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    मध्य प्रदेश के 70वें स्थापना दिवस पर गौरव की कहानी: एक धरा का वीर, एक सागर का सपूत — दोनों बेटों के हाथों में देश की रक्षा की कमान

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    मध्य प्रदेश ने इस वर्ष अपने 70वें स्थापना दिवस पर एक अनूठा इतिहास रच दिया है। यह अवसर न केवल उत्सव का है बल्कि गर्व का भी, क्योंकि इस वीरभूमि के दो सपूत आज भारत की रक्षा व्यवस्था के शीर्ष पर हैं। एक हैं भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, जो धरती की सीमाओं की सुरक्षा का दायित्व संभाल रहे हैं, और दूसरे हैं भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी, जो सागर की गहराइयों और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के प्रहरी बने हुए हैं।

    1 नवंबर 2025 को मध्य प्रदेश ने ‘अभ्युदय मध्य प्रदेश’ थीम के साथ अपनी स्थापना के 70 वर्ष पूरे किए। इस अवसर पर पूरे प्रदेश में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, परेडों और देशभक्ति से ओतप्रोत आयोजनों की श्रृंखला चली। लेकिन इस बार का स्थापना दिवस विशेष बन गया है — क्योंकि शौर्य और नेतृत्व की दोनों प्रतिमाएं, जल और थल पर, मध्य प्रदेश की ही मिट्टी से निकली हैं।

    थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी: धरती के रक्षक
    जनरल उपेंद्र द्विवेदी का जन्म मध्य प्रदेश की धरती पर हुआ और उनकी प्रारंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल रीवा से हुई। बचपन से ही अनुशासन और सेवा का भाव उनके जीवन में रचा-बसा रहा। आज वे भारतीय थल सेना के प्रमुख के रूप में देश की सीमाओं की सुरक्षा का नेतृत्व कर रहे हैं।
    हाल ही में वे अपने गृह राज्य रीवा पहुंचे और सैनिक स्कूल का दौरा किया, जहां उन्होंने अपने छात्र जीवन की यादें साझा कीं। उन्होंने कहा, “रीवा की यह भूमि मेरे जीवन की नींव है। इसने मुझे जिम्मेदारी, साहस और नेतृत्व सिखाया। मुझे गर्व है कि मैं उसी भूमि से आया हूं जिसने मुझमें राष्ट्र सेवा का भाव जगाया।”
    जनरल द्विवेदी ने युवाओं से कहा कि देश की रक्षा केवल सैनिक ही नहीं करते, बल्कि हर नागरिक एक सैनिक की तरह अपने दायित्व निभाकर राष्ट्र को सशक्त बनाता है।

    नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी: सागर के सपूत
    मध्य प्रदेश के दूसरे सपूत एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी भी सैनिक स्कूल रीवा के छात्र रहे हैं। उन्होंने भारतीय नौसेना में अपने उत्कृष्ट नेतृत्व, रणनीतिक सोच और तकनीकी दक्षता से देश की समुद्री सीमाओं को सुरक्षित बनाया है।
    हाल ही में वे भी रीवा पहुंचे, जहां उन्होंने छात्रों से मुलाकात की और कहा, “भारत की नौसेना अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी है। हमारा समुद्र सिर्फ सीमाओं का नहीं, बल्कि सुरक्षा, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है। हमें इसे संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।”
    एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि यह संयोग नहीं, बल्कि गर्व की बात है कि भारत की थल सेना और नौसेना दोनों के प्रमुख एक ही प्रदेश से, एक ही स्कूल से शिक्षित हुए हैं — यह मध्य प्रदेश की शिक्षा और संस्कारों की सशक्तता का प्रमाण है।

    दो सपूत, एक गौरव — मध्य प्रदेश का अभ्युदय
    मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस पर यह उपलब्धि राज्य की समृद्ध परंपरा और गौरवशाली इतिहास को और भी ऊँचा करती है। मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने दोनों सैन्य प्रमुखों को राज्य की ओर से शुभकामनाएं दीं और कहा कि “यह हमारे लिए गर्व की बात है कि मध्य प्रदेश की धरती ने ऐसे सपूत दिए हैं जो आज भारत की सुरक्षा के स्तंभ बने हुए हैं।”
    राज्य सरकार ने इस अवसर पर “वीर मध्य प्रदेश” नामक एक विशेष अभियान की घोषणा की, जिसमें उन सैनिकों और अधिकारियों का सम्मान किया जाएगा जिन्होंने देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

    रीवा का सैनिक स्कूल बना प्रेरणा का केंद्र
    सैनिक स्कूल रीवा इस समय चर्चा का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि इसी संस्थान से निकले दोनों अधिकारी आज भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च पदों पर हैं। स्कूल के प्राचार्य ने कहा कि “यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमारे दो पूर्व छात्र आज देश की रक्षा के सर्वोच्च कमांडर हैं। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है कि सपने चाहे छोटे शहरों से शुरू हों, लेकिन उनकी उड़ान आसमान छू सकती है।”

    अभ्युदय मध्य प्रदेश — विकास और वीरता का संगम
    70 साल पूरे कर चुका मध्य प्रदेश अब “अभ्युदय” यानी नवजागरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है। राज्य के हर कोने में इस अवसर पर विकास प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और वीरता को समर्पित आयोजन किए जा रहे हैं। इस बार का स्थापना दिवस केवल अतीत का सम्मान नहीं, बल्कि भविष्य के विश्वास का प्रतीक भी बना है।

    आज जब धरती पर जनरल उपेंद्र द्विवेदी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं और सागर पर एडमिरल दिनेश त्रिपाठी समुद्री सुरक्षा का नेतृत्व कर रहे हैं, तब यह कहा जा सकता है —
    मध्य प्रदेश सच में ‘अभ्युदय’ की राह पर है — जहां मिट्टी वीरों को जन्म देती है, और वे पूरे भारत का सिर गर्व से ऊँचा करते हैं।

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