इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।
    
    
    
    
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक अजीबोगरीब लेकिन गंभीर मामला सामने आया है। समाज कल्याण राज्य मंत्री डॉ. संजीव गौड़ के काफिले को ओवरटेक करने की कोशिश तीन युवकों को भारी पड़ गई। पुलिस ने तीनों युवकों को सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने और मंत्री के काफिले की सुरक्षा में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना जिले के रेणुकूट क्षेत्र में उस समय घटी जब मंत्री का काफिला क्षेत्रीय कार्यक्रम से लौट रहा था।
जानकारी के अनुसार, मंत्री जी का काफिला रेणुकूट से वाराणसी की ओर जा रहा था। इसी दौरान तीन युवक एक सफेद रंग की कार में सवार होकर तेज गति से काफिले के बीच घुसने की कोशिश करने लगे। स्कॉर्ट वाहन के सुरक्षाकर्मियों ने जब उन्हें रुकने का इशारा किया, तो उन्होंने ओवरटेक करने का प्रयास किया। कुछ ही दूरी पर पुलिस ने उन्हें रोक लिया और हिरासत में ले लिया।
काफिले की सुरक्षा में हुई चूक या लापरवाही?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, तीनों युवक काफिले की दिशा से अवगत नहीं थे और उन्होंने अनजाने में ऐसा किया। लेकिन मंत्री के स्कॉर्ट में शामिल सुरक्षाकर्मियों ने इसे सुरक्षा उल्लंघन मानते हुए तुरंत कार्रवाई की मांग की।
रेणुकूट थाना प्रभारी ने बताया कि “तीनों युवकों से पूछताछ की जा रही है। शुरूआती जांच में यह बात सामने आई है कि उन्होंने नशे की हालत में वाहन चलाया था और सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी की थी।”
मंत्री के काफिले की सुरक्षा में खलल से पुलिस सख्त
घटना के तुरंत बाद सोनभद्र पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मंत्री के काफिले के साथ छेड़छाड़ को गंभीर अपराध माना जाता है क्योंकि इससे उनकी सुरक्षा पर सीधा खतरा हो सकता है।
पुलिस ने कार को कब्जे में ले लिया है और वाहन मालिक की पहचान की जा रही है।
इस मामले में धारा 279 (लापरवाह वाहन चलाना), 353 (सरकारी कार्य में बाधा डालना) और 186 (लोक सेवक को उसके कार्य में बाधा) के तहत मामला दर्ज किया गया है। तीनों आरोपियों को सोनभद्र जिला जेल भेज दिया गया है।
स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय बना मामला
यह घटना इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। कई लोगों का कहना है कि युवकों ने शायद अनजाने में गलती की होगी, लेकिन काफिले के कारण सड़कों पर आम जनता को रोक दिया जाना अब आम बात हो गई है।
कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर यह मुद्दा उठाते हुए सवाल किया कि क्या आम नागरिकों के लिए अब सड़क पर चलना भी “सुरक्षा उल्लंघन” बन गया है।
मंत्री कार्यालय का बयान
मंत्री संजीव गौड़ के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि “यह घटना पूरी तरह सुरक्षा से जुड़ी है। मंत्री जी ने खुद किसी पर कोई कार्रवाई का निर्देश नहीं दिया है। यह पुलिस का स्वतःसंज्ञान मामला है, जो सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत की गई कार्रवाई है।”
बयान में यह भी कहा गया कि मंत्री जनता के सेवक हैं और किसी भी नागरिक के खिलाफ व्यक्तिगत रंजिश नहीं रखी गई है।
हालांकि, यह मामला सोशल मीडिया पर “पावर मिसयूज बनाम सुरक्षा प्रोटोकॉल” की बहस में तब्दील हो गया है।
क्या है सुरक्षा प्रोटोकॉल?
राज्य में मंत्री, सांसद या विधायक स्तर के वीआईपी व्यक्तियों के काफिले के लिए कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू हैं।
किसी भी वाहन को काफिले के आगे या बीच में आने की अनुमति नहीं होती। काफिले के दौरान सड़क के दोनों ओर की लेन को खाली रखा जाता है।
अगर कोई वाहन इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो पुलिस उसे रोकने या गिरफ्तार करने के लिए अधिकृत होती है।
युवकों के परिवारों ने लगाई न्याय की गुहार
गिरफ्तार किए गए युवकों के परिजनों ने पुलिस थाने पहुंचकर आरोप लगाया कि उनके बेटों ने कोई अपराध नहीं किया है।
परिजनों का कहना है कि वाहन की स्पीड ज्यादा थी और उन्हें अंदाजा नहीं था कि आगे मंत्री का काफिला है। उन्होंने पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
सोशल मीडिया पर गरमाया माहौल
जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर फैली, लोगों ने पुलिस की कार्रवाई को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ दीं। कुछ लोगों ने कहा कि सुरक्षा में चूक नहीं होनी चाहिए, जबकि अन्य ने इसे “अत्यधिक कार्रवाई” बताया।
ट्विटर (X) और फेसबुक पर कई यूज़र्स ने लिखा कि “अब अगर गलती से किसी मंत्री के आगे निकल जाओ तो जेल जाना पड़ेगा!”

		
		
		
		
		
		
		
		
		






