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देशभर को झकझोर देने वाली मुंबई बंधक कांड की कहानी का एक और अध्याय शनिवार को खत्म हो गया। 17 बच्चों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्य का शनिवार तड़के पुणे में अंतिम संस्कार कर दिया गया। यह वही व्यक्ति था जिसने मुंबई के एक स्टूडियो में कई घंटे तक बच्चों को बंधक बनाए रखा था और सुरक्षा बलों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। बचाव अभियान के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
सूत्रों के मुताबिक, रोहित आर्य का शव शुक्रवार देर रात पोस्टमार्टम के बाद परिवार को सौंपा गया था। शनिवार सुबह पुणे के वैकुंठ श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। इस दौरान उसकी पत्नी, बच्चे और करीबी परिजन मौजूद थे। बताया जा रहा है कि परिवार ने मीडिया से दूरी बनाए रखी और पूरी प्रक्रिया सादगी से संपन्न की गई।
बंधक कांड के बाद तनाव में था परिवार
मुंबई की घटना के बाद से ही रोहित आर्य के परिवार पर तनाव और मानसिक दबाव बना हुआ था। उसकी पत्नी ने बताया कि घटना से पहले रोहित पिछले कुछ दिनों से मानसिक रूप से बेहद परेशान था और किसी बड़ी बात को लेकर तनाव में था। हालांकि परिवार ने किसी गंभीर विवाद या झगड़े की बात से इनकार किया है।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि परिवार ने पहले पुलिस जांच में भी सहयोग किया और अब अंतिम संस्कार के बाद पुणे से बाहर रिश्तेदारों के पास जाने की तैयारी कर रहा है।
पुलिस जांच में सामने आए नए तथ्य
मुंबई पुलिस की जांच में अब यह स्पष्ट हो रहा है कि रोहित आर्य किसी मानसिक विकार से जूझ रहा था और हाल के दिनों में उसने कई बार परिजनों से असामान्य व्यवहार किया था। पुलिस को उसके कमरे से कुछ नोट्स और डिजिटल रिकॉर्डिंग मिली हैं जिनकी जांच जारी है। शुरुआती रिपोर्ट में पुलिस ने कहा था कि वह “सामाजिक दबाव और निजी असफलताओं” से टूट चुका था।
फिलहाल फॉरेंसिक टीम उसके फोन और लैपटॉप से यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वह किसी संगठन, व्यक्ति या समूह के संपर्क में था जिसने उसके व्यवहार को प्रभावित किया।
अभियान के दौरान कैसे हुई मौत
गौरतलब है कि मुंबई के गोरेगांव इलाके में बने एक पुराने स्टूडियो में रोहित आर्य ने 17 बच्चों को बंधक बना लिया था। उसने पुलिस और मीडिया के सामने कई अजीबो-गरीब मांगें रखी थीं। करीब आठ घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान पुलिस ने आखिरकार बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला, लेकिन झड़प के बीच रोहित गंभीर रूप से घायल हो गया।
उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, उसकी मौत गोली लगने से हुई चोट और रक्तस्राव के कारण हुई। हालांकि इस बात की जांच जारी है कि गोली पुलिस की थी या खुद रोहित ने आत्मघाती कदम उठाया था।
पुलिस ने परिवार को दी सुरक्षा
घटना के बाद रोहित आर्य के परिजनों को सोशल मीडिया पर मिल रही नकारात्मक प्रतिक्रियाओं और ट्रोलिंग को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने पुणे स्थित उनके घर के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी थी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि परिवार को मानसिक और कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराई गई है ताकि वे घटना के बाद के आघात से उबर सकें।
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर समाज में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की कमी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि कई बार दबाव, अकेलापन और असफलता का डर व्यक्ति को ऐसे चरम कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है।
मुंबई के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. अमित देशमुख ने कहा, “यह मामला सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि मानसिक बीमारी की गंभीरता को दर्शाता है। हमें समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ानी होगी ताकि ऐसे हादसे दोबारा न हों।”
अंतिम यात्रा में सन्नाटा और सादगी
पुणे में रोहित आर्य की अंतिम यात्रा बेहद सादगी से संपन्न हुई। कुछ स्थानीय लोग और रिश्तेदार ही वहां मौजूद थे। रोहित की पत्नी ने मीडिया से दूरी बनाते हुए केवल इतना कहा, “जो हुआ वो दुखद है, लेकिन अब हम सिर्फ शांति चाहते हैं।”
अंतिम संस्कार के दौरान माहौल बेहद भावुक था। बच्चों और परिजनों की आंखों में आंसू थे, लेकिन सभी ने मौन रहकर विदाई दी।
मुंबई पुलिस अब इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है, जो आने वाले सप्ताह में जारी की जाएगी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, “मामले की हर तकनीकी और मानसिक पहलू से जांच की जा रही है ताकि यह समझा जा सके कि आखिर एक सामान्य व्यक्ति ने इतनी भयावह हरकत क्यों की।”
इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर यह याद दिला दिया है कि समाज में मानसिक असंतुलन और तनाव किस हद तक घातक साबित हो सकते हैं। रोहित आर्य की कहानी सिर्फ अपराध की नहीं, बल्कि चेतावनी की भी है — जो बताती है कि अगर समय रहते किसी की मानसिक स्थिति पर ध्यान न दिया जाए, तो एक गलत कदम कई जीवनों को प्रभावित कर सकता है।








