




देश की कर व्यवस्था में एक ऐतिहासिक बदलाव की घोषणा करते हुए जीएसटी काउंसिल ने बड़ा फैसला लिया है। अब जीएसटी (GST) की दरें केवल दो स्लैब – 5% और 18% में लागू होंगी। इस कदम का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना, करदाताओं का बोझ कम करना और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करना है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया। लंबे समय से विभिन्न उद्योग संगठन, व्यापारी और आम जनता मांग कर रहे थे कि जीएसटी दरों को सरल और व्यवहारिक बनाया जाए।
अभी तक जीएसटी में 5%, 12%, 18% और 28% की दरें लागू थीं। इनमें से कई वस्तुएं और सेवाएं अलग-अलग स्लैब में आती थीं, जिससे कराधान व्यवस्था जटिल हो गई थी। लेकिन अब केवल दो दरों के लागू होने से प्रणाली सरल होगी।
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सस्ती होंगी रोजमर्रा की वस्तुएं – 12% और 18% के बीच की कई वस्तुएं अब सीधे 5% वाले स्लैब में आ सकती हैं।
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खरीदारी आसान होगी – दुकानदारों और व्यापारियों को अब टैक्स की गणना में आसानी होगी।
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महंगाई पर नियंत्रण – विशेषज्ञों का मानना है कि दो स्लैब लागू होने से वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता आएगी और महंगाई पर भी लगाम लगेगी।
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त्योहारी सीजन में राहत – आने वाले नवरात्र, दिवाली और अन्य त्योहारी खरीदारी में उपभोक्ताओं को सीधा फायदा मिलेगा।
व्यापारी संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने कहा कि यह कदम कर प्रणाली को पारदर्शी बनाएगा और छोटे व्यापारियों को राहत देगा।
सीआईआई (CII) और फिक्की (FICCI) जैसी इंडस्ट्री बॉडीज़ का मानना है कि कर दरों के सरलीकरण से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और विदेशी कंपनियों को भारत में कारोबार करना आसान लगेगा।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह बदलाव लंबे समय से लंबित था।
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अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि “कम स्लैब का मतलब है कम विवाद और ज्यादा पारदर्शिता।”
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टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कर चोरी (Tax Evasion) के मामले भी घटेंगे क्योंकि सरल दरों में गड़बड़ी की संभावना कम हो जाएगी।
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फूड प्रोडक्ट्स और आवश्यक वस्तुएं – अधिकांश रोजमर्रा की चीजें 5% के दायरे में आएंगी।
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इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और घरेलू सामान – पहले 12% या 18% में आने वाली वस्तुओं को नए ढांचे में फिट किया जाएगा।
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लग्ज़री और सिन प्रोडक्ट्स – 28% वाले स्लैब को समाप्त कर विशेष उपकर (Cess) के जरिए समायोजित किया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा –
“जीएसटी का उद्देश्य हमेशा से वन नेशन, वन टैक्स का सपना पूरा करना था। दो स्लैब लागू होने से व्यवस्था सरल होगी और उपभोक्ताओं तथा व्यापारियों दोनों को फायदा होगा।”
हालांकि यह कदम स्वागत योग्य है, लेकिन चुनौतियाँ भी सामने होंगी –
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राजस्व संतुलन – राज्यों की आय पर असर पड़ सकता है।
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नई दरों का वर्गीकरण – यह तय करना चुनौतीपूर्ण होगा कि कौन सी वस्तु किस स्लैब में आएगी।
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अमल और निगरानी – नए ढांचे को लागू करने के लिए प्रशासनिक तैयारी करनी होगी।
जीएसटी काउंसिल का यह फैसला भारत की टैक्स प्रणाली को और सरल तथा पारदर्शी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। उपभोक्ता, व्यापारी और उद्योग – सभी को इससे फायदा होगा। त्योहारी सीजन में इस राहत का सीधा असर आम जनता की जेब पर दिखाई देगा।