्ष का देवउठनी एकादशी पर्व भव्यता और श्रद्धा से मनाया गया। यह अवसर विशेष इसलिए रहा क्योंकि बाबा श्याम के जन्मोत्सव पर मंदिर को यूरोप से मंगाए गए फूलों से सजाया गया। पूरा मंदिर परिसर रंग-बिरंगे गुलाब, ट्यूलिप, लिली और कार्नेशन फूलों की सुगंध से महक उठा। श्रद्धालु सुबह से ही बाबा के दर्शन के लिए उमड़ पड़े और मध्यरात्रि तक मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा।
मंदिर के पुजारियों और सेवा समिति ने बताया कि इस बार का श्रृंगार अद्वितीय था। बाबा श्याम के दरबार को वृंदावन के निधिवन की तर्ज पर सजाया गया, जहां प्राकृतिक सुंदरता और भक्ति का संगम देखने को मिला। श्रृंगार में 25 से अधिक किस्म के विदेशी फूलों का उपयोग किया गया था। इसमें नीदरलैंड और फ्रांस से आए गुलाब, इटली के ट्यूलिप और इंग्लैंड के सफेद लिली प्रमुख आकर्षण रहे। फूलों से बनी तोरण, झूले और पृष्ठभूमि की रंगत इतनी अद्भुत थी कि भक्तों ने इसे “फूलों का स्वर्ग” कहा।
रात 12 बजे मंदिर प्रांगण में बाबा श्याम का जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भक्तों ने बाबा को मावे का केक अर्पित किया और चारों ओर आतिशबाजी से आसमान जगमगा उठा। हर ओर “श्याम बाबा की जय” के जयकारे गूंजने लगे। बाबा का भव्य श्रृंगार देखने हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दराज़ से पहुंचे थे। कई भक्तों ने बताया कि इस दृश्य ने उन्हें खाटू धाम की याद दिला दी।
मंदिर परिसर में इस अवसर पर विशेष भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के प्रसिद्ध भजन गायक शामिल हुए। भजनों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो गया। भक्तों ने बाबा श्याम की आरती में भाग लिया और परिवार, समाज और देश की खुशहाली के लिए प्रार्थना की।
रींगस श्याम मंदिर का यह आयोजन हर वर्ष भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, लेकिन इस बार का श्रृंगार ऐतिहासिक रहा। मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि बाबा के दरबार को सजाने में करीब दो लाख से अधिक फूलों का उपयोग किया गया। सजावट का कार्य 48 घंटे में पूरा किया गया, जिसमें 25 कलाकारों की टीम ने दिन-रात मेहनत की।
श्रृंगार के साथ-साथ मंदिर परिसर में प्रसाद वितरण का भी भव्य आयोजन किया गया। भक्तों को मावा, पंजीरी, चूरमा और पंचामृत का प्रसाद वितरित किया गया। रातभर मंदिर में कीर्तन, नृत्य और भक्ति गीतों का सिलसिला चलता रहा।
स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष इंतज़ाम किए थे। दर्शन व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए लंबी कतारों में बैरिकेडिंग की गई थी, साथ ही सुरक्षा कर्मियों की तैनाती भी की गई। मंदिर के बाहर लाइटिंग, फूड स्टॉल और भक्ति संगीत के माध्यम से माहौल को उत्सवमय बनाया गया।
बाबा श्याम के जन्मोत्सव को लेकर भक्तों में अपार उत्साह था। श्रद्धालुओं का मानना है कि देवउठनी एकादशी के दिन बाबा श्याम का दर्शन करने से जीवन की हर समस्या का समाधान होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
खाटू श्याम के प्रति श्रद्धा और आस्था सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं रही। देश के कई राज्यों से भक्त इस अवसर पर रींगस पहुंचे। सोशल मीडिया पर भी रींगस मंदिर के श्रृंगार की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गए। लोग बाबा के दरबार की झलक देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं।
मंदिर समिति के प्रवक्ता ने बताया कि आने वाले सप्ताह में भी भक्तों की भीड़ बनी रहने की संभावना है। देवउठनी एकादशी के बाद कार्तिक पूर्णिमा तक विशेष आरती और श्रृंगार का आयोजन जारी रहेगा।
इस प्रकार, रींगस के प्राचीन श्याम मंदिर में इस वर्ष का देवउठनी पर्व भक्ति, कला और आस्था का अद्भुत संगम बन गया। यूरोपीय फूलों से सजा बाबा का दरबार और भक्तों का उमड़ा सैलाब इस आयोजन को यादगार बना गया। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि उस गहरी श्रद्धा का प्रतीक था जो हर भक्त के हृदय में बाबा श्याम के लिए बसी है।








