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    Asia Cup विवाद: बिना पूर्व सूचना के Haris Rauf को मिले डिमेरिट पॉइंट्स, ICC की सुनवाई में नहीं हुई चर्चा — रिपोर्ट

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    एशिया कप 2025 के फाइनल में भारत के खिलाफ मैदान पर की गई विवादित हरकतों के चलते पाकिस्तान के तेज गेंदबाज हारिस रऊफ (Haris Rauf) पर इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने दो मैचों का प्रतिबंध लगा दिया है। उन्हें यह सजा चार डिमेरिट पॉइंट्स मिलने के बाद दी गई है। लेकिन अब इस पूरे मामले में नया विवाद खड़ा हो गया है — एक रिपोर्ट के अनुसार, ICC ने ये पॉइंट्स बिना पूर्व सूचना (without prior notice) के जोड़े और सुनवाई में इस पर कोई चर्चा नहीं की।

    एशिया कप में खेले गए भारत-पाकिस्तान मुकाबले इस बार सिर्फ रन और विकेट तक सीमित नहीं रहे, बल्कि मैदान पर हुई कुछ हरकतों ने भी सुर्खियाँ बटोरीं।
    21 सितंबर को सुपर फोर चरण में भारत के खिलाफ विकेट लेने के बाद हारिस रऊफ ने बार-बार “जेट क्रैशिंग जेस्चर” किया — जिसमें उन्होंने अपने हाथों से विमान के गिरने जैसा इशारा किया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और कई दर्शकों ने इसे ‘उकसाने वाला और असंवेदनशील’ बताया।

    इसके बाद रऊफ पर Article 2.21 (Code of Conduct) के तहत कार्रवाई हुई — उन्हें मैच फीस का 30% जुर्माना और दो डिमेरिट पॉइंट्स दिए गए।

    सभी को उम्मीद थी कि रऊफ इस घटना से सबक लेंगे, लेकिन 28 सितंबर को भारत के खिलाफ खेले गए एशिया कप फाइनल में उन्होंने वही इशारा दोबारा कर दिया।
    इस बार उन्होंने भारतीय बल्लेबाज अभिषेक शर्मा का कैच पकड़ने के बाद वही “जेट क्रैशिंग” इशारा किया।

    मैच रेफरी रिची रिचर्डसन (Richie Richardson) ने इसे दुबारा Article 2.21 के उल्लंघन के रूप में माना और रऊफ को फिर से 30% मैच फीस का जुर्माना तथा दो अतिरिक्त डिमेरिट पॉइंट्स दिए।

    अब रऊफ के पास कुल चार डिमेरिट पॉइंट्स हो गए — जो ICC नियमों के तहत दो मैचों के प्रतिबंध में बदलते हैं।
    इस कारण उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चल रही वनडे सीरीज़ के दूसरे और तीसरे मैच से बाहर रहना होगा। वे पहले ही पहला मैच मिस कर चुके हैं।

    पाकिस्तानी चैनल Geo News की रिपोर्ट ने इस मामले को और पेचीदा बना दिया है।
    रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जब ICC ने रऊफ की सुनवाई की, तो डिमेरिट पॉइंट्स पर कोई चर्चा नहीं हुई।
    रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई केवल जुर्माने और आचरण पर केंद्रित थी, लेकिन बाद में रऊफ को बताया गया कि चार डिमेरिट पॉइंट्स जोड़ दिए गए हैं — “बिना पूर्व सूचना और बिना आधिकारिक रिकॉर्ड में उल्लेख किए।”

    रिपोर्ट में कहा गया:

    “हारिस रऊफ को सुनवाई के दौरान केवल जुर्माना और चेतावनी की जानकारी दी गई थी।
    परंतु निर्णय के बाद उन्हें बताया गया कि डिमेरिट पॉइंट्स जोड़े गए हैं — जिनका ज़िक्र सुनवाई में कभी नहीं हुआ।”

    इस खुलासे ने ICC की पारदर्शिता और प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

