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  • मनरेगा ने हमेशा पीएम मोदी को असहज किया है: योजना का नाम बदलने पर राहुल गांधी का तीखा प्रहार

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    महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) को समाप्त कर उसकी जगह विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) – VB-G RAM G बिल 2025 लाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। इस मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। राहुल गांधी ने कहा कि मनरेगा हमेशा से प्रधानमंत्री मोदी को असहज करती रही है और अब सरकार इसे पूरी तरह खत्म करने की कोशिश कर रही है।

    यह बयान उस समय आया है जब केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में नया VB-G RAM G बिल पेश किया। विपक्ष ने इस बिल का कड़ा विरोध करते हुए इसे महात्मा गांधी के नाम और विचारधारा को मिटाने की कोशिश बताया।

    मंगलवार को संसद भवन परिसर में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी भी प्रदर्शन में शामिल रहीं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि मनरेगा सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के गरीबों के लिए जीवनरेखा है।

    प्रदर्शन कर रहे सांसदों ने आरोप लगाया कि सरकार महात्मा गांधी के नाम को हटाकर उनकी सोच और विरासत को कमजोर करना चाहती है।

    इस पूरे विवाद पर राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक लंबा बयान जारी किया। उन्होंने लिखा कि
    मनरेगा ने हमेशा प्रधानमंत्री मोदी को परेशान किया है। पिछले दस वर्षों से इसे कमजोर किया जा रहा है और अब इसे पूरी तरह मिटाने की तैयारी है।

    राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी को दो चीजों से गहरी परेशानी है—महात्मा गांधी के विचार और गरीबों के अधिकार। उन्होंने कहा कि मनरेगा गांधीजी के ग्राम स्वराज के सपने का जीवंत रूप है, जो गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम था।

    राहुल गांधी ने अपने बयान में यह भी याद दिलाया कि कोविड-19 महामारी के दौरान मनरेगा ने लाखों ग्रामीण और प्रवासी मजदूर परिवारों को आर्थिक सुरक्षा दी थी। जब देशभर में रोजगार के अवसर खत्म हो गए थे, तब मनरेगा ही वह योजना थी जिसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संभालने में बड़ी भूमिका निभाई।

    उनका कहना है कि ऐसी योजना को खत्म करना गरीबों की आजीविका पर सीधा हमला है।

    राहुल गांधी ने कहा कि मनरेगा तीन बुनियादी सिद्धांतों पर आधारित है—

    1. रोज़गार का कानूनी अधिकार

    2. गांवों को अपने विकास कार्य तय करने की स्वतंत्रता

    3. केंद्र सरकार द्वारा मजदूरी का पूरा भुगतान

    उनका आरोप है कि नया VB-G RAM G बिल इन तीनों स्तंभों को कमजोर करता है और योजना को केंद्र के नियंत्रण का साधन बना देता है।

    राहुल गांधी के अनुसार, नए बिल के तहत:

    • योजनाओं, नियमों और बजट का नियंत्रण केंद्र सरकार के हाथ में होगा

    • राज्यों को 40% खर्च वहन करने के लिए मजबूर किया जाएगा

    • फंड खत्म होने या फसल के मौसम में मजदूरों को महीनों तक काम नहीं मिलेगा

    उन्होंने इस बिल को जनविरोधी और गरीब-विरोधी बताते हुए कहा कि कांग्रेस इसका संसद से सड़क तक विरोध करेगी।

    सरकार की ओर से कहा गया है कि मनरेगा को VB-G RAM G से बदलना ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा सुधार है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, मनरेगा के तहत कार्य कई श्रेणियों में बिखरे हुए थे और कोई ठोस राष्ट्रीय रणनीति नहीं थी।

    नए कानून के तहत चार प्रमुख क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा—

    • जल सुरक्षा

    • बुनियादी ग्रामीण ढांचा

    • आजीविका से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर

    • जलवायु परिवर्तन के अनुकूल विकास

    सरकार का दावा है कि विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं को पीएम गति-शक्ति जैसे राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा।

    ड्राफ्ट बिल के मुताबिक, प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल में 125 दिनों के रोजगार की वैधानिक गारंटी दी जाएगी।
    केंद्र-राज्य फंड शेयरिंग अनुपात 60:40 होगा, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों के लिए यह 90:10 रहेगा।

    मनरेगा को लेकर छिड़ा यह विवाद अब सिर्फ एक योजना के नाम बदलने तक सीमित नहीं रह गया है। यह मुद्दा महात्मा गांधी की विरासत, ग्रामीण गरीबों के अधिकार और सरकार की विकास नीति से जुड़ गया है। राहुल गांधी के तीखे हमलों से साफ है कि आने वाले दिनों में यह बहस और तेज होगी।

    अब देखना यह होगा कि सरकार विपक्ष के विरोध के बीच इस बिल को किस रूप में आगे बढ़ाती है और ग्रामीण भारत के करोड़ों परिवारों पर इसका क्या असर पड़ता है।

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