




२५ अगस्त २०२५ से प्रभावी हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ दोहरी कर दिए गए हैं — पहले २५ % “प्रतिशोधात्मक” शुल्क और बाद में अतिरिक्त २५ % शुल्क, जिससे कुल टैरिफ ५० % हो गया है। इस कदम ने भारत-अमेरिका संबंधों में नई तनाव की स्थिति खड़ी कर दी है।
रामदेव का तीखा विरोध
योग गुरु बाबा रामदेव ने इस कदम को “राजनीतिक धौंस, गुंडागर्दी और तानाशाही” बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिकों को इस ५० % टैरिफ के खिलाफ दृढ़ता से विरोध करना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से अमेरिकी ब्रांड्स—Pepsi, Coca-Cola, Subway, KFC, McDonald’s—का बहिष्कार करने की अपील की है:
“न कोई भारतीय Pepsi, Coca-Cola, Subway, KFC, या McDonald’s के काउंटर पर दिखना चाहिए। इतना जोरदार बहिष्कार होना चाहिए… तब अमेरिका में अराजकता मच जाएगी। महंगाई इतनी बढ़ जाएगी कि ट्रम्प को शायद खुद इन टैरिफों को वापस लेना पड़े।”
टैरिफ की विस्तृत जानकारी
नए टैरिफ के कारण वस्तुओं पर कुल ५० % तक की दर लग गई है। यह दर वस्त्र, गहने, जूते, खेल सामग्री, फर्नीचर, रसायन आदि पर लागू होती है—जो कि उन वस्तुओं में से हैं जिनसे भारत अमेरिका को भारी मात्रा में निर्यात करता है।
व्यापारिक प्रभाव और प्रतिक्रियाएँ
इस नए शुल्क की घोषणा से भारतीय शेयर बाजार गहरा असर समझा गया। संतोष मीना, स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के शोध प्रमुख, ने बताया कि बाजार में पहले ही तेज बिकवाली शुरू हो चुकी है और यह दबाव अगले दिनों तक जारी रह सकता है ।
आर्थिक विशेषज्ञों और पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने भी इस टैरिफ को ‘US-India संबंधों को बड़ा झटका’ बताया और इसे ‘जागृकता की घंटी’ कहा। उनका कहना है कि यह छोटे उत्पादकों—जैसे झींगा मछली किसान और वस्त्र निर्माता—के लिए गहरी चिंता का विषय बन गया है।
सरकारी रणनीति: वैकल्पिक बाजारों की ओर रुख
सरकार ने इस स्थिति में व्यापार को विविधता देने के लिए कदम बढ़ाए हैं। अद्यतन जानकारी के अनुसार, भारत ४० देशों में विशेष “आउटरीच प्रोग्राम” शुरू कर रहा है, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोप और मध्य पूर्व के कई देश शामिल हैं। इसका उद्देश्य भारतीय वस्त्र निर्यातकों को वहाँ व्यावसायिक रूप से मजबूत बनाना है।
वृहद संवेदनशीलता और तनाव
विपणन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि टैरिफ़ के प्रभाव से संविदात्मक श्रृंखला प्रभावित होगी और छोटे व मध्यम उद्योग विशेष रूप से भोगेंगे।
भारतीय वस्त्र निर्यात संघ के अनुसार, भारत को वस्त्र क्षेत्र में अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा में बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है, क्योंकि अब दूसरे देशों को ३०–३१ प्रतिशत का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल रहा है ।
इसके अलावा, विक्षिप्त नीतिगत माहौल और संरक्षणवादी रुझान ने व्यापारिक समझौतों को गड़बड़ा दिया है, जिससे अगले समय में रणनीतिक सहयोग भी संकट में दिख रहा है।
सारांश एवं निष्कर्ष
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ट्रम्प प्रशासन ने भारत के आयात पर ५० % टैरिफ लागू किया है, जिससे व्यापारिक, आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों में संकट उत्पन्न हुआ है।
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बाबा रामदेव ने इन टैरिफों का निर्भीक विरोध करते हुए अमेरिकी खाद्य-पीने की वस्तुओं का बहिष्कार करने का आग्रह किया है।
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बाजार पर इसका प्रतिकूल असर हुआ है—बाजार गिरावट और निर्यातकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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भारत सरकार ४० देशों में नए निर्यात अभियान शुरू कर साझेदार की विविधता बढ़ा रही है।
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विशेषज्ञों ने नीति का गहरा प्रभाव बताया है और छोटे exporters की सुरक्षा पर बल दिया है।
अंतिम विचार
यह स्थिति भारत की आर्थिक रणनीति, ‘self-reliance’ नीति और बहुपक्षीय व्यापार संबंधों को मज़बूती प्रदान करने की क्षमता को तेज़ी से परखे जाने की मांग करती है। न केवल आर्थिक रीढ़ मजबूत बनी रहे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय तालमेल भी बनाए रखा जाए, यही आगे का वास्तविक जलवायु है|
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