    ICC के आचार संहिता के अनुसार, किसी खिलाड़ी को सजा देने से पहले उसे पूर्ण रूप से आरोपों की जानकारी दी जाती है, और उसे आत्म-पक्ष रखने का अधिकार होता है।
    लेकिन इस मामले में, रिपोर्ट का दावा है कि “रऊफ को पूरी जानकारी नहीं दी गई।”
    क्रिकेट विशेषज्ञों का कहना है कि “यदि डिमेरिट पॉइंट्स सुनवाई में नहीं बताए गए, तो यह प्रक्रिया का उल्लंघन है।”

    पूर्व क्रिकेट विश्लेषक ने कहा —

    “यह क्रिकेट अनुशासन का मामला है, केवल एक खिलाड़ी का नहीं। अगर किसी को सजा दी जाती है, तो पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए।”

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सुनवाई के दौरान ICC ने रऊफ को विकल्प दिया था कि यदि वे आरोप स्वीकार कर लेते, तो सजा में राहत दी जा सकती थी।
    लेकिन रऊफ ने आरोपों को “गलत व्याख्या” बताते हुए अस्वीकार कर दिया।
    परिणामस्वरूप, उन पर पूरा 30% मैच फीस का जुर्माना लागू किया गया और सजा कम नहीं की गई।

    यह विवाद सिर्फ हारिस रऊफ तक सीमित नहीं रहा। ICC ने भारत और पाकिस्तान दोनों टीमों के कुछ खिलाड़ियों पर कार्रवाई की —

    • साहिबज़ादा फर्हान (Pakistan) – भारत के खिलाफ मैच में विकेट लेने के बाद “गन फायरिंग जेस्चर” करने पर उन्हें एक डिमेरिट पॉइंट और चेतावनी मिली।

    • जसप्रीत बुमराह (India) – फाइनल मैच में रऊफ को आउट करने के बाद उसी जेस्चर की नकल करने पर उन्हें भी चेतावनी दी गई।

    • सूर्यकुमार यादव (India) – पाकिस्तान पर जीत के बाद दिए गए “राजनीतिक बयान” के लिए उन्हें 30% मैच फीस का जुर्माना और दो डिमेरिट पॉइंट्स मिले।

    पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने ICC से इस निर्णय पर स्पष्टीकरण मांगा है।
    PCB के एक अधिकारी ने कहा —

    “अगर खिलाड़ी को पहले से यह नहीं बताया गया कि डिमेरिट पॉइंट्स जोड़े जाएंगे, तो यह पारदर्शी प्रक्रिया नहीं कही जा सकती। सुनवाई में इस पर चर्चा होनी चाहिए थी।”

    दूसरी ओर, भारतीय क्रिकेट विश्लेषकों ने कहा कि यह विवाद दिखाता है कि क्रिकेटरों को अब मैदान पर अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना होगा।
    पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा —

    “खेल भावना (Sportsmanship) किसी भी प्रदर्शन से ऊपर होती है। खिलाड़ियों को यह समझना होगा कि उनके इशारे करोड़ों लोग देख रहे हैं।”

    यह घटना क्रिकेट जगत के लिए एक चेतावनी है कि मैदान पर व्यवहार और शालीनता उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना खेल प्रदर्शन।
    आज के सोशल मीडिया युग में हर इशारा और प्रतिक्रिया वैश्विक सुर्खियों में आती है, इसलिए खिलाड़ियों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी।

    सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ICC के निर्णय के खिलाफ अपील दाखिल करने पर विचार कर रहा है।
    अगर अपील होती है, तो ICC को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या डिमेरिट पॉइंट्स वास्तव में सुनवाई के बाद जोड़े गए थे या यह प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा थे।

    हारिस रऊफ का यह मामला केवल एक खिलाड़ी का अनुशासनात्मक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट संस्थाओं की पारदर्शिता, निष्पक्षता और प्रक्रिया की वैधता पर भी सवाल उठाता है।
    अब क्रिकेट जगत की निगाहें ICC और PCB पर टिकी हैं — कि क्या इस विवाद का निपटारा निष्पक्ष तरीके से होगा, या यह मामला भविष्य में एक नया मिसाल बनेगा।

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