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    नीचता पर उतरा पाकिस्तान! भारतीय सेना के अफसर का AI वीडियो शेयर कर फैलाया झूठा प्रोपेगेंडा, जांच में हुआ बड़ा खुलासा

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    भारत के खिलाफ झूठ फैलाने की अपनी पुरानी नीति पर चलते हुए पाकिस्तान ने एक बार फिर फर्जी प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश की है। इस बार निशाने पर भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह रहे। पाकिस्तान के सोशल मीडिया नेटवर्क्स पर उनका एक AI से बनाया गया वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें उन्हें बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर सेना के अभ्यास पर राजनीतिक टिप्पणी करते हुए दिखाया गया। हालांकि भारतीय सेना और विशेषज्ञों द्वारा की गई जांच में यह वीडियो पूरी तरह फेक और एडिटेड पाया गया है।

    इस घटना ने एक बार फिर पाकिस्तान के डिजिटल दुष्प्रचार नेटवर्क की नीच हरकतों को उजागर कर दिया है, जो अक्सर भारत की छवि खराब करने और सेना पर सवाल खड़े करने की कोशिश करता रहता है।

    AI से बना फेक वीडियो, एडवांस एडिटिंग से गढ़ा गया झूठ
    रक्षा सूत्रों के अनुसार, सोशल मीडिया पर प्रसारित यह वीडियो जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से तैयार किया गया है। इसमें लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह की आवाज़ और चेहरे की मिमिक्री को एडवांस सॉफ्टवेयर की मदद से जोड़ा गया। वीडियो में उन्हें यह कहते हुए दिखाया गया कि “सेना का बिहार में चल रहा अभ्यास राजनीतिक प्रभाव के लिए हो रहा है।”
    हालांकि, जब इस वीडियो की जांच हुई तो पाया गया कि न केवल आवाज़ और लिप सिंक मेल नहीं खा रहे थे, बल्कि वीडियो की विजुअल क्वालिटी में भी कई तकनीकी असंगतियां थीं। AI फेक डिटेक्शन टीम ने पुष्टि की कि यह वीडियो 100% नकली है और इसे किसी विदेशी सर्वर से अपलोड किया गया था।

    भारतीय सेना ने जारी किया बयान
    भारतीय सेना ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए बयान जारी किया है। सेना के प्रवक्ता ने कहा, “यह वीडियो पूरी तरह फर्जी है और इसका उद्देश्य भारतीय सेना की साख को धूमिल करना है। हमारे किसी भी अधिकारी ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। हम इस मामले को संबंधित साइबर एजेंसियों के पास जांच के लिए भेज चुके हैं।”
    सेना ने यह भी स्पष्ट किया कि लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह वर्तमान में अपने आधिकारिक कार्य में व्यस्त हैं और उन्होंने किसी मीडिया प्लेटफॉर्म या राजनीतिक मंच पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

    फेक न्यूज के जरिए प्रोपेगेंडा फैलाने की पुरानी चाल
    यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ इस तरह की डिजिटल साजिश रची हो। इससे पहले भी कई बार पाकिस्तानी हैंडल्स ने कश्मीर, सीमा संघर्ष, और चुनावी गतिविधियों से जुड़ी फर्जी खबरें और AI वीडियो जारी किए हैं। हाल ही में पाकिस्तान के कुछ X (Twitter) और TikTok अकाउंट्स से भारतीय सेना के खिलाफ दुष्प्रचार वाले पोस्ट सामने आए थे, जिन्हें बाद में हटा दिया गया।
    भारत के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान अब पारंपरिक युद्ध के बजाय सूचना युद्ध (Information Warfare) में ज्यादा निवेश कर रहा है ताकि भारत के अंदर भ्रम फैलाया जा सके।

    साइबर एजेंसियों ने शुरू की जांच
    गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की साइबर शाखा ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि यह वीडियो किसी विदेशी IP एड्रेस से अपलोड हुआ था, जो पाकिस्तान या उसके सहयोगी देशों से जुड़ा हो सकता है।
    एजेंसियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देश दिया है कि वे इस वीडियो को तुरंत हटाएं और ऐसे कंटेंट को रोकने के लिए AI आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम और मजबूत करें।

    डीपफेक तकनीक बन रही है खतरा
    विशेषज्ञों का कहना है कि डीपफेक और AI जनरेटेड वीडियो आज दुनिया भर में सूचना सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। इन तकनीकों के माध्यम से किसी की भी आवाज़ और चेहरा हूबहू कॉपी करके झूठी बातें फैलाई जा सकती हैं।
    भारतीय साइबर एजेंसियां अब AI-आधारित पहचान उपकरणों का इस्तेमाल कर ऐसे फेक वीडियो की पहचान करने में जुटी हैं।

    भारत ने दी कड़ी चेतावनी
    भारत सरकार ने पाकिस्तान की इस हरकत को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि ऐसे कदम न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन हैं, बल्कि यह शांति और स्थिरता के खिलाफ साजिश भी है। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “पाकिस्तान को अपनी सीमा पार की नीतियों और झूठे प्रोपेगेंडा पर नियंत्रण रखना चाहिए। भारतीय सेना हमेशा देश की सुरक्षा के लिए समर्पित रही है और किसी भी राजनीतिक मुद्दे से उसका कोई संबंध नहीं है।”

    पाकिस्तान द्वारा भारतीय सेना के अफसर का फर्जी वीडियो जारी करना उसकी डिजिटल नैतिकता के पतन को दर्शाता है। जांच में वीडियो के फर्जी साबित होने के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि पड़ोसी देश लगातार भारत के खिलाफ डिजिटल युद्ध छेड़े हुए है।
    विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में न केवल जागरूकता जरूरी है, बल्कि सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को भी हर वायरल वीडियो की सत्यता जांचे बिना उसे साझा नहीं करना चाहिए।

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