• Create News
  • Nominate Now

    लखनऊ में SC/ST एक्ट मामले में वकील परमानंद गुप्ता को 12 साल की जेल, 45 हजार रुपये जुर्माना

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एससी/एसटी एक्ट से जुड़े एक गंभीर मामले में न्यायपालिका ने बड़ा फैसला सुनाया है। लखनऊ की एससी-एसटी कोर्ट ने वकील परमानंद गुप्ता को झूठे मुकदमे दर्ज कराने के आरोप में दोषी ठहराते हुए 12 साल की सजा सुनाई और 45 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह फैसला कानून के दायरे में आने वाले ऐसे मामलों के लिए एक चेतावनी माना जा रहा है।

    कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि परमानंद गुप्ता ने जानबूझकर समाज के संवेदनशील वर्गों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराने में संलिप्तता दिखाई। अदालत ने कहा कि इस तरह के झूठे मुकदमे न केवल निर्दोष नागरिकों के जीवन को प्रभावित करते हैं, बल्कि समाज में तनाव और भय का वातावरण भी पैदा करते हैं। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जरूरत है ताकि कानून का गलत इस्तेमाल रोका जा सके।

    मामले की जांच के दौरान यह सामने आया कि वकील परमानंद गुप्ता ने एससी/एसटी कानून का दुरुपयोग करते हुए झूठे आरोपों की तैयारियों में भाग लिया। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि परमानंद गुप्ता ने अपने पेशेवर कर्तव्यों का उल्लंघन किया और न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाई। इस वजह से अदालत ने उन्हें 12 साल की कैद की सजा सुनाई और आर्थिक दंड के रूप में 45 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

    विशेष न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि झूठे मुकदमे और कानूनी प्रक्रियाओं में धांधली करने वाले वकीलों के खिलाफ कठोर कदम उठाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि कानून का उद्देश्य समाज में न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करना है, और किसी भी तरह के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट संदेश गया है कि न्याय प्रणाली में किसी भी पेशेवर को विशेषाधिकार प्राप्त नहीं हैं और नियमों का पालन हर किसी के लिए अनिवार्य है।

    इस मामले में पीड़ित पक्ष ने कोर्ट के फैसले को स्वागत योग्य बताया। उन्होंने कहा कि लंबे समय से न्याय की उम्मीद में बैठे हुए थे और अदालत के इस फैसले ने उनके भरोसे को मजबूत किया है। पीड़ितों का कहना है कि इस निर्णय से अन्य वकीलों और नागरिकों के लिए भी स्पष्ट संदेश जाएगा कि झूठे मुकदमे दर्ज कराना गंभीर अपराध है और इसके लिए कानूनी कार्रवाई निश्चित है।

    वहीं कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला एससी/एसटी कानून के दुरुपयोग के खिलाफ एक मजबूत मिसाल कायम करता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कठोर निर्णय से न केवल समाज में कानून के प्रति सम्मान बढ़ेगा, बल्कि भविष्य में ऐसे अपराधों की संख्या भी घटेगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई अन्य व्यक्ति इस कानून का गलत इस्तेमाल करता है, तो उसे भी समान सख्ती से दंडित किया जाएगा।

    परमानंद गुप्ता के खिलाफ यह फैसला समाज और न्याय व्यवस्था दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। अदालत ने कहा कि झूठे आरोपों और कानूनी प्रक्रियाओं में फर्जी दस्तावेज तैयार करना केवल एक व्यक्तिगत अपराध नहीं है, बल्कि यह समाज के संवेदनशील वर्गों के खिलाफ अपराध के समान है। कोर्ट के इस फैसले ने यह सुनिश्चित किया है कि कानून का दुरुपयोग करने वालों को बचने का मौका नहीं मिलेगा।

    इस फैसले के बाद लखनऊ में कानूनी और सामाजिक circles में चर्चा का माहौल बन गया है। कई वकीलों और न्यायविदों ने इसे न्यायपालिका की स्पष्ट संदेश देने वाली कार्रवाई करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला न केवल झूठे मुकदमों से पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में कानूनी पेशे में पेशेवर जिम्मेदारी और नैतिकता को भी मजबूत करेगा।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    कश्मीर में सीजन का सबसे बड़ा स्नोफॉल, गुलमर्ग-सोनमर्ग में बर्फबारी ने बनाया परीलोक, श्रीनगर-लेह हाइवे हुआ बंद

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। जम्मू-कश्मीर। पहाड़ी इलाकों में सर्दियों की शुरुआत के साथ ही कश्मीर के प्रमुख हिल स्टेशनों गुलमर्ग और सोनमर्ग में सीजन…

    Continue reading
    Play Store पर मिला फर्जी सरकारी ऐप, 1 लाख लोगों ने कर लिया डाउनलोड, जानें कैसे रहें सतर्क

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। डिजिटल इंडिया के युग में सरकारी ऐप्स नागरिकों के लिए सुविधाएं प्रदान करते हैं, लेकिन हाल ही में एक ऐसा…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *