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सफलता सिर्फ़ बड़ी इमारतों या भारी निवेश से नहीं बनती—
वह बनती है सोच, समर्पण और सच्चे उद्देश्य से।
तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में
श्री निखिल भाऊसाहेब मुटकुळे,
Founder & CEO — Thinking Minds Technical Training Institute,
एक ऐसे शिक्षाविद् और उद्यमी हैं
जिन्होंने यह साबित किया कि
अगर पढ़ाने का इरादा दिल से हो,
तो एक छोटा सा क्लास भी
हज़ारों ज़िंदगियों को दिशा दे सकता है।
हर बड़ा सपना
एक छोटी सी इच्छा से जन्म लेता है।
निखिल मुटकुळे के मन में भी
एक सादा लेकिन सशक्त विचार था—
“छात्रों को आसान, गुणवत्तापूर्ण और दिल से जुड़ा तकनीकी ज्ञान देना।”
उनके पास
न बड़ा ऑफिस था,
न बड़ी टीम,
न ही भारी संसाधन।
बस था—
एक शिक्षक
एक सफ़ेद बोर्ड
कुछ कुर्सियाँ
और छात्रों को सही तरीके से सिखाने की
अटूट जिद्द।
निखिल सर ने
छात्रों को उसी तरह पढ़ाना शुरू किया—
जैसे कोई दोस्त पढ़ाता है।
• सरल भाषा में
• वास्तविक उदाहरणों के साथ
• बिना डर के
• हँसते–खेलते
• इंडस्ट्री से जोड़कर
छात्रों को यह फर्क साफ़ महसूस हुआ।
उन्होंने सिर्फ़ कोर्स नहीं सीखा—
उन्होंने आत्मविश्वास पाया।
धीरे-धीरे
छात्रों का भरोसा बढ़ने लगा।
एक छात्र दूसरे को लेकर आया…
दूसरा तीसरे को…
और वह छोटा सा क्लास
धीरे-धीरे
Thinking Minds Technical Training Institute
बन गया।
यह सिर्फ़ एक संस्थान नहीं था—
यह छात्रों के सपनों का केंद्र बनता गया।
आज Thinking Minds में
वे कोर्स पढ़ाए जाते हैं
जो कभी सिर्फ़
पुणे–मुंबई जैसे शहरों तक सीमित थे—
• Java Full Stack
• Cybersecurity
• Data Science
• Python
• DSA
• AutoCAD
यहाँ छात्रों को सिर्फ़ सर्टिफिकेट नहीं,
बल्कि स्किल + आत्मविश्वास + करियर दिशा
मिलती है।
निखिल मुटकुळे की सोच
यहीं तक सीमित नहीं है।
उनका सपना है—
• Thinking Minds की और शाखाएँ खोलना
• अधिक से अधिक छात्रों तक स्किल एजुकेशन पहुँचाना
• ऐसे शिक्षकों की टीम बनाना
जिनका दिल पढ़ाने में हो,
सिर्फ़ पढ़ाने की नौकरी में नहीं
उनके लिए शिक्षा एक व्यवसाय नहीं,
बल्कि ज़िम्मेदारी है।
Thinking Minds
सिर्फ़ एक टेक्निकल क्लास नहीं—
यह है
निखिल मुटकुळे का सपना,
उनका समर्पण,
और छात्रों के भविष्य के लिए
दी गई एक सच्ची सौगात।
और यह यात्रा
अभी रुकी नहीं है…
निखिल भाऊसाहेब मुटकुळे की कहानी
हमें यही सिखाती है—
जब कोई आवड उद्देश्य बन जाती है,
तो सफलता की कोई सीमा नहीं रहती।
आज वे
केवल एक संस्थान के Founder नहीं,
बल्कि
हज़ारों छात्रों के भविष्य के निर्माता हैं।








