




क्रिकेट के चाहने वालों के लिए बड़ा झटका आया है। केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए GST 2.0 सुधार में अब इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टिकट को नॉन-एसेन्शल और लक्ज़री श्रेणी में डाल दिया गया है। इसके चलते IPL मैच देखने के टिकट पर 40% तक टैक्स देना होगा। पहले इस पर 28% GST लगता था, लेकिन अब इसे सिन गुड्स, कैसिनो और अन्य लक्ज़री मनोरंजन की श्रेणी में शामिल किया गया है।
सरकार ने GST ढांचे को सरल बनाने के लिए नया स्वरूप दिया है। अब सिर्फ तीन प्रमुख स्लैब रह गए हैं –
-
5% (आवश्यक वस्तुएं)
-
18% (अधिकांश सामान व सेवाएं)
-
40% (नॉन-एसेन्शल और लक्ज़री श्रेणी)
इसी उच्चतम 40% स्लैब में अब IPL टिकटों को रखा गया है। इसका मतलब है कि अब दर्शकों को स्टेडियम में लाइव मैच देखने के लिए पहले से कहीं अधिक कीमत चुकानी होगी।
IPL टिकट पर टैक्स बढ़ने का असर
टिकट का मूल मूल्य | पुराना मूल्य (28% GST) | नया मूल्य (40% GST) | अतिरिक्त बोझ |
---|---|---|---|
₹500 | ₹640 | ₹700 | ₹60 |
₹1,000 | ₹1,280 | ₹1,400 | ₹120 |
₹2,000 | ₹2,560 | ₹2,800 | ₹240 |
जैसा कि तालिका दर्शाती है, हर ₹1,000 के टिकट पर अब लगभग ₹120 अतिरिक्त खर्च होंगे। यानी IPL देखने का आनंद अब जेब पर भारी पड़ेगा।
सरकार का कहना है कि GST 2.0 का मकसद टैक्स ढांचे को सरल बनाना और राजस्व को बढ़ाना है। आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को सस्ता करने के लिए टैक्स घटाया गया है। लेकिन गैर-आवश्यक और उच्च खर्च वाली गतिविधियों पर ज्यादा टैक्स लगाया गया है। सरकार का मानना है कि IPL जैसे बड़े आयोजनों पर अतिरिक्त टैक्स लगाकर राजस्व में बढ़ोतरी होगी और आम जनता पर सीधा बोझ कम होगा।
क्रिकेट प्रेमियों में इस फैसले को लेकर नाराज़गी देखी जा रही है। कई दर्शकों का कहना है कि IPL आम लोगों का भी उत्सव है, इसे लक्ज़री की श्रेणी में डालना सही नहीं है। सोशल मीडिया पर #IPLTaxHike ट्रेंड कर रहा है, जहां फैन्स नाराज़गी जता रहे हैं। कई लोग मानते हैं कि इसका असर IPL की स्टेडियम दर्शक संख्या पर पड़ सकता है।
IPL फ्रेंचाइजियों और आयोजकों के लिए भी यह खबर चिंता का कारण है। उच्च टिकट दरों की वजह से स्टेडियम में दर्शक कम हो सकते हैं। विज्ञापन और स्पॉन्सरशिप पर असर पड़ने की संभावना है। हालांकि, डिजिटल व्यूअरशिप (टीवी और OTT) से होने वाला राजस्व स्थिर रहने की उम्मीद है।
दिलचस्प बात यह है कि यह नियम फिलहाल केवल IPL और प्रीमियम लीग जैसे आयोजनों पर लागू होगा। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय नियमित मैच अभी भी 18% स्लैब में रहेंगे। यानी भारत-पाक या भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज देखने जाना इतना महंगा नहीं होगा जितना IPL देखना।
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार का यह कदम राजस्व संग्रह को बढ़ा सकता है, लेकिन लंबे समय में इसका असर खेल की लोकप्रियता पर भी पड़ सकता है। अगर स्टेडियम की दर्शक संख्या घटती है, तो इससे स्थानीय कारोबार जैसे होटल, ट्रांसपोर्ट और रेस्त्रां को भी नुकसान हो सकता है। वहीं, डिजिटल माध्यम से देखने वालों की संख्या और भी बढ़ सकती है, जिससे OTT और प्रसारण कंपनियों को लाभ होगा।
हालांकि टैक्स बढ़ने से दर्शकों की जेब पर बोझ बढ़ा है, लेकिन क्रिकेट विशेषज्ञ मानते हैं कि IPL की लोकप्रियता पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। भारत में क्रिकेट को धर्म की तरह देखा जाता है। IPL एक ब्रांड है, जिसमें खिलाड़ियों की चमक और ग्लैमर फैक्टर हमेशा दर्शकों को खींचता है। संभव है कि टिकट खरीदने वालों की संख्या कुछ हद तक घटे, लेकिन IPL की कुल लोकप्रियता बरकरार रहेगी।
GST 2.0 सुधार ने जहां आम घरेलू उपभोक्ता वस्तुओं को सस्ता किया है, वहीं IPL जैसे आयोजनों को ‘लक्ज़री’ श्रेणी में डालकर महंगा बना दिया है। क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह फैसला निराशाजनक हो सकता है, लेकिन सरकार का तर्क है कि इससे देश के राजस्व को मजबूती मिलेगी। अब देखना यह होगा कि आने वाले IPL सीजन में टिकट बिक्री और दर्शक संख्या पर इसका कितना असर पड़ता है।