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नासिक — महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर-घोटी मार्ग के चौड़ीकरण और विकास परियोजना को लेकर किसानों ने तीव्र विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। किसानों का आरोप है कि प्रशासन बिना उनकी सहमति के जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया आगे बढ़ा रहा है। इस परियोजना के तहत त्र्यंबकेश्वर से घोटी तक नई सड़क का निर्माण प्रस्तावित है, जो नासिक से जुड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग माना जाता है।
किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार की इस योजना में उनके हितों की अनदेखी की जा रही है। उनका कहना है कि यह क्षेत्र उपजाऊ कृषि भूमि वाला इलाका है, जहां पूरे साल फसल उत्पादन होता है। ऐसे में इस भूमि पर सड़क निर्माण करने से उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा। विरोध कर रहे किसानों ने चेतावनी दी है कि जब तक उन्हें उचित मुआवजा और वैकल्पिक भूमि नहीं दी जाती, वे अधिग्रहण का विरोध जारी रखेंगे।
त्र्यंबकेश्वर तहसील के कई गांवों — जैसे घोटी, बेलपाडा, नागरदेवला और जवाहरनगर — के किसान इस आंदोलन में शामिल हुए हैं। उन्होंने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और तहसील कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना बिना ग्राम सभाओं की अनुमति के जारी की गई है, जो संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत पंचायत राज अधिनियम का उल्लंघन है।
इस आंदोलन की अगुवाई किसान नेता शंकरराव भोसले और सुनंदा पाटील कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “सरकार विकास के नाम पर किसानों की जमीनें हड़प रही है। त्र्यंबकेश्वर-घोटी सड़क से जिन गांवों की जमीन जाएगी, वहां के किसानों से न तो कोई संवाद किया गया और न ही मुआवजे की पारदर्शी व्यवस्था है।”
प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों से वार्ता शुरू की है और आश्वासन दिया है कि किसी भी किसान की जमीन बिना उचित प्रक्रिया और मुआवजे के अधिग्रहित नहीं की जाएगी। नासिक के जिला कलेक्टर ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को बेहतर सड़क नेटवर्क से जोड़ना है, जिससे व्यापार, पर्यटन और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
हालांकि, किसानों का कहना है कि अगर विकास किसानों की जमीन छीनकर किया जाएगा, तो यह “अन्यायपूर्ण विकास” होगा। कई किसानों ने बताया कि उनकी जमीनें न केवल खेती के लिए उपयोगी हैं बल्कि उन पर घर और कुएं जैसी संपत्तियां भी हैं। अधिग्रहण से उनकी पारिवारिक स्थिरता और भविष्य दोनों पर संकट आ जाएगा।
जानकारी के अनुसार, त्र्यंबकेश्वर-घोटी सड़क परियोजना महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (MSRDC) के तहत बनाई जा रही है। यह मार्ग पर्यटन के लिहाज से भी अहम है क्योंकि यह भगवान त्र्यंबकेश्वर मंदिर तक जाने वाले हजारों श्रद्धालुओं का प्रमुख रास्ता है। प्रशासन का कहना है कि चौड़ीकरण के बाद यातायात सुगम होगा और दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
फिर भी किसानों का मानना है कि सरकार सड़क का मार्ग थोड़ा बदलकर खेतों को बचा सकती है, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं जा रही। एक किसान ने कहा, “हम सड़क का विरोध नहीं कर रहे हैं, हम अन्याय का विरोध कर रहे हैं। विकास जरूरी है, लेकिन किसानों को बर्बाद करके नहीं।”
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण प्रेमियों ने भी किसानों का समर्थन किया है। उनका कहना है कि प्रस्तावित मार्ग जंगल और जलस्रोत क्षेत्रों से भी गुजरता है, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन की संभावना है। उन्होंने परियोजना के पुनर्मूल्यांकन की मांग की है।
दूसरी ओर, नासिक प्रशासन ने यह भी बताया कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि भूमि मालिकों को बाजार दर से अधिक मुआवजा दिया जाएगा और प्रभावित परिवारों के लिए पुनर्वास योजना तैयार की जा रही है।
फिलहाल, यह आंदोलन धीरे-धीरे गति पकड़ता जा रहा है। किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि अगर 10 दिनों के भीतर उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे।
त्र्यंबकेश्वर क्षेत्र धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, ऐसे में इस सड़क परियोजना को राज्य सरकार “प्राथमिकता परियोजना” के रूप में देख रही है। लेकिन किसानों का विरोध यह दिखाता है कि विकास और आजीविका के बीच संतुलन बनाना अब भी सरकारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि वे संवाद और पारदर्शिता के माध्यम से समस्या का समाधान खोजने के लिए तैयार हैं। परंतु जब तक किसानों को भरोसा नहीं मिलेगा कि उनका नुकसान नहीं होगा, तब तक यह विवाद शांत होता नजर नहीं आ रहा।

		
		
		
		
		
		
		
		
		






