




शिक्षक दिवस पर जहां पूरा देश अपने गुरुओं को याद कर रहा है, वहीं भारतीय क्रिकेटर हार्दिक पंड्या और उनके बड़े भाई क्रुणाल पंड्या ने अपने गुरु के प्रति सम्मान की अनूठी मिसाल पेश की है। दोनों भाइयों ने अपने कोच जितेंद्र सिंह को 80 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है। यह कदम न केवल गुरु-शिष्य परंपरा की महानता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि सच्चे शिष्य कभी भी अपने गुरु के योगदान को नहीं भूलते।
हार्दिक और क्रुणाल पंड्या ने अपने शुरुआती क्रिकेट करियर में जिन कठिनाइयों का सामना किया, उनमें उनके कोच जितेंद्र सिंह का बड़ा योगदान रहा। कम संसाधनों के बावजूद जितेंद्र सिंह ने पंड्या ब्रदर्स को न सिर्फ खेल की बारीकियां सिखाईं बल्कि मानसिक मजबूती और अनुशासन भी सिखाया।
दोनों भाइयों ने कई बार सार्वजनिक मंचों पर यह स्वीकार किया है कि उनके करियर की नींव उनके गुरु ने ही रखी। अब शिक्षक दिवस पर उन्होंने अपने गुरु का सम्मान करते हुए 80 लाख रुपये की मदद देकर यह साबित किया कि सच्चा शिष्य अपने गुरु के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहता है।
हार्दिक पंड्या भारतीय क्रिकेट टीम में एक बेहतरीन ऑलराउंडर के रूप में स्थापित हो चुके हैं, वहीं क्रुणाल पंड्या ने भी टी20 और आईपीएल में अपनी अलग पहचान बनाई है। इन दोनों खिलाड़ियों की सफलता की यात्रा आसान नहीं थी।
उनके पिता मिडिल क्लास परिवार से थे और सीमित साधनों के बावजूद उन्होंने दोनों बेटों को क्रिकेट सिखाने का निर्णय लिया। लेकिन असली संघर्ष मैदान पर हुआ, जहां जितेंद्र सिंह ने उन्हें कड़ी मेहनत, फिटनेस और प्रोफेशनल क्रिकेट का अनुभव दिया।
पंड्या ब्रदर्स मानते हैं कि अगर गुरु का मार्गदर्शन नहीं मिला होता, तो वे आज इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते।
शिक्षक दिवस पर दी गई यह सहायता केवल आर्थिक लेन-देन नहीं है, बल्कि यह गुरु के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक है। जितेंद्र सिंह ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने में लगाया। अक्सर आर्थिक तंगी से जूझते हुए भी उन्होंने खिलाड़ियों को बिना किसी स्वार्थ के प्रशिक्षित किया।
अब जब उनके शिष्य अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमक रहे हैं, तो उन्होंने अपने गुरु का हाथ थामकर यह दिखाया कि असली सफलता वही है, जब आप अपनी जड़ों को याद रखें।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अवसर पर हार्दिक पंड्या ने कहा—
“आज हम जिस मुकाम पर हैं, उसमें जितेंद्र सर का योगदान सबसे बड़ा है। उन्होंने हमें अनुशासन, समर्पण और संघर्ष करना सिखाया। यह सहायता उनके लिए हमारी तरफ से धन्यवाद का एक छोटा प्रयास है।”
वहीं क्रुणाल पंड्या ने भी कहा—
“गुरु हमारे जीवन के सच्चे मार्गदर्शक होते हैं। अगर सर ने हमें सही राह नहीं दिखाई होती, तो शायद हम आज यहां तक नहीं पहुंच पाते।”
पंड्या ब्रदर्स की इस पहल से समाज में एक बड़ा संदेश जाता है कि गुरु का सम्मान केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कर्म से भी किया जाना चाहिए। यह परंपरा भारतीय संस्कृति में हमेशा से रही है।
हमारे देश में कहा गया है—
“गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरः।”
यानि गुरु का स्थान भगवान से भी ऊंचा माना गया है।
आज जब समाज में कई बार गुरु-शिष्य संबंध औपचारिकता तक सीमित हो जाते हैं, पंड्या ब्रदर्स का यह कदम हमें याद दिलाता है कि सच्चा सम्मान तभी है, जब हम अपने गुरु की मेहनत को स्वीकार करें और उनके जीवन में सकारात्मक योगदान दें।
शिक्षक दिवस 2025 पर हार्दिक और क्रुणाल पंड्या द्वारा अपने गुरु जितेंद्र सिंह को दी गई 80 लाख रुपये की आर्थिक सहायता एक प्रेरणादायक मिसाल है। यह घटना न केवल खेल जगत में बल्कि पूरे समाज के लिए संदेश है कि गुरु का ऋण कभी चुकाया नहीं जा सकता, लेकिन कृतज्ञता और सम्मान से उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।