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  • मनरेगा के नाम परिवर्तन पर कांग्रेस पर फडणवीस का तीखा हमला, बोले– मोदी सरकार ने ग्रामीण भारत में सकारात्मक बदलाव लाया

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    महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) का नाम बदले जाने को लेकर कांग्रेस द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को जनता के हित में किए गए हर फैसले से समस्या होती है और वह सरकार के हर कदम का विरोध करने की राजनीति करती है, भले ही उससे आम लोगों को सीधा लाभ क्यों न मिल रहा हो।

    नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि मोदी सरकार ने ग्रामीण भारत के विकास और रोजगार सृजन के क्षेत्र में कई सकारात्मक और ऐतिहासिक बदलाव किए हैं, जिनका लाभ आने वाले वर्षों में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। उन्होंने विपक्ष की आलोचना को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि ऐसे बयानों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है।

    केंद्र सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मनरेगा का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दी है। इसके साथ ही इस योजना के तहत मिलने वाले रोजगार के दिनों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने का फैसला भी किया गया है।

    सरकार का कहना है कि यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने, मजदूर वर्ग को आर्थिक सुरक्षा देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस निर्णय को गरीब, मजदूर और किसान परिवारों के लिए अत्यंत लाभकारी बताया।

    कांग्रेस द्वारा इस फैसले की आलोचना किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए फडणवीस ने कहा,
    “जब मनरेगा के तहत काम होता है, तब भी कांग्रेस आलोचना करती है और जब सुधार किए जाते हैं, तब भी वे विरोध करते हैं। जब लोगों को योजना का लाभ मिलता है, तब भी उन्हें आपत्ति होती है।”

    उन्होंने कहा कि कांग्रेस का रवैया पूरी तरह से नकारात्मक है और वह सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य राजनीति नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत का समग्र विकास है।

    मुख्यमंत्री फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने ग्रामीण रोजगार, सड़क, आवास, स्वच्छता और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किए हैं।
    उन्होंने कहा कि मनरेगा में कार्यदिवसों की संख्या बढ़ाने से ग्रामीण परिवारों की आय में स्थिरता आएगी और उन्हें वर्ष भर रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे।

    फडणवीस के अनुसार, 125 दिनों के रोजगार का प्रावधान ग्रामीण पलायन को रोकने, स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन करने और गांवों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद करेगा।

    कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा दिए गए उस बयान पर, जिसमें उन्होंने कहा था कि मनरेगा का नाम बदलने से सरकार पर अनावश्यक खर्च बढ़ेगा, मुख्यमंत्री फडणवीस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

    उन्होंने कहा,
    “कांग्रेस हमेशा यह तय कर चुकी होती है कि सरकार के हर फैसले का विरोध करना है। वे यह नहीं देखते कि उससे जनता को लाभ मिल रहा है या नहीं।”

    मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि योजना के नाम परिवर्तन से अधिक महत्वपूर्ण उसका प्रभाव और लाभ है, जो सीधे ग्रामीण गरीबों तक पहुंचने वाला है।

    फडणवीस ने महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर उठाए गए विपक्षी आरोपों पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि विपक्ष को विरोध प्रदर्शन से अधिक विधानसभा में चर्चा पर ध्यान देना चाहिए।

    उन्होंने कहा,
    “लोकतंत्र में चर्चा का बहुत महत्व है। केवल सीढ़ियों पर प्रदर्शन करना और चर्चा में भाग न लेना लोकतंत्र की भावना के अनुरूप नहीं है।”

    मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मौजूदा सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए हैं, जो राज्य के विकास के लिए आवश्यक हैं।

    आगामी नगर निगम चुनावों को लेकर भी मुख्यमंत्री फडणवीस ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि मुंबई महानगरपालिका का अगला महापौर महायुति गठबंधन से ही होगा।

    उन्होंने कहा कि कल्याण-डोंबिवली क्षेत्र में मुख्य रूप से केवल बीजेपी और शिवसेना ही प्रभावी राजनीतिक ताकत हैं और अन्य दलों की वहां कोई मजबूत उपस्थिति नहीं है।
    “हम दोनों दल मिलकर सीटों का निर्णय करेंगे,” उन्होंने कहा।

    राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मनरेगा का नाम बदलना केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि इसके साथ सरकार ग्रामीण विकास को नई दिशा देना चाहती है। वहीं विपक्ष इसे प्रतीकात्मक बदलाव मान रहा है।

    हालांकि, विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि रोजगार के दिनों में बढ़ोतरी ग्रामीण जनता के लिए वास्तविक राहत साबित हो सकती है, बशर्ते योजना का क्रियान्वयन प्रभावी ढंग से किया जाए।

    मनरेगा के नाम परिवर्तन और कार्यदिवस बढ़ाने के फैसले ने देश की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। एक ओर सरकार इसे ग्रामीण भारत के लिए बड़ा सुधार बता रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस इसे अनावश्यक और राजनीतिक कदम बता रही है।

    मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयान से यह स्पष्ट है कि सरकार विपक्ष की आलोचना से प्रभावित हुए बिना विकास, रोजगार और ग्रामीण सशक्तिकरण के अपने एजेंडे पर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि यह फैसला जमीनी स्तर पर ग्रामीण जनता के जीवन में कितना सकारात्मक बदलाव लाता है।

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