इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

नासिक जिले के बिऱ्हाड क्षेत्र में स्थानीय नागरिकों द्वारा शुरू केले गए अनिश्चितकालीन उपोषण आंदोलन ने अब गंभीर रूप ले लिया है। पिछले पांच दिनों से छह आंदोलनकारी लगातार अन्नत्याग कर अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि प्रशासन लंबे समय से लंबित जनसमस्याओं के समाधान पर ठोस कदम उठाए। स्थानीयों का कहना है कि वे कई महीनों से अधिकारियों के पास अपनी बातें रख रहे थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई न होने के चलते उन्हें यह कठोर कदम उठाना पड़ा।
उपोषणस्थल पर मौजूद आंदोलनकारियों के अनुसार, बिऱ्हाड क्षेत्र में नागरिक सुविधाओं से लेकर विकास योजनाओं की धीमी गति तक कई मुद्दे लंबे समय से अटके हुए हैं। सड़क मरम्मत, पाणीपुरवठा, स्थानिक पायाभूत सुविधा सुधार, सार्वजनिक सेवा व्यवस्थाओं की दुरुस्ती और प्रशासनिक जवाबदेही जैसे मुद्दों पर लोगों की असंतुष्टि काफी बढ़ चुकी है। आंदोलनकारियों का आरोप है कि उनके बार-बार प्रतिनिधित्व के बावजूद कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आया।
उपोषण में शामिल एक प्रमुख आंदोलनकारी ने कहा कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक या व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि जनजीवन में सुधार लाने की मांगों के लिए है। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों की समस्याएं प्रशासन तक कई बार पहुंचाई गई थीं, लेकिन केवल आश्वासन मिलते रहे और परिस्थितियाँ जस की तस बनी रहीं। इसी कारण प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए अनिश्चितकालीन उपोषण का मार्ग अपनाना पड़ा।
स्थानीय नागरिकों के समर्थन से यह आंदोलन और भी मजबूत होता दिखाई दे रहा है। आसपास के लोग उपोषणस्थल पर पहुंचकर आंदोलनकारियों का उत्साहवर्धन कर रहे हैं और प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उपोषण पर बैठे लोग अपनी सेहत को जोखिम में डालकर पूरे क्षेत्र की समस्याओं को उजागर कर रहे हैं, इसलिए सरकार और प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
इधर, बढ़ते दबाव को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने इस आंदोलन पर प्रारंभिक जानकारी ली है। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और आंदोलनकारियों से संवाद स्थापित करने की संभावना पर विचार किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने भी उपोषणस्थल पर अपनी टीम भेजकर आंदोलनकारियों के स्वास्थ्य की निगरानी शुरू की है।
बिऱ्हाड में चल रहा यह शांतिपूर्ण आंदोलन अब सिर्फ स्थानीय मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह प्रशासनिक जवाबदेही पर भी प्रश्न खड़े कर रहा है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन जल्द से जल्द ठोस कदम उठाएगा और उनकी समस्याओं का समाधान निकलेगा। आंदोलनकारी भी स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि जब तक उनकी मांगों पर प्रभावी कार्यवाही नहीं होती, तब तक उनका उपोषण जारी रहेगा।
बिऱ्हाड क्षेत्र में जारी यह आंदोलन न केवल स्थानीय समस्याओं को उजागर कर रहा है बल्कि यह भी याद दिला रहा है कि विकास और सुविधाओं के लिए नागरिकों को अब भी संघर्ष करना पड़ रहा है। अब देखना यह होगा कि प्रशासनिक तंत्र कितनी जल्दी इस आंदोलन पर संज्ञान लेता है और लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरता है।








