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आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के कासीबुग्गा कस्बे में स्थित प्रसिद्ध वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में शनिवार को एकादशी के अवसर पर हुए भयावह हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। मंदिर परिसर में अचानक मची भगदड़ में 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए। हादसे के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई और राहत-बचाव दल तुरंत मौके पर पहुंच गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दर्दनाक घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि “वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में हुई भगदड़ अत्यंत दुखद है। मेरी संवेदनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया।” प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से जारी बयान में बताया गया कि केंद्र सरकार मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख की अनुग्रह राशि और घायलों को ₹50 हजार रुपये की सहायता देगी।
जानकारी के अनुसार, यह हादसा शनिवार सुबह उस समय हुआ जब एकादशी के अवसर पर मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे थे। मंदिर प्रशासन ने बताया कि सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही थी। जैसे ही भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए द्वार खोले गए, भीड़ अचानक नियंत्रण से बाहर हो गई। एक तरफ से धक्का-मुक्की शुरू हुई और देखते ही देखते भगदड़ मच गई।
स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अनुसार, कई श्रद्धालु मंदिर की रेलिंग टूटने के बाद गिर पड़े, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। मंदिर परिसर में मौजूद स्वयंसेवकों और पुलिसकर्मियों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया। घायलों को नजदीकी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने भी घटना पर शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई है। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि घायलों को बेहतर से बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जाए और हादसे के कारणों की जांच की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मंदिरों में भीड़ नियंत्रण की बेहतर व्यवस्था की जाएगी।
राहत और बचाव कार्यों में पुलिस, दमकल विभाग और स्थानीय स्वयंसेवी संगठन मिलकर काम कर रहे हैं। एनडीआरएफ की एक टीम भी मौके पर तैनात की गई है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। प्रशासन ने मृतकों के शवों की पहचान कर उनके परिवारों को सूचित करना शुरू कर दिया है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ इतनी अधिक थी कि कई लोग लंबे समय से धूप में खड़े थे और जैसे ही मंदिर के द्वार खुले, लोग तेजी से अंदर जाने लगे। इस दौरान कुछ श्रद्धालु फिसल गए और उनके ऊपर बाकी लोग गिर पड़े। कुछ ही मिनटों में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो गई।
मंदिर प्रशासन ने हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि मंदिर के प्रवेश द्वार पर पर्याप्त सुरक्षा और बैरिकेडिंग की व्यवस्था नहीं थी। साथ ही, भीड़ प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की लापरवाही भी उजागर हुई है।
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और गृहमंत्री अमित शाह ने भी इस घटना पर शोक प्रकट किया है। राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पर लिखा, “आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में हुई त्रासदी हृदयविदारक है। शोकसंतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।”
यह घटना एक बार फिर धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन की गंभीरता को उजागर करती है। देश के कई हिस्सों में त्योहारों और विशेष अवसरों पर लाखों लोग मंदिरों में एकत्र होते हैं, लेकिन पर्याप्त सुरक्षा इंतज़ाम न होने से अक्सर ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मंदिर प्रबंधन को आधुनिक तकनीक और इलेक्ट्रॉनिक गेट सिस्टम का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।
वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की यह घटना न केवल आंध्र प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि श्रद्धा और सुरक्षा दोनों का संतुलन बनाना बेहद जरूरी है। प्रधानमंत्री मोदी की संवेदनाएं और सहायता राशि से पीड़ित परिवारों को राहत मिलेगी, लेकिन यह हादसा एक बड़ा सबक छोड़ गया है कि धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।